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कोरोना से जंग : वॉर रूम से देश भर पर नजर, क्या आप जानते हैं ये बात
ये सब राज्यों से कोरोना संबंधी डेटा एकत्र करके उनका विश्लेषण करते हैं। इससे ट्रेंड की पहचान होती है और पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है। इसी आधार पर राज्यों को उचित कार्रवाई करने के बारे में चेताया जाता है।
नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ युद्ध कई मोर्चों पर जारी है। इसका एक कंट्रोल या वॉर रूम भी है जो देश भर के डेटा पर नजर रखता है। इसी डेटा के आधार पर पूर्वानुमान लगाए जाते हैं और रणनीति बनती बदली रहती है। वॉर रूम में डॉक्टर, डेटा विश्लेषक, आईटी विशेषज्ञ और विभिन्न एजेंसियों के हेल्थ विशेषज्ञ समेत 30 लोग तैनात रहते हैं। ये सब राज्यों से कोरोना संबंधी डेटा एकत्र करके उनका विश्लेषण करते हैं। इससे ट्रेंड की पहचान होती है और पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलती है। इसी आधार पर राज्यों को उचित कार्रवाई करने के बारे में चेताया जाता है।
ये है वॉर रूम
ये वॉर रूम है नई दिल्ली स्थित स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के भवन में। यहाँ पहली मंजिल पर एक लाउंज में डेढ़ महीने से वॉर रूम काम कर रहा है। वॉर रूम में पाँच टीमों में लोगों को विभाजित किया गया है। हर टीम पाँच विशाल स्क्रीन पर आ रहे डेटा पर नजर रखती है। एक टीम संक्रमण के मामलों और मौतों की संख्या में वृद्धि को ट्रैक करती है, कितने समय में केस दोगुने हो रहे हैं ये देखती है और हॉटस्पॉट की पहचान करती है। एक अन्य टीम जिला स्तर तक बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता पर नजर रखती है।
तैयारियों का जायजा
एक तीसरी टीम भविष्य के अनुमानों को देखती है और उसकी तुलना में राज्य स्तर की तैयारियों का जायजा लेती है। हर दिन राज्यों के साथ इस डेटा को साझा किया जाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई अस्पताल या कोई जिला है जहाँ कोई वेंटिलेटर नहीं है, तो टीम उस राज्य को सचेत करती है। राज्यों से इनपुट लिया जाता है और उनका विश्लेषण करके उन्हें फीडबैक दिया जाता है।
एक चौथा समूह अनुमानों को देखता है कि संख्यायें किस ओर जा रहीं हैं। अंतिम टीम भारत की तुलना में वैश्विक रुझानों को ट्रैक करती है, और राज्यों के लिए लक्ष्य निर्धारित करती है।
सोशल मीडिया पर नज़र
सोशल मीडिया पर नज़र रखने वाला एक डैशबोर्ड भी है जहां फेक न्यूज़ और सूचनाओं की पहचान की जाती है और उपयुक्त चीजों को राज्यों के साथ साझा किया जाता है। हॉटस्पॉट पर नज़र रखने वाली टीम के एक सदस्य ने कहा, “हमारा काम मूल रूप से डेटा को देखना और राज्यों या मंत्रालय को इनपुट देना है ताकि वे भविष्य के लिए तैयार रहें। यही कारण है कि हर दिन ताजा मामलों की संख्या को देखने के बजाय, मामलों की डबलिंग के समय को देखते हैं ताकि ट्रेंड का पता चल सके। ऐसा करने पर पहले से ही मामलों की संख्या में उछाल का अनुमान लगाया जा सकता है।
एक स्क्रीन में अहमदाबाद और इंदौर जैसे सभी उभरते हुए हॉटस्पॉट्स के साथ-साथ मुंबई, पुणे और दिल्ली जैसे मौजूदा हॉटस्पॉट्स को दिखाया जाता है। माउस के एक क्लिक से मामलों, मौतों और डबलिंग समय सहित सभी प्रासंगिक डेटा स्क्रीन पर प्रकट हो जाता है। सभी इनपुट सीधे सचिव के पास जाते हैं।
बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर एक समिति कक्ष को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के लिए दूसरे वार रूम में परिवर्तित कर दिया गया है, ताकि प्रतिदिन या फिर कभी-कभी प्रति घंटा आधार पर राज्यों को फीडबैक दिया जा सके।