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Basant Panchami 2023: अपनी बुद्धि को देना चाहते हैं धार तो कुछ इस तरह करे बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की अराधना
Basant Panchami 2023: समस्त वेदों की देवी मां सरस्वती के आशीर्वाद से भला कौन वंचित रहना चाहेगा। विद्यार्जन से लेकर संगीत कला सभी जगह मां सरस्वती की भरपूर कृपा बरसती है।
Basant Panchami 2023: समस्त वेदों की देवी मां सरस्वती के आशीर्वाद से भला कौन वंचित रहना चाहेगा। विद्यार्जन से लेकर संगीत कला सभी जगह मां सरस्वती की भरपूर कृपा बरसती है। इस बार बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर विशेष अराधना और पूजन से अपनी बुद्धि को और ज्यादा प्रखर कर सकते हैं आप। इसके साथ ही जो छात्र पढ़ाई में थोड़ा कमजोर हैं उनके लिए मां सरस्वती की विशेष अराधना वरदान साबित हो सकती है।
सरस्वती देवी को शारदे, वीणापानी, भारती, पुस्तक धारणी, विद्यादायनी, वर्धनायाकी, सावत्री एवं गायत्री नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती माता बहुत ही कोमल तथा सरल स्वभाव की मानी जाती हैं। इनको पवित्रता का प्रतिनिधित्व करने वाले शुद्ध सफेद कपड़े पहने एक सुंदर महिला के रूप में दर्शाया गया है। ज्ञान और सत्य के प्रतीक श्वेत हंस पर विराजमान हैं, एक हाथ वीणा को पकड़े हुए हैं, जिसमें से सारी रचनात्मकता बहती है। सरस्वती माँ के चार हाथों में से एक में पुस्तक तो एक में माला, एक में पानी का कमंडल है। इनके हाथों में पुस्तक वेदों को दर्शाती है। स्वान पक्षी इनके पैरों के पास होता है। यह एक पवित्र पक्षी है, जो दूध और पानी के मिश्रण से सिर्फ दूध पीता है।
बसंत पंचमी को लेकर क्या है मान्यता
बसंत पंचमी के ऐतिहासिक महत्व को लेकर यह मान्यता है कि सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी तथा ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना करके उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता है एवम् वातावरण बिलकुल शांत लगता है जैसे किसी की वाणी ना हो | यह सब करने के बाद भी ब्रह्मा जी मायूस , उदास और संतुष्ट नहीं थे | तब ब्रह्मा जी भगवान् विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिडकते हैं। कमंडल से धरती पर गिरने वाले जल से पृथ्वी पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी (चार भुजाओं वाली) सुंदर स्त्री प्रकट होती है । उस देवी के एक हाथ में वीणा और दुसरे हाथ में वर मुद्रा होती है बाकी अन्य हाथ में पुस्तक और माला थी । ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध करते हैं। देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओ को वाणी प्राप्त को जाती है। उस पल के बाद से देवी को 'सरस्वती' कहा गया। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था और तभी से देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में यह पर्व मनाया जाता है।उस देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी । इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है । देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है ।
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है?
बसंत पंचमी, हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इसे माघ पंचमी भी कहते हैं। बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं। अनगिनत प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है। खेतों में सरसों के पीले फूल की चादर की बिछी होती है। कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान हो जाती हैं। पूरे वर्ष को 6 ऋतूओ में बाँटा जाता है , जिसमे वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल है | इस सभी ऋतुओं में से वसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है , इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था । इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है । माँ सरस्वती को विद्या एवम् बुद्धि की देवी माना जाता है | बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है ।
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण करने का क्या है महत्व
पीला रंग नई किरण के साथ जीवन में नई ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यहीं वजह है कि बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का खास महत्व है। इन्हीं कपड़ों में मां की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान पीले फूल अर्पित किये जाते हैं।
किस दिन मनाई जाएगी बसंत पंचमी
