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Champat Rai: कौन हैं ये चंपत राय, राम मंदिर आंदोलन के साथ कैसे शुरू हुआ सफर, जानें सबकुछ

Champat Rai: चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है, यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं।

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Newstrack Network
Published on: 30 Dec 2023 12:26 PM IST
Champat Rai chemistry teacher
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Champat Rai chemistry teacher  (photo: social media )

Champat Rai: साल 1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम डिग्री कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय बच्चों को केमेस्ट्री पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहां गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है, पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है ।

प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये मैं बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊंगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे अतः वे लौट गए, क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुंचे, माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए ।

18 महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक रज्जू भैया ने पहचाना और श्री राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या जी को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया। चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दी और राम काज में जुट गए, वे अवध के गांव - गांव गये और हर द्वार खटखटाया।

स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी, अयोध्या के हर गली कूंचे ने चंपत राय को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया। उन्हें अवध के इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें "अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया" उपनाम से बुलाने लगे।

राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने का काम

बाबरी विध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये, लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला। उनका घर इन कागजातों से भर गया। साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई । के. परासरण और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे, बाबरी ढांचे को नुकसान न पहुंचाने की कसमें दी जा रहीं थीं। उस समय चंपत राय मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे । एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा "अब क्या होगा ?"

उन्होंने हंस कर उत्तर दिया "ये राम की वानर सेना है, सीटी की आवाज पर पीटी करने यहां नहीं आयी है, ये जो करने आयी है करके ही जाएगी I" इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और बाबरी ढांचे की ओर बढ़ गये, फिर सिर्फ जय श्री राम का नारा गूंजा और... इतिहास रचा गया ।

चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है, यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं। यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है, कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं...बाबरी ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जनसामान्य दोनों के सामने सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया ।

युवा पीढ़ी को मथुरा की ज़िम्मेदारी निभाने के लिए करेंगे प्रेरित

चम्पत राय कह चुके हैं ”जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की ज़िम्मेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे"। चंपत राय धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रि में देखा तो पाया कि बैड का डायरेक्शन कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो रहे थे, उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था, रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए।

जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गांव - गांव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है, वह श्रीराममंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है । वास्तव में इन पर उंगली उठाने वाले इनके पाँव की धूल के समान भी नहीं हैं ।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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