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आजमगढ़ कारागार अपराधियों की आरामगाह, मिलती हैं फाइव स्टार सेवाएं

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Published on: 13 Oct 2017 2:14 PM IST
आजमगढ़ कारागार अपराधियों की आरामगाह, मिलती हैं फाइव स्टार सेवाएं
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़। आजमगढ़ में जेल का खेल बहुत पुराना है। यहां लंबे समय से आपराधिक गतिविधियों का संचालन जेल से होता रहा है। किसी के पास अगर पैसा है तो उसके लिए यहां का मंडलीय कारागार किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। बड़े अपराधी यहां पर वे सारी सुविधाएं पाते हैं जो बाहर बड़े लोगों को ही नसीब हो पाती है। यही वजह है कि बड़े अपराधियों को जेल के अन्दर किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं होती है। छोटे अपराधी जब किसी मामले में जेल में जाते हैं तो उन्हें वहां अपने आकाओं का संरक्षण मिल जाता है।

आकाओं का अपना मायाजाल होता है। वह जेल में बाकायदा लंगर चलाते हैं। उस लंगर में उनके अपने दर्जनों लोग भोजन करते हैं। इसके अलावा उनके यहां दारू, गांजा, भांग, बीड़ी, सिगरेट सबकुछ मुहैया होता है। अब जबकि सूबे में भाजपा की सरकार है तो इस मामले को लेकर जिला प्रशासन गंभीर हुआ है। जल्द ही यहां का मंडलीय कारागार 24 घंटे जिला प्रशासन की निगरानी में होगा।

हर बार छापेमारी में बरामद होती है आपत्तिजनक सामग्रियां

आजमगढ़ के मंडलीय कारागार में जब भी छापेमारी होती है, तब आपत्तिजनक चीजें बरामद होती है। अभी बीस दिन पहले ही जिला जज सैय्यद आफताब हुसैन रिजवी के नेतृत्व में डीएम चन्द्रभूषण सिंह, एसपी अजय कुमार साहनी, एएसपी सिटी सुभाष चन्द गंगवार ने पुलिस क्षेत्राधिकारियों व भारी पुलिस फोर्स के साथ छापेमारी की। इस छापेमारी में भी बैरकों से गांजा, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि बरामद हुआ।

हर बार की तरह इस बार की छापेमारी में भी अधिकारियों ने आपत्तिजनक चीजों की बरामदगी पर नाराजगी जताते हुए जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगायी। यह अलग बात है कि जेल अधिकारियों ने हर बार की फटकार की तरह इस फटकार को भी साधारण तरीके से लिया। यही वजह है कि सबकुछ फिर सामान्य तरीके से चलने लगा।

छापेमारी के बाद बदमाश कुन्टू को भेजा गया बरेली जेल

आजमगढ़ के मंडलीय कारागार में अभी बीस दिन पहले जो छापेमारी हुई, उस छापेमारी के बाद बस एक ही नई बात हुई कि जेल से अपने आपराधिक साम्राज्य का संचालन कर रहे कुख्यात बदमाश ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुन्टू सिंह को बरेली जेल के लिए स्थानान्तरित कर दिया गया। हुआ यह था कि कुन्टू सिंह जेल से अपना सारा नेटवर्क चला रहा था।

इसी बीच जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जिला पंचायत सदस्य प्रमोद यादव की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। कुन्टू सिंह खुलकर प्रमोद का साथ दे रहे थे। इसके लिए वह जेल से ही जिला पंचायत सदस्यों को प्रमोद का साथ देने के लिए धमका रहे थे।

सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने अपनी बहू मीरा यादव की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी बचाने के लिए जिला प्रशासन से यह शिकायत की कि कुन्टू जेल से सदस्यों को धमका रहा है। छापेमारी के दौरान जेल में कुन्टू का वर्चस्व खुलकर सामने आ गया। यही वजह रही कि जिला प्रशासन ने उसे बरेली जेल स्थानान्तरित कर दिया।

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सुरक्षा व्यवस्था पर उठे थे सवाल

आजमगढ़ का मंडलीय कारागार काफी पुराना हो चुका था। यही वजह रही कि आजमगढ़ शहर से करीब 12 किमी दूर इटौरा में करोड़ों की लागत से मंडलीय कारागार का निर्माण कराया गया और वह कारागार 2015 में इटौरा में शिफ्ट भी कर दिया गया। इसके विपरीत करोड़ों की लागत से बने इटौरा के मंडलीय कारागार पर उस समय सवाल उठ खड़े हुए जब जेल के इटौरा में शिफ्ट होने के कुछ दिनों बाद ही 2015 के मई माह में इस जेल की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए हत्या के मामले में निरुद्ध तीन कैदी फरार हो गए।