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल बसंत पंचमी का त्योहार 25 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन, इस बार बसंत पंचमी की तारीख को लेकर लोगों में थोड़ी कंफ्यूजन है। मगर हम आपको बता दें कि इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 25 जनवरी की जगह, 26 जनवरी को मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी 25 तारीख दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है। अगले दिन 26 जनवरी सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर खत्म हो रही है। इसलिए बसंत पंचमी का शुभ त्यौहार 26 जनवरी, 2023 को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो छात्र बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत करता है। उस पर मां शारदा का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। आपके ज्ञान में हमेशा वृद्धि बनी रहती है। इसलिए कमजोर छात्रों को बसंत पंचमी के दिन स्नान करने के बाद मां शारदा की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
बसंत पंचमी पर कैसे करें पूजा
हिंदू ज्योतिषों के अनुसार, इस दिन सबसे जल्दी उठकर सबसे पहले धरती मां को नमन करें। इसके बाद स्नान करें और नए कपड़े पहनें। इसके बाद मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगा जल से साफ करें। पीले या फिर सफेद रंग के कपड़े पहनाएं। इसके बाद उन्हें चंदन का तिलक, हल्दी, फल-फूल, रोली, केसर और चावल चढ़ाएं। सबसे आखिर में मां को बूंदी या फिर बूंदी के लड्डू के साथ दही और हलवा को भोग लगाएं। कहते हैं कि इस शुभ दिन पर कमजोर छात्रों को मां के चरणों में पुस्तक और कलम को रखना चाहिए। इसके बाद सरस्वती मंत्र का जाप करें।
सरस्वती मंत्र के लाभ (Benefits of Saraswati Mantra)
सरस्वती मंत्र के नियमित जाप से पढ़ाई में एकाग्रता, वाणी और याददाश्त में सुधार होता है। यह जानकारी को आसान और लंबे समय तक चलने वाला बनाता है। सरस्वती मंत्र के समर्पित पाठ से छात्र को अपनी परीक्षा पास करने में मदद मिल सकती है। यहां तक कि उच्च अध्ययन और शोध कार्य के लिए इच्छुक लोगों को सरस्वती मंत्र से काफी लाभ हो सकता है। कलाकार, कवि, लेखक और सार्वजनिक वक्ता सरस्वती मंत्र की मदद से नई ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।
सरस्वती बीज मंत्र
देवी सरस्वती का आह्वान करने वाला बीज मंत्र "Hreem" और "Shreem" दो शब्दों पर आधारित है।
ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।
अर्थ: देवी सरस्वती को प्रणाम।
लाभ: सरस्वती के इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि और वाणी की शक्ति बढ़ती है।
सरस्वती ध्यान मंत्र
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।
हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।।
सरस्वती विद्या मंत्र
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।
लाभ: इससे स्मृति, अध्ययन में शक्ति और एकाग्रता में सुधार होता है।
. श्री सरस्वती पुराणोक्त मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सरस्वती मंत्र शक्तिशाली वाणी के लिए
इस सरस्वती मंत्र का एक लाख बार पाठ करें। इस सरस्वती मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति बहुत सारा ज्ञान प्राप्त कर प्रसिद्ध हो जाता है।
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा।।
अर्थ : वाग देवी, मुझ पर वाणी की शक्ति को श्रेष्ठ करो।
लाभ: ठीक से ना बोल पाने वाले बच्चों के लिए, इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से उचित वाणी प्राप्त करने में मदद मिलती है और भविष्य में उनके संचार कौशल में भी सुधार होता है।
बुद्धि बढ़ाने के लिए सरस्वती मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।
इस सरस्वती मंत्र का एक लाख बार पाठ करें। इस सरस्वती मंत्र का पाठ करने से बुद्धि, रचनात्मकता और ज्ञान में वृद्धि होती है।
विशेष ज्ञान अर्जन के लिए सरस्वती मंत्र
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।
अर्थ : मुझ पर श्रेष्ठ ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के लिए देवी को प्रणाम।
लाभ: इस मंत्र को नियमित रूप से भक्ति के साथ जप करने से पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। जिन्हें सीखने में कठिनाई होती है वे इस मंत्र का सहारा ले सकते हैं।
सरस्वती गायत्री मंत्र
ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।
अर्थ : मुझे वाणी की देवी का ध्यान करने दो। हे भगवान ब्रह्मा की पत्नी, मुझे उच्च बुद्धि प्रदान करें, और देवी वाणी मेरे मन को प्रकाशित करें।
लाभ: इस मंत्र का जाप करने से छात्रों की क्षमताओं को तेज किया जा सकता है और परीक्षा और अन्य कार्यक्रमों से पहले घबराहट महसूस करने वालों के होश को शांत किया जा सकता है।
निर्भयता के लिए सरस्वती मंत्र
महो, अर्णः सरस्वती प्रचेयति केतुना, धियो विश्व विराजति।।
अर्थ: दिल से सभी अनावश्यक भय को दूर करने और अधिक ज्ञान और बुद्धि के साथ मन को प्रसन्न करने में मदद करें।
लाभ: यह मंत्र ज्ञान साधकों के मन को रोशन करने और नए सांसारिक अनुभवों के भय को दूर करने के लिए देवी सरस्वती को समर्पित है।