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Baba Siddique Murder: शिंदे सरकार पर विपक्ष हमलावर, विधानसभा चुनाव तक मुद्दे को गरमाए रखने की तैयारी
Baba Siddique Murder: विपक्षी दलों की ओर से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष के तेवर से साफ है कि विधानसभा चुनाव तक विपक्षी नेता इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठने वाले हैं।
Baba Siddique Murder: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी के अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या ऐसे समय में हुई है जब महाराष्ट्र में कुछ समय बाद ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बाबा सिद्दीकी की हत्या से राज्य की सियासत गरमा गई है और राज्य की शिंदे सरकार पर जमकर निशाना साधा जा रहा है। वैसे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हत्या के इस मामले में कड़ी कार्रवाई का वादा करके लोगों का गुस्सा कम करने की कोशिश की है मगर फिर भी विपक्ष ने हमलावर रुख अपना रखा है।
विपक्षी दलों की ओर से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष के तेवर से साफ है कि विधानसभा चुनाव तक विपक्षी नेता इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठने वाले हैं। दरअसल बाबा सिद्दीकी की हत्या ने विपक्ष को शिंदे सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा दे दिया है। दूसरी ओर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का कहना है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस मामले में धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि दोषियों को सजा दिलाने तक राज्य सरकार चुप नहीं बैठेगी।
कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घिरी शिंदे सरकार
जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला है। सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल दल अपनी चुनावी रणनीति बनाने और सीटों के बंटवारे में जुटे हुए हैं। ऐसे माहौल में शनिवार की देर रात हुई बाबा सिद्दीकी की हत्या ने राज्य की सियासत गरमा दी है। विपक्षी दलों की ओर से पहले से ही राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे थे और अब बाबा सिद्दीकी की हत्या ने विपक्ष को बड़ा हथियार दे दिया है। यही कारण है कि हत्या की घटना के बाद से ही विपक्षी दलों ने शिंदे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी दल राज्य की कानून व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त बता रहे हैं और वाई श्रेणी की सुरक्षा के बावजूद बाबा सिद्दीकी की हत्या की वारदात को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
हत्या के बाद विपक्ष ने खोला मोर्चा
एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की हत्या शनिवार को तब हुई जब वे अपने बेटे और विधायक जीशान सिद्दीकी के बांद्रा ईस्ट स्थित कार्यालय से निकलकर अपनी कार में बैठ रहे थे। पुलिस का कहना है कि हमलावरों ने काफी करीब से बाबा सिद्दीकी पर 6-7 राउंड फायरिंग की जिनमें से दो गोलियां उनके सीने में और एक गोली पेट में लगी। गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्हें लीलावती अस्पताल पहुंचाया गया मगर उन्होंने दम तोड़ दिया।
मुंबई के बांद्रा इलाके पर बाबा सिद्दीकी की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है और वे तीन बार इस सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस में रहकर करीब 48 साल तक सियासत की मगर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर अजित पवार गुट की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। उनकी हत्या की घटना पर कांग्रेस के साथ ही शिवसेना के उद्धव गुट ने भी शिंदे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
चुनाव के समय बढ़ी सरकार की मुसीबत
सियासी जानकारी का कहना है कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर शिंदे सरकार ऐसे समय में घिर गई है जब राज्य में विधानसभा चुनाव की आहट सुनी जा रही है। किसी भी सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए कानून व्यवस्था का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और यही कारण है कि इस मुद्दे को लेकर विपक्ष काफी हमलावर दिख रहा है।
दूसरी ओर शिंदे सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह बैकफुट पर दिख रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा करके विपक्ष और नाराज लोगों को शांत करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वैसे कानून व्यवस्था के मुद्दे पर शिंदे सरकार पहले से ही कठघरे में खड़ी रही है। अब इस मुद्दे को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देना शिंदे सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
अजित पवार की राजनीति न करने की अपील
इस बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार का कहना है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दोषियों को सख्त सजा दिलाने तक चैन से नहीं बैठेगी। पवार ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एक बहुत ही प्रिय मित्र को खो दिया है। बाबा सिद्दीकी ऐसे नेता थे जिन्हें लोग काफी प्यार किया करते थे।
उन्होंने कहा कि हम इस घटना से उपजे दर्द से उबरने की कोशिश कर रहे हैं मगर मैं सभी लोगों से इस बात का दृढ़तापूर्वक आग्रह करूंगा कि इस घटना को लेकर कोई राजनीति न की जाए। फिलहाल हमारा ध्यान दोषियों का सजा दिलाने और न्याय सुनिश्चित करने पर होना चाहिए। पवार की इस अपील के बावजूद विपक्ष हमलावर बना हुआ है और यह तय माना जा रहा है कि इस हत्या की गूंज विधानसभा चुनाव तक सुनाई देगी।