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Ram Sita Statue Ayodhya: 6.5 Cr करोड़ साल पुराने शालिग्राम से बनेगी प्रभु राम-सीता की प्रतिमा, जानें इस शिला का महत्व?
Ram Sita Statue Ayodhya: अयोध्या में भगवान राम और माता सीता की मूर्ति के लिए शालिग्राम पत्थर की तलाश पूरी हो गई है। शालिग्राम की शिला को नेपाल से अयोध्या लाया जा रहा है।
Ram Sita Statue Ayodhya: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के निर्माण में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा के लिए जिस शिला (पत्थर) की तलाश थी, वह अब पूरी हो गई है। पड़ोसी देश नेपाल से उस खास पत्थर को अयोध्या लाया जा रहा है। इस शिला को जल्द ही शिल्पकार आकार देंगे। हिंदुओं के आराध्य श्रीराम और मां सीता की अनुपम मूर्ति का निर्माण किया जाएगा। जिस शिला से राम और सीता की प्रतिमा का निर्माण होगा उसके बारे में पुराणों और धर्म ग्रंथों में काफी कुछ वर्णित है। तो चलें जानते हैं उस शिला की खूबी, जिनसे रामलला और माता सीता की मूर्ति को आकार दिया जाएगा।
भगवान राम की प्रतिमा निर्माण के लिए नेपाल की काली गंडकी नदी (Kali Gandaki River, Nepal) से दो बड़े शालिग्राम (Shaligram) पत्थर का टुकड़ा अयोध्या लाया जा रहा है। इन शिलाओं का वजन 350-400 टन बताया जा रहा है। इस विशाल शालिग्राम के चट्टान को 31 जनवरी को अयोध्या लाया जाएगा। इस शिला का परिक्षावन 30 जनवरी को जनकपुर में किया जाएगा। शालिग्राम पत्थर को सड़क मार्ग के जरिये नेपाल से अयोध्या भेजा जा रहा है। अयोध्या के लिए जिस पत्थर को भेजा जा रहा है वो साढ़े छह करोड़ साल पुराना है। इसकी आयु अभी भी एक लाख वर्ष तक रहने की बताई।
क्या है शालिग्राम पत्थर का महत्व?
आपको बता दें, हिंदू धर्म में शालिग्राम का विशेष महत्व है। यह पत्थर एक तरह का जीवाश्म (Fossil) है। शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ (Muktinath), काली गण्डकी नदी (Kali Gandaki River) के तट पर पाया जाता है। जानकर बताते हैं शालिग्राम पत्थर 33 प्रकार के होते हैं। जिनमें 24 प्रकार को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़कर देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम का पत्थर होता है, उस घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। परिवार के लोगों में आपसी प्रेम बरक़रार रहता है। साथ ही, माता लक्ष्मी की भी कृपा सदैव बनी रहती है। शालिग्राम की उपस्थिति लक्ष्मी जी को आकर्षित करती है।
साढ़े पांच फीट ऊंची होगी प्रतिमा, 3 फुट का स्टैंड भी
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय (Ram Mandir Trust General Secretary Champat Rai) के अनुसार, 'राम लला की प्रतिमा तैयार करने के लिए देश के मशहूर शिल्पियों की एक तीन सदस्यीय टीम काम कर रही है। जिसके लिए भगवान राम की खड़ी मुद्रा की प्रतिमा के कई छोटे मॉडल दिए जा चुके हैं। उन्हीं में से किसी एक का चयन मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा। यह प्रतिमा करीब साढ़े पांच फीट ऊंची होगी। मूर्ति के नीचे करीब 3 फुट ऊंचा स्टैंड भी बनाया जाएगा। खगोलशास्त्री इसके लिए ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे रामनवमी की दोपहर 12 बजे प्रभु राम के जन्म के अवसर पर रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ इसे प्रकाशमान कर सके।'
श्रीराम का धनुष बनाकर देने की पेशकश
आपको बता दें, भगवान श्रीराम का ससुराल नेपाल के जनकपुर में ही है। यहां जानकी मंदिर (Janaki Temple) से जुड़े लोगों ने भगवान राम को धनुष बनाकर देने की भी पेशकश की। इस बाबत बीते साल 30 जुलाई को नेपाली कांग्रेस के सीनियर लीडर विमलेन्द्र निधि तथा जानकी मंदिर जनकपुर के महंत राम तपेश्वर दास (Mahant Ram Tapeshwar Das) के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने नेपाली जनता की ओर से अयोध्या जाकर श्री रामजन्मभूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय (Champat Rai), स्वामी गोविंद देव गिरी (Swami Govind Dev Giri) और निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र से मिलकर अपनी इच्छा प्रकट की।