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Atishi Marlena: चार साल में विधायक से सत्ता के शिखर पर, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला CM
Delhi New CM Atishi: आतिशी को पार्टी का प्रतिबद्ध कार्यकर्ता बताती रही है। पार्टी का मानना है कि पार्टी के गठन के बाद शुरुआती दौर से ही पार्टी की नीतियां तय करने में आतिशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
Delhi New CM Atishi: दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर पिछले दो दिनों से जारी अटकलों पर अब विराम लग गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने के ऐलान के बाद आज आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक में आतिशी मार्लेना को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने खुद आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। वे केजरीवाल कैबिनेट में सबसे हैवीवेट मंत्री हैं और उनका नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे चल रहा था।
आतिशी को अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का काफी करीबी माना जाता रहा है। 2020 में पहली बार कालकाजी से विधायक चुनी जाने वाली और पिछले साल मंत्री बनने वाली आतिशी काफी कम समय में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंच गई हैं। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि वे दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। उनसे पहले भाजपा राज में सुषमा स्वराज और कांग्रेस राज में शीला दीक्षित दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।
काफी तेजी से बढ़ा आतिश का सियासी ग्राफ
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली आतिशी का सियासी ग्राफ काफी तेजी से आगे बढ़ा है। वैसे उनके राजनीतिक कॅरियर की बात की जाए तो वे आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय से ही इस पार्टी से जुड़ी रही हैं। आप ने 2013 में पहली बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ा था और उस समय आतिशी पार्टी की घोषणा पत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं। आम आदमी पार्टी आतिशी को पार्टी का प्रतिबद्ध कार्यकर्ता बताती रही है। पार्टी का मानना है कि पार्टी के गठन के बाद शुरुआती दौर से ही पार्टी की नीतियां तय करने में आतिशी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
4 साल में ही विधायक से मुख्यमंत्री पद का सफर
उन्होंने 2020 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। पार्टी ने उन्हें कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था और इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। इस तरह 4 साल के भीतर ही आतिशी विधायक से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी तक पहुंच गई हैं। मौजूदा समय में वे पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की महत्वपूर्ण सदस्य हैं। पार्टी ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी का दायित्व भी सौंपा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था मगर उन्हें भाजपा प्रत्याशी और क्रिकेटर गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें 4.77 लाख वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
आतिशी को इसलिए मिली राजनीतिक बुलंदी
आतिशी के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कुछ ऐसे राजनीतिक हालात बने कि वे लगातार मजबूत होती गईं। दरअसल दिल्ली के शराब घोटाले में पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसी घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल पहुंच गए। अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल 8 मार्च को अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया था और इस दौरान आतिशी को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी।
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी के कारण दिल्ली कैबिनेट में आतिशी की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई थी। केजरीवाल ने उन्हें सबसे ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी सौंप थी। इस साल 15 अगस्त को तिरंगा फहराने के लिए भी केजरीवाल ने आतिशी को ही नामित किया था। हालांकि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उनका यह प्रस्ताव खारिज कर दिया था। वैसे केजरीवाल के इस कदम से समझा जा सकता है कि वे आतिशी को कितना महत्व देते रहे हैं।
सुषमा स्वराज थीं दिल्ली की पहली महिला CM
आतिशी भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होगी। सुषमा स्वराज ने 1998 में महिला मुख्यमंत्री के रूप में दिल्ली की कमान संभाली थी। दरअसल प्याज की कीमतों में जबर्दस्त बढ़ोतरी के कारण दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सुषमा स्वराज को सौंपी थी।
हालांकि सुषमा स्वराज सिर्फ 52 दिनों तक मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर रह सकीं। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से सुषमा स्वराज से मुख्यमंत्री पद छिन गया। 1993 में 49 सीटें जीतने वाली भाजपा 1998 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गई थी।
लगातार 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी थी। इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही। उस चुनाव में कांग्रेस को 47 और भाजपा को सिर्फ 20 सीटों पर जीत मिली थी। 2003 में भी कांग्रेस नेतृत्व ने शीला दीक्षित पर ही भरोसा जताया।
इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस जीत हासिल करने में कामयाब रही। 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने 43 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा 23 सीटों तक ही पहुंच सकी थी। 2008 में भी शीला दीक्षित को ही मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी गई और इस तरह वे लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी रहीं।
अब आतिशी होंगी दिल्ली की तीसरी महिला CM
बाद में 2013 के विधानसभा चुनाव में तस्वीर बदल गई और लगातार तीन चुनाव जीतने वाली कांग्रेस सिर्फ 8 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद दिल्ली में लगातार आप मजबूत होती गई और पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़े दलों को सत्ता से दूर कर दिया। 2013 में आप ने 28, 2015 में 67 और 2020 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटों पर जीत हासिल की। आप के सत्तारूढ़ होने के बाद लगातार अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाल रखी थी मगर अब आतिशी सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी।