Beating The Retreat: वाघा की तरह जम्मू स्थित पाक सीमा पर भी देख सकेंगे 'बीटिंग द रिट्रीट', BSF ने उठाया ये कदम

Beating The Retreat: BSF ने ऑक्ट्राय पोस्ट को हर वीकेंड पर्यटकों के लिए खोल दिया है। अब आप वीकेंड में जवानों के जोशीले 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' को देखकर राष्ट्रप्रेम की भावना को और मजबूत कर सकते हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 6 Aug 2022 11:42 AM GMT
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Beating The Retreat Ceremony Octroi Post

Beating The Retreat Ceremony : महज कुछ दिनों बाद देश अपनी आजादी के 75वें साल को पूरा कर लेगा। ऐसे में आगामी 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। इस खास मौके को सरकार 'आजादी का अमृत महोत्सव' (Azadi Ka Amrit Mahotsav) के तौर पर मना रही है। 13 से लेकर 15 अगस्त तक 'हर-घर तिरंगा' (Har Ghar Tiranga) अभियान चलने वाला है।

सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ (BSF) ने पंजाब के वाघा-हुसैनीवाला सीमा (Wagah-Hussainiwala Border) की तरह जम्मू के करीब पाकिस्तान सीमा पर ऑक्ट्राय पोस्ट (Octroi Post) पर 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' (Beating the Retreat Ceremony) का आयोजन करने का निर्णय लिया है। BSF ने इस सीमा चौकी को हर वीकेंड पर्यटकों के लिए खोल दिया है। अब आप वीकेंड में जवानों के जोशीले 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' को देखकर अपने अंदर राष्ट्रप्रेम की भावना को और मजबूत कर सकते हैं। आप यहां बेहद नजदीक से पाकिस्तानी सेना की चौकी (Pakistani Army Post) देख सकते हैं और सेल्फी भी ले सकते हैं।

अभी तक यहीं होती थी 'बीटिंग द रिट्रीट'

बता दें कि, अब तक पाकिस्तान सीमा पर 'बीटिंग द रिट्रीट' सेरेमनी पंजाब के अटारी-वाघा, अमृतसर (Attari-Wagah, Amritsar) और हुसैनीवाला, फिरोजपुर सीमा (Hussainiwala, Firozpur) पर ही होती थी। ये सेरेमनी घरेलू पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय है।

शनिवार और रविवार को होती है सेरेमनी

ऑक्ट्राय पोस्ट (Octroi Post) पर बीएसएफ के जम्मू फ्रंटियर (BSF Jammu Frontier) द्वारा आयोजित ये सेरेमनी हफ्ते में दो दिन शनिवार और रविवार को आयोजित की जाती है। दोनों दिन पर्यटक यहां आकर इसका आनंद उठा सकते हैं। ऑक्ट्राय बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) जम्मू शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर है। सीमावर्ती गांव और खेत खलिहानों के बीच बनी सड़कों के जरिए आप यहां तक पहुंच सकते हैं। यहां केवल बीएसएफ के जवान ही मार्च-पास्ट और राष्ट्रीय ध्वज उतारने का काम करते हैं। इसमें पाकिस्तानी जवान शामिल नहीं होते हैं।

इस जगह का नाम क्यों पड़ा 'ऑक्ट्राय'

ऑक्ट्राय चौकी के नाम के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। बंटवारे से पहले तक यहां पाकिस्तान से ट्रेन आती थी। पाकिस्तान का बड़ा शहर सियालकोट यहां से महज 11 किलोमीटर दूर है। वहीं, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर की दूरी मात्र 100 किलोमीटर है। उन दिनों पाकिस्तान से जो भी सामान यहां पहुंचता था, उस पर चुंगी-कर लगता था। इसी कारण से इस जगह का नाम ऑक्ट्राय पड़ गया।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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