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बटला हाउस मुठभेड़: गृह मंत्रालय ने जानकारी देने से रोका, पुलिस अफसर का बड़ा खुलासा
दिल्ली में 2008 में हुई बटला हाउस मुठभेड़ के समय दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के संयुक्त आयुक्त रहे करनैल सिंह ने इस मुठभेड़ के संबंध में लिखी गई अपनी किताब में सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली में 2008 में हुई बटला हाउस मुठभेड़ के समय दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के संयुक्त आयुक्त रहे करनैल सिंह ने इस मुठभेड़ के संबंध में लिखी गई अपनी किताब में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उन्होंने खुलासा किया है कि बटला हाउस मुठभेड़ के संबंध में जानकारी देने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से कुछ संवाददाता सम्मेलन किए गए तो गृह मंत्रालय की तरफ से निर्देश दिया गया कि इस मुठभेड़ की जांच में प्रगति के बारे में मीडिया को और कोई भी जानकारी न दी जाए। गृह मंत्रालय की इस रोक के बाद आगे मीडिया को कोई भी जानकारी नहीं दी गई। इस मुठभेड़ को लेकर काफी विवाद हुआ था और इसे लेकर सियासत भी काफी गरमा गई थी।
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बम धमाकों के बाद हुई थी मुठभेड़
बटला हाउस मुठभेड़ से करीब एक हफ्ते पहले 2008 में दिल्ली में बम धमाके हुए थे। इन धमाकों की जांच का नेतृत्व भी करनैल सिंह ने ही किया था। इन बम धमाकों के करीब एक हफ्ते बाद 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में बटला हाउस मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था। इस दौरान पुलिस कार्रवाई का नेतृत्व करने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी शहीद हो गए थे।
किताब में खोले मुठभेड़ से जुड़े राज
अब इस मुठभेड़ के संबंध में करनैल सिंह की किताब बटला हाउस: ऐन एनकाउंटर दैट शुक द नेशन काफी चर्चा में है। इस किताब में करनैल सिंह ने इस चर्चित मुठभैड़ से जुड़े कई राज खोले हैं। उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े तारों, खुफिया जानकारियों और मुखबिर से मिली जानकारियों को एक साथ गूंथकर घटनाक्रम का पूरा ब्योरा अपनी किताब में पेश किया है।
batla-house encounter (social media)
मीडिया को जानकारी देने से रोका
आईपीएस अफसर करनैल सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि बटला हाउस मुठभेड़ के बाद पुलिस ने मीडिया के साथ कुछ मौकों पर जानकारियां साझा की थीं। इसके बाद उनके पास पुलिस आयुक्त का फोन आया और पुलिस आयुक्त ने हिदायत दी कि गृह मंत्रालय नहीं चाहता कि वह जांच में होने वाली प्रगति के बारे में मीडिया के साथ जानकारी साझा करें।
खुश नहीं थे कुछ राजनीतिक दल
करनैल सिंह ने खुलासा किया है कि इस घटना से जुड़े हुए आतंकवादी अल्पसंख्यक समुदाय के थे और इस बाबत ब्योरा बाहर आने से कुछ राजनीतिक दल खुश नहीं थे। मैंने इस बाबत अपनी ओर से दलील भी रखी कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और एक पुलिस अधिकारी के तौर पर हमारी यह ड्यूटी है कि हम आतंकवादियों के चेहरे को बेनकाब करें और उनके बारे में मिलने वाले सुराग पर तफ्तीश करें मगर मेरी दलील व्यर्थ साबित हुई।
जानकारी देना इसलिए जरूरी
उन्होंने कहा कि मेरा मानना था कि ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में मीडिया से जानकारी साझा की जानी चाहिए क्योंकि जानकारी साझा न करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि आधी अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया में खबरें चलने लगती हैं। कई बार बड़ी घटनाओं के संबंध में गलत और मनगढ़ंत खबरें भी चलने लगती हैं।
ऊपर से दिया गया था सख्त निर्देश
करनैल सिंह ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि मीडिया की ओर से लगातार हमसे बटला हाउस मुठभेड़ से जुड़ी जानकारियां मांगी जा रही थीं मगर हमें ऊपर से सख्त निर्देश दिया गया था कि मीडिया से जांच संबंधी कोई भी जानकारी साझा न की जाए। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में बटला हाउस मुठभेड़ एक ऐतिहासिक घटना साबित हुई।
police (social media)
मुठभेड़ से आईएम को करारा झटका
इस किताब को रूपा प्रकाशन की ओर से प्रकाशित किया जा रहा है। पुलिस अफसर ने दावा किया है कि बटला हाउस मुठभेड़ से आईएम को करारा झटका लगा क्योंकि इस संगठन के प्रमुख सदस्यों को पुलिस ने काबू में कर लिया और भारत में इस संगठन के नेटवर्क की कमर टूट गई।
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मुठभेड़ से मिली बड़ी कामयाबी
उन्होंने इस घटना में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह दुखद था कि हमने अपने सबसे होशियार और बहादुर अफसरों में से एक अफसर को खो दिया। उनकी तफ्तीश के बल पर ही हम इंडियन मुजाहिदीन के मुख्य सदस्यों तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब हो सके थे। आईपीएस अफसर का मानना है कि बड़ी घटनाओं के संबंध में मीडिया से जानकारी जरूर साझा की जानी चाहिए ताकि लोगों तक सही जानकारी पहुंच सके।
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