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शॉटगन बन गए भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा, प्रधानमंत्री मोदी तक बोल गए हमला

Newstrack
Published on: 18 Oct 2017 4:23 PM IST
शॉटगन बन गए भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा, प्रधानमंत्री मोदी तक बोल गए हमला
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बिहार भाजपा उनके साथ पिछली दफा भी नहीं थी और माना गया था कि नरेंद्र मोदी की लहर में उन्हें न चाहते हुए भी पटना के वोटरों ने वोट दिया था। बिहार भाजपा के बड़े नेताओं, यहां तक कि सुशील मोदी पर भी जुबानी हमला करते रहते थे। इस बार बोलते-बोलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर हमला बोल गए हैं शत्रुघ्न सिन्हा। ऐसे में 2019 के बारे में एक भविष्यवाणी तो तय है कि कोई करिश्मा ही शत्रुघ्न को अब पटना से भाजपा का टिकट दिला सकेगा।

शिशिर कुमार सिन्हा

पटना। विधानसभा और लोकसभा, दोनों में शहरी सीटों को भाजपा का माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस मिलकर भी पटना की तीन शहरी विधानसभा सीटों पर भाजपा को हरा नहीं सकी थीं। लेकिन, इससे पहले संसदीय चुनाव में पटना साहिब सीट फंसती दिख रही थी। अंत तक भाजपा कार्यकर्ताओं को भी लग रहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कट जाएगा। लेकिन, नहीं कटा।

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बिहार भाजपा की अनिच्छा के बावजूद ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ की लहर में केंद्रीय नेतृत्व ने शत्रुघ्न सिन्हा को कायम रखा और सीट निकल भी गई। कैडर के साथ नहीं देने के बावजूद वोटरों ने क्यों साथ दिया, यह बात पटना के भाजपाई वोटर सहज भाव से बोल देते हैं। लेकिन, साथ ही जोड़ते हैं - अब नहीं। वजह कोई दूसरी नहीं, खुद पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा हैं। चुनाव दो साल दूर है, लेकिन शत्रुघ्न के टिकट पर चर्चा अभी से ही तेज है क्योंकि बिहार भाजपा के साथ अब वह केंद्रीय नेतृत्व और यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों पर भी तीखे हमले बोल रहे हैं।

लगातार हमले से बनाई बागी छवि

पंजाब के गुरदासपुर में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की हार पर शत्रुघ्न सिन्हा का ताजा ट्वीट फिलहाल चर्चा में है- ‘जैसी उम्मीद थी, वैसा ही रिजल्ट आया है। पार्टी को दो लाख वोटों से अपमानजनक हार मिली है। पार्टी को आइना देखने की जरूरत है। उसे जनता के मूड का आकलन करना होगा। अगर जनता के मूड को पकडऩे में पार्टी नाकामयाब रही तो इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।’

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16 अक्टूबर को आए इस ट्वीट से शत्रुघ्न ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को सीधे-सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया। इससे दो दिन पहले ‘शॉटगन’ सिन्हा ने सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी को ही टैग कर ट्वीट किया - ‘मुहब्बत करने वाले कम नहीं होंगे, लेकिन तेरी महफिल में हम नहीं होंगे।’ यह ट्वीट दरअसल पटना और मोकामा के कार्यक्रमों में बुलावा नहीं मिलने की भड़ास थी। 14 अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में पीएम मोदी का कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम अशोक राजपथ में जिस स्थान पर था, वह पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का एक तरह से केंद्र्रबिंदु है।

लोकसभा क्षेत्र का नाम छोड़ दें तो पटना साहिब को पटना सिटी कहा जाता है और महेंद्रू सिटी क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है। यानी, जहां से पटना साहिब की पहचान है, वहीं सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका नहीं मिला। इस मंच पर राज्यसभा सांसद और पटना निवासी मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर खगडिय़ा निवासी मंत्री रामविलास पासवान तक थे। गलती होती तो एक जगह होती।

