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जल्द ही हिन्दी में उपलब्ध होगी भगत सिंह की जेल डायरी, पन्नों में कैद लाहौर जेल में बिताई जिंदगी
आजादी की लड़ाई में देश के लिए जान देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की चर्चित जेल डायरी जल्द ही हिन्दी में उपलब्ध होगी। भगत सिंह ने फांसी का फंदा चूमने
फरीदाबाद: आजादी की लड़ाई में देश के लिए जान देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की चर्चित जेल डायरी जल्द ही हिन्दी में उपलब्ध होगी। भगत सिंह ने फांसी का फंदा चूमने से पहले पाकिस्तान की लाहौर जेल में कठिन जिंदगी गुजारी थी और उनकी इस कठिन जिंदगी के हर लम्हे 404 पेज की इस डायरी में कैद हैं। भगत सिंह के परिवार वालों ने उनकी इस जेल डायरी का हिन्दी में अनुवाद कराया है और सितम्बर में इसकी लॉन्चिंग की जाएगी।
डायरी में कैद है लाहौर जेल में बिताई जिंदगी
देश के लिए जान देने के बाद भगत सिंह की असली डायरी उनके भतीजे बाबर सिंह के पास थी। उनकी मौत के बाद अब यह डायरी बाबर सिंह के बेटे यादवेंद्र संधू के पास है। फरीदाबाद में रहने वाले संधू का कहना है कि अब तक भगत सिंह के बारे में जो भी किताबें हैं, उसमें लेखकों के विचारों की भी छाया दिखती है।
इस डायरी के हिन्दी में प्रकाशन से लोगों को उनके खुद के लिखे विचार पढऩे को मिलेंगे। लाहौर सेंट्रल जेल में लिखी गयी भगत सिंह की इस डायरी के हर पेज पर वतनपरस्ती झलकती है। आजाद भारत के सपने को लेकर उन्होंने लाहौर जेल में जो कठिन दिन गुजारे, उसका हर लम्हा इस डायरी के हर पेज पर कैद है। जेल के कैद रहने के दौरान भगत सिंह ने जो डायरी लिखी थी वह इंग्लिश में थी। उसमें उर्दू भाषा का भी बहुत प्रयोग किया गया है। यह डायरी अंग्रेजी में पहले ही छप चुकी है, लेकिन अभी तक यह डायरी हिन्दी में उपलब्ध नहीं थी।
सितंबर में होगी किताब की लॉन्चिंग
इस डायरी के हिन्दी में प्रकाशन में एक और अनोखी चीज देखने को मिलेगी। इस किताब में एक तरफ उनकी डायरी के पन्नों की स्कैन कॉपी होगी तो दूसरी तरफ सामने के पेज पर हिन्दी में उसका अनुवाद होगा। इस किताब की लॉन्चिं सितम्बर में भगत सिंह जयंती पर भोपाल में होगी। भगत सिंह क्रांतिकारी होने के साथ ही एक अच्छे वक्ता, पाठक और लेखक भी थे।
सिर्फ 23 साल की उम्र में भी उनकी सोच में कितनी गहराई थी उसकी छाप उनकी जेल डायरी में मिलती है। डायरी के हर पेज पर वतन के प्रति उनका प्रेम झलकता है। अभी तक हिन्दी में यह डायरी उपलब्ध न होने से बहुत से लोग भगत सिंह के अंतिम दिनों में लिखे गए विचारों से अनभिज्ञ हैं। भगत सिंह ने अपने विचार लिखने के लिए लाहौर सेंट्रल जेल एडमिनिस्ट्रेशन से डायरी मांगी थी। 12 सितंबर 1929 को जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने डायरी दी थी। इसमें भगत सिंह ने जेल मेंबिताए गए कठिन लम्हों के साथ ही क्रांतिकारियों के संघर्ष के बारे में भी लिखा है। इस डायरी में भगत सिंह ने हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि अमेरिकी,