यह तीनों कैदी प्रदेश की सबसे सुरक्षित और आधुनिक जेल की 25 फीट ऊंची दीवार फंादकर फरार हुए। घटना के दिन रात में आठ बजे जब कैदियों की गिनती हो रही थी तभी तीन के कम होने की बात सामने आई तो जेल प्रसाशन के हाथ-पांव फूल गये। घटना की जानकारी जिला प्रशासन को दी गयी तो हड़कंप मच गया। मौके पर एसपी, एडीएम प्रशासन समेत अन्य अधिकारी पहुंचे और जांच में जुट गए।

संभावना जताई गयी कि कैदियों ने जेल में लगी गैस पाइपलाइन की पाइप को तोड़कर उसका इस्तेमाल दीवार फांदने में किया। इस मामले में जेल के चार कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। फरार हुए कैदियों में गाजीपुर जिले के रहने वाले प्रकाश मुसहर, जितेन्द्र व चन्द्रशेखर शामिल रहे। तीनों कैदी आजमगढ़ जिले के मेंहनगर थाना क्षेत्र में वर्ष 2014 में हुई पुजारी की हत्या के मामले में बंद थे। पुजारी की इस हत्या में फरार कैदियों के अलावा दो अन्य भी शामिल हैं जो अभी भी जेल की चहारदीवारी के अन्दर ही हैं।

झूठा साबित हुआ दावा

2015 में जब इटौरा में आजमगढ़ के मंडलीय कारागार का सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने उद्घाटन किया था, तब मंत्रियों और अधिकारियों ने दावा किया था कि इस जेल में बिना इजाजत परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। इसके विपरीत यहां की 25 फुट की दीवार हत्या व लूट के आरोप में बंद तीन कैदियों चंद्रशेखर, जितेन्द्र व प्रकाश के सामने बौनी साबित हुई। यह तीनों कैदी सारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए फरार हो गए। उनकी फरारी ने जेल प्रशासन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के सामने भी चुनौती पेश की है। इन तीनों कैदियों को जमीन निगल गयी या आसमान। वजह यह कि आज तक इन कैदियों का सुराग नहीं लग सका है।

जेल में हर चीज का तय है रेट

मंडलीय कारागार में हर चीज का रेट तय है। जेल में इंट्री के साथ ही शैतान चौकी पर हाजिरी लगानी होती है। वंहा से कम्बल व थाली मिलता है। इसके बाद सामूहिक बैरक में जाना पड़ता है। एक सप्ताह बाद छंटनी होती है और 1500 रुपये देने पर अलग बैरक एलाट होता है। जेल में काम न करने के एवज में रोजाना 100 रुपये देने पड़ते हैं। पैसे न देने पर कभी भंडारा में, कभी फरसा लेकर खेत में तो कभी घास काटने का काम करना पड़ता है। सजायाफ्ता कैदी पिटाई भी करते हैं।

मौजूदा समय में जेल में 1156 कैदी हैं। इन्हें घटिया क्वालिटी का खाना दिया जाता है। जिनके पास पैसे हैं, उनके लिए सब अच्छा-अच्छा है। उन्हें अच्छा खाना मिल जाता है। पैसा न देने वाले कैदी को जेल के सिपाही भी पीटते हैं। पैसा लेकर मुलाकात व फोन पर बात करवाई जाती है। खुद का मोबाइल रखने का अलग रेट है। महिला कैदी तीन से पांच सौ रुपये देकर शनिवार को अपने परिवार के सदस्यों से घंटों बात कर सकती हैं। जेलर खुद अपनी कैंटीन चलवाते हैं। इस कैंटीन में भुगतान करने पर सबकुछ मिलता है।

पुलिस कप्तान 24 घंटे रखेंगे जेल पर नजर

सूबे में आपत्तिजनक चीजों की बरामदगी को जेल प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया है। वैसे भी आजमगढ़ के मौजूदा पुलिस कप्तान अजय कुमार साहनी अपराधियों पर नकेल कसे हुए हैं और इस जिले के अपने इस बार के छोटे कार्यकाल में मुठभेड़ में चार बदमाशों को मार गिराया है। पुलिस कप्तान अपनी पाक-साफ छवि को बनाये रखना चाहते हैं।

उन्होंने निर्णय लिया है कि जेल का सीसीटीवी कैमरा हर हाल में हर समय दुरुस्त रहेगा तथा वह सीसीटीवी कैमरा उनके दफ्तर से जोड़ा जायेगा ताकि वह हर समय जेल की हर गतिविधि पर नजर रख सकें। पुलिस कप्तान के इस फैसले से जेल के अधिकारी भी दहशत में हैं कि कहीं उनकी कलई खुलना न शुरू हो जाए। पुलिस कप्तान का मानना है कि ऐसा होने पर जेल की गतिविधियों में अप्रत्याशित सुधार आयेगा। फिलहाल इसका परिणाम चाहे जो भी हो मगर इतना तो तय ही है कि ऐसा होने के बाद काफी कुछ सुधार संभव हो सकेगा।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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