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अब ‘खाकी’ ही पहचान, बीड पुलिस ने वर्दी से सरनेम हटाने का लिया बड़ा फैसला

Maharashtra News: जातिगत भेदभाव को खत्म करने और पुलिस बल में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बीड जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नवनीत कंवत ने एक बड़ा कदम उठाया है।

Sonali kesarwani
Published on: 15 March 2025 4:33 PM IST
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Maharashtra News: महाराष्ट्र के बीड जिले में पुलिस प्रशासन ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नवनीत कंवत ने आदेश दिया है कि अब से बीड जिले में तैनात सभी पुलिसकर्मियों की वर्दी पर लगी नेमप्लेट से उनका उपनाम हटा दिया जाएगा। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य जातिगत भेदभाव को समाप्त करना और पुलिस विभाग में निष्पक्षता को बढ़ावा देना है।

एसपी कंवत ने क्या कहा

एसपी कंवत का कहना है कि पुलिसकर्मियों की कोई जाति या धर्म नहीं होती, वे सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुलिसकर्मियों को एक-दूसरे को उपनाम की जगह उनके पहले नाम से बुलाना करना चाहिए, जिससे जातिगत पूर्वाग्रह को खत्म किया जा सके। यह फैसला बीड जिले में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और जातिगत राजनीति के प्रभाव को कम करने के प्रयासों का हिस्सा है। हाल ही में जिले में बढ़ती जातिगत घटनाओं और अपराधों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस पहल से समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलेगा।

सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय

बीड जिले में विभिन्न समुदायों से पुलिस बल में अधिकारी आते हैं। पुलिस प्रशासन का मानना है कि यदि जाति-आधारित पहचान को नेमप्लेट से हटा दिया जाए तो पुलिसकर्मियों की पहचान उनके कर्तव्य और कार्यशैली से होगी, न कि उनके जाति या धर्म से। इससे पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा और सामाजिक समरसता को बल मिलेगा।


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