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क्या आपको पता है कैसे गिनी जाती हैं बकरीद की नेकियां?

आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से चारों तरफ बकरीद मनाई जा रही है। इस्लामिक धर्म में इस पर्व की खूब मान्याताएं हैं, पर आप बकरीद मनाने की असली वजह जानते हैं।

Shreya
Published on: 12 Aug 2019 1:04 PM IST
क्या आपको पता है कैसे गिनी जाती हैं बकरीद की नेकियां?
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क्या आपको पता है कैसे गिनी जाती हैं बकरीद की नेकियां?

आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से चारों तरफ बकरीद मनाई जा रही है। इस्लामिक धर्म में इस पर्व की खूब मान्याताएं हैं, पर क्या आप बकरीद मनाने की असली वजह जानते हैं, इस दिन क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी ?

क्यों शुरु हुआ कुर्बानी का दौर-

दरअसल, हजरत इब्राहिम अल्लाह को पूरी तरह समर्पित थे और अल्लाह की हर इच्छा को पूरा करने के लिए तत्पर रहते थे। यहीं नहीं वो अल्लाह के लिए किसी भी तरह की बलि देने को तैयार रहते थे। इसे देख एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही और हजरत इब्राहिम को अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा गया। जिस पर हजरत अल्लाह को अपने इकलौते बेटे इसलाइम की कुर्बानी देने को तैयार हो गये। जब हजरत इब्राहिम कुर्बानी देने जा रहे तो बेटे का प्यार आड़े ना आये इसके लिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली। जब हजरत ने कुर्बानी देकर आंखें खोलीं तो देखा की उनके बेटे की जगह दुम्बा जानवर रखा हुआ था जो कि बकरे की शक्ल से मिलता है। जिसके बाद से कुर्बानी की परंपरा शुरु हुई और लोग बकरीद के दिन अल्लाह को बकरे की कुर्बानी देने लगे।

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हज के आखिरी दिन क्यों मारे जाते हैं रमीजमारात पर पत्थर-

कुर्बानी के बाद शैतान को पत्थर मारना तो आपने सुना होगा पर ये पत्थर क्यों मारा जाता है इसकी वजह पता है? दरअसल, जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे कुर्बानी देने जा रहे थे तो शैतान ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। जिसके बाद हजरत अपने फैसले पर दोबारा सोचने लगे। जिस वजह से लोग हज के आखिरी दिन कुर्बानी देने के बाद रमीजमारात (ऐसी जगह जहां तीन बड़े खम्भे हैं और लोग इन्हें शैतान मानते हैं) पर पत्थर मारते हैं।

जितने ज्यादा बाल, उतनी ज्यादा नेकियां-

कुर्बानी में मान्यता है कि कुर्बानी वाले जानवर में जितने ज्यादा बाल होते हैं। उतनी ही ज्यादा नेकियां दर्ज होती हैं। कुर्बानी एक और मान्यता है, कुर्बानी में जानवर का स्वस्थ होना जरुरी होता है। अगर जानवर स्वस्थ नहीं है तो कुर्बानी उचित नहीं माना जाता।

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