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बाबरी विध्वंस: सुप्रीम कोर्ट ने दोंनो पक्षों से मांगा हलफनामा, 2 हफ्ते तक सुनवाई टली
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई को दो हफ्तों के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने गुरुवार (23 मार्च) को सभी पक्षों से कहा कि वह लिखित रूप में हलफनामा पेश करें। इससे पहले बुधवार (22 मार्च) को अदालत ने एक दिन के लिए इस केस की सुनवाई टाली थी। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेता आरोपी हैं।
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जस्टिस पीसी घोष की अगुआई वाली बेंच ने बुधवार (22 मार्च) को हुई सुनवाई में कहा था कि दूसरी बेंच इस मामले को देखेगी। जिसमें जज घोष समेत जज आरएफ नरीमन शामिल होंगे। इससे पहले की सुनवाई के दौरान बीजेपी नेताओं की ओर से पेश वकील के. के. वेणुगोपाल ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि मामले को 4 हफ्ते बाद लिस्टेड करें, ताकि वह कुछ जरुरी दस्तावेज फाइल कर सकें।
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गौरतलब है कि इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने हुई पिछली सुनवाई में साफ कहा था कि ‘पहली नज़र में इन नेताओं को आरोपों से बरी करना ठीक नहीं लगता है। यह कुछ अजीब है। सीबीआई को इस मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ समय पर सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए थी। निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर इन नेताओं को बरी किया था जिस पर हाइकोर्ट ने मुहर लगाई थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि इस मामले में सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि बाबरी विवादित ढांचा गिराए जाने मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह ही क्यों न हो?
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कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे बाबरी मस्जिद से जुड़े दूसरे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां इसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए।
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