TRENDING TAGS :
महाराष्ट्र में OBC-SC वोटों की जंग हुई तीखी, शिंदे सरकार का बड़ा सियासी दांव, हरियाणा दोहराने की तैयारी
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और इसलिए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ खेमे की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
Maharashtra Politics: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली शानदार जीत का असर महाराष्ट्र की सियासत में भी दिखने लगा है। हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र में भी ओबीसी और एससी मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है और राज्य की शिंदे सरकार ने इन दोनों वर्गों के मतदाताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही शिंदे सरकार ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है।
लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ खेमा सतर्क है और इसीलिए राज्य के जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की जा रही है। क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने की मांग के जरिए एनसीपी में नेता शरद पवार को सियासी चोट पहुंचाने की कोशिश की गई है।
एससी और ओबीसी वर्ग के लिए बड़ा कदम
लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और इसलिए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ खेमे की चुनौतियां बढ़ गई हैं। यही कारण है कि भाजपा,शिवसेना का शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट विपक्षी गठबंधन को जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है। हरियाणा में भाजपा को मिली अप्रत्याशित जीत ने भी सत्तारूढ़ खेमे में उत्साह का संचार किया है और शिंदे सरकार जातीय समीकरण साधने का ताना-बाना बुनने की कोशिश में जुटी हुई है।
इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए शिंदे सरकार ने राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। ओबीसी मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है शिंदे सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि क्रीमी लेयर की सीमा को आठ लाख से बढ़कर 15 लाख किया जाना चाहिए।
मोदी सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
शिंदे सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम को ओबीसी मतदाताओं को लुभाने का बड़ा प्रयास माना जा रहा है। दरअसल ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण का लाभ पाने के लिए क्रीमी लेयर का सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता है और यह साबित करना पड़ता है कि परिवार की सालाना आय आठ लाख रुपए से कम है। अब अगर क्रीमी लेयर की सालाना आय इस सीमा को बढ़ाया जाता है तो महाराष्ट्र में काफी संख्या में ओबीसी वर्ग को इसका लाभ मिलेगा।
माना जा रहा है कि शिंदे सरकार की ओर से यह प्रस्ताव भेजे जाने के बाद केंद्र सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है। दरअसल बीजेपी महाराष्ट्र की सियासी जंग को काफी अहम मान रही है। इसलिए मोदी सरकार भी इस दिशा में बड़ा फैसला ले सकती है। इससे सत्तारूढ़ खेमे को ओबीसी वोट बैंक का समीकरण साधने में बड़ी मदद मिलेगी।
विपक्ष से मुद्दा छीनने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में लगे झटके के बाद मोदी सरकार अब महाराष्ट्र में कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती। इसलिए महाराष्ट्र कैबिनेट की ओर से पारित किए गए इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना जताई जा रही है। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि एनसीपी के नेता शरद पवार क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने की मांग लंबे समय से करते रहे हैं। शरद पवार का कहना है कि इससे ओबीसी वर्ग के काफी लोगों को आरक्षण की सुविधा का लाभ मिलेगा।
शिंदे सरकार भी इस मुद्दे का सियासी लाभ पाने की कोशिश में जुटी हुई है। इसीलिए इस मांग पर शिंदे कैबिनेट ने मुहर लगा दी है ताकि चुनाव में इस मुद्दे को उठाकर ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को साधा जा सके। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है और अगले विधानसभा सत्र में इसका बिल भी पेश किया जाएगा। इसके साथ ही आयोग के सदस्यों की भर्ती को भी मंजूरी दे दी गई है।
राहुल गांधी को जवाब देने की तैयारी
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ खेमा जातीय समीकरण साधने में विफल साबित हुआ था। विशेष रूप से भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। 2019 में 23 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा 2024 में सिर्फ नौ सीटों पर सिमट गई थी। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में दलित और ओबीसी मतदाताओं की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है और इसलिए शिंदे सरकार ने इस वोट बैंक पर निगाहें गड़ा रखी हैं।
राज्य सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम को कांग्रेस और एनसीपी की काट के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना की मांग के साथ ही यह आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है। हालांकि भाजपा समय-समय पर इस दावे का पुरजोर खंडन करती रही है मगर कांग्रेस नेता के बयान की काट के लिए अब ठोस कदम उठाने की पहल की गई है।