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पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप में खिंचीं तलवारें
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच खींचतान का दौर जारी है। ताजा मामला फोन टैपिंग विवाद का है जिसे लेकर दोनों ने एक-दूसरे पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोला है। राज्यपाल ने ममता के फोन टैपिंग के आरोप पर कहा कि मुख्यमंत्री कह रही हैं कि उनके पास आरोपों को साबित करने के लिए पुख्ता सुबूत हैं।
मुझे नहीं मालूम कि उनके पास क्या सबूत हैं। उनके पास क्या सुबूत हैं, यह तो वहीं जानें। लेकिन राज्य के व्यवसायियों, सियासी नेताओं के साथ ही बड़े अधिकारियों ने मुझसे मुलाकात कर अपनी समस्याओं की जानकारी दी है। इन सभी का कहना है कि उनके खिलाफ यहां साजिश के तहत जासूसी की जा रही है, जो उनकी निजता का हनन है। इसे किसी भी नजरिये से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
ममता का संगीन आरोप
राज्यपाल ने यह बातें ममता बनर्जी के आरोपों के बाद कही हैं। ममता ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया था कि उनका फोन टेप किया गया और उनके पास इस आरोप को साबित करने के पुख्ता सुबूत भी है। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस मामले को केंद्र के सामने उठाएंगी? उन्होंने कहा कि वहां उठाने से क्या फायदा होगा? सरकार को तो सब बातें पता है और उसी ने यह काम कराया है।
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ममता ने आरोप लगाया कि केंद्र के साथ ही अन्य दो राज्यों ने भी उनका फोन टेप कराया है जिसमें से एक भाजपा शासित राज्य है। हालांकि उन्होंने राज्यों के नामों का खुलासा नहीं किया। इससे पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने व्हाट्सएप के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों की जासूसी के लिए इजरायली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था।
टीएमसी ने राज्यपाल को सियासी नेता बताया
दूसरी ओर राज्यपाल की टिप्पणी पर तृणमूल कांग्रेस ने गहरी नाराजगी जताई है। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि जिस तरह से राज्यपाल मुख्यमंत्री के आरोपों पर पलटवार कर रहे हैं, उससे यह लगाता है कि वे राज्यपाल नहीं बल्कि किसी सियासी दल के नेता हैं। एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसा करना शोभा नहीं देता। उन्हें तो उन अधिकारियों के नामों का भी खुलासा करना चाहिए, जिन्होंने उनसे निजता के हनन की बात कही है।
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राज्यपाल ने की 370 हटाने की वकालत
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर दोनों के बीच जबर्दस्त अन्तर्विरोध दिख रहा है। जहां ममता बनर्जी विभिन्न कार्यक्रमों में अनुच्छेद 370 हटाने का जबर्दस्त विरोध कर रही हैं वहीं राज्यपाल इसकी वकालत कर रहे हैं। राज्यपाल धनखड़ ने इसे केंद्र की मोदी सरकार का सही फैसला करार देते हुए कहा कि इसका विरोध करने वालों को पहले अपनी गिरेबां में झांकना चाहिए। राज्य की हालत तो यह हो गई है कि यहां महज सियासी लाभ पाने के लिए हिंसा का सहारा लिया जाता है। हमें इसके प्रमाण भी देखने को मिले हैं। सारी सच्चाई मीडिया के कैमरों में कैद है। राज्यपाल ने यहां तक कहा कि यह पहला ऐसा राज्य है, जहां राज्यपाल को दीपावली पर मुख्यमंत्री शुभकामनाएं नहीं देतीं और न ही सरकारी समारोहों में उन्हें बुलाया जाता है।