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पटना जिले के ही मोकामा में भी पीएम का कार्यक्रम था, लेकिन वहां के लिए भी शत्रुघ्न को न्यौता नहीं मिला। शत्रुघ्न ने इसे ट्वीट किया और बाद में न्यौता आया तो कहा - ‘शॉर्ट पीरियड में निमंत्रण दिया गया।’ इस पूरे वाकये पर शत्रुघ्न के तेवर कुछ इस तरह नजर आए - ‘नो शो इज बेटर दैन पूअर शो।..जितने पैसे पीयू में प्रधानमंत्री के स्वागत पर खर्च किए गए, उससे यूनिवर्सिटी का विकास होता तो अच्छा होता। वैसे, पीएम ने पटना विवि को शुभकामना दी, इसलिए सैल्यूट करता हूं।’

नीतियों पर रहे हैं हमलावर

पिछले दिनों पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के जीएसटी व नोटबंदी विरोधी बयान पर प्रदेश भाजपा का कोई नेता समर्थन को तैयार नहीं था, तब पूर्व जहाजरानी मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने साथ दिया था। शत्रुघ्न ने विपक्षी दलों के नेता की तरह जीएसटी और नोटबंदी को आम जनता के लिए परेशानी का सबब करार दिया था।

आडवाणी खेमे के अंतिम ‘नाम-लेवनहार’

बिहार भाजपा के सभी नेता अपना रूप बदल चुके हैं। जिन नेताओं को पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी या पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी का ‘नाम-लेवनहार’ माना जाता रहा है, सभी अब एक स्वर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम बोलते-गुनगुनाते हैं। आडवाणी का नाम लेने वाला अब बिहार भाजपा में अब कोई प्रमुख राजनेता बचा है तो वह शत्रुघ्न सिन्हा ही हैं। बेगूसराय के भाजपा सांसद भोला सिंह भी इसी तरह के हैं, लेकिन उम्र के कारण एक सांसद के रूप में अंतिम पारी खेलने के कारण उनकी बातों का जल्दी कोई बुरा नहीं मानता।

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शत्रुघ्न की बातों का बुरा मानने वाले बिहार भाजपा में एक नहीं, कई हैं या यूं कहें कि सारे हैं। भाजपा की सीटों के बंटवारे में हमेशा से मुख्य भूमिका निभाने वाले वर्तमान उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इन्हें कई बार इनके रवैये पर टोक चुके हैं। शेष नेता सामने भले न बोलें, लेकिन संसदीय क्षेत्र में सदैव अनुपस्थिति के बहाने हमेशा यही कहते हैं कि पता नहीं क्यों और कैसे वो अब तक भाजपा में बने हुए हैं। कभी भाजपा के स्टार प्रचारक रहे शत्रुघ्न को इसी आधार पर पिछले विधानसभा चुनाव में प्रचार से दूर रखा गया था।

टिकट कटने की भविष्यवाणी क्यों?

‘अपना भारत’ शत्रुघ्न सिन्हा के टिकट कटने की भविष्यवाणी क्यों कर रहा है, इसके पीछे कई बड़े तर्क हैं। सबसे बड़ा तर्क यह कि इस बार प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में प्रावधान के तहत सांसद को रहना चाहिए था, लेकिन भाजपा के किसी भी सिस्टम ने शत्रुघ्न को लेकर अच्छा फीडबैक नहीं दिया था। एक फीडबैक यह भी था कि संसदीय क्षेत्र की जनता लगातार गायब रहने वाले सांसद को मंचासीन देखकर हो-हल्ला भी कर सकती है। शत्रुघ्न के गायब रहने को लेकर पहले पोस्टर लगते थे, लेकिन उसका भी फायदा नहीं देख संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने इसपर चर्चा तक बंद कर दी है।

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दूसरा कारण यह है कि शत्रुघ्न सिन्हा पिछले तीन वर्ष में कई बार राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के मिलने गए, उनकी बातों का समर्थन किया और यहां तक कि उन्हें परेशान किए जाने तक की बात कह दी। तीसरा कारण यह भी है कि वह बिहार भाजपा से अलग राह पर चल रहे हैं और राजनेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं और स्थानीय मीडियाकर्मियों से भी उनका वास्ता नहीं के बराबर है। किसी योजना के संबंध में सांसद का पक्ष जानना तक संभव नहीं है। सभी का यही मानना है कि शत्रुघ्न को जब-जो बोलना है, ट्विटर पर एकतरफा बोलते हैं।

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