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Bharat Me Bhagdad Ki Ghatna: भारत में हुई भगदड़ की प्रमुख घटनाएँ, क्या थे प्रमुख कारण, कहाँ थी सरकारें

Bharat Me Bhagdad Ki Ghatnayen: ये भगदड़ मुख्य रूप से अव्यवस्थित भीड़, अफवाहों, सुरक्षा उपायों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण होती हैं। यहाँ भारत में हुई कुछ बड़ी भगदड़ की घटनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 31 Jan 2025 5:10 PM IST
Bharat Me Bhagdad Ki Badi Ghatna Death Cases and Causes
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Bharat Me Bhagdad Ki Badi Ghatna Death Cases and Causes 

Bharat Me Bhagdad Ki Ghatna: भारत में समय-समय पर धार्मिक आयोजनों, उत्सवों, राजनीतिक सभाओं और अन्य भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रमों में भगदड़ की घटनाएँ होती रही हैं। इनमें से कई घटनाएँ अत्यधिक हानिकारक रही हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई और हजारों घायल हुए। ये भगदड़ मुख्य रूप से अव्यवस्थित भीड़, अफवाहों, सुरक्षा उपायों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण होती हैं। यहाँ भारत में हुई कुछ बड़ी भगदड़ की घटनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है।

1954 प्रयागराज कुंभ मेला भगदड़

3 फरवरी, 1954 में प्रयागराज कुंभ मेले में असाधारण भीड़, सुरक्षा उपायों की कमी और अफवाहों के कारण भगदड़ हुई, जिसमें लगभग 800 लोगों की मौत हुई और हजारों घायल हुए, इसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया।


धार्मिक मेलों में भीड़ नियंत्रण के लिए नीतियाँ बनाई गईं।

1986 हरिद्वार कुंभ मेला भगदड़

1986 में हरिद्वार कुंभ मेले में स्नान के लिए उमड़ी भारी भीड़ और प्रशासन की लापरवाही के कारण 50 से अधिक लोगों की मौत हुई.


जिसके बाद कुंभ मेले के दौरान पुलिस और स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाई गई।

1992 अयोध्या सरयू नदी भगदड़

1992 में अयोध्या में सरयू नदी के किनारे कारसेवकों की भारी भीड़ और प्रशासन की अव्यवस्था के कारण भगदड़ हुई, जिससे 40 से अधिक लोग मारे गए।


इसके बाद धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए।

27 अगस्त, 2003

महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में स्नान के दौरान भगदड़ मच गई थी।


जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 140 घायल हो गए।

2005 सत्यम शिवम सुंदरम आश्रम, महाराष्ट्र में भगदड़

2005 में महाराष्ट्र के सत्यम शिवम सुंदरम आश्रम में भोजन वितरण के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे 258 लोगों की मौत हुई। सैकड़ों घायल हुए, इसके बाद बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण की गाइडलाइन्स लागू की गईं।

3 अगस्त, 2008 विलासपुर में भगदड़


हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाह की वजह से मची भगदड़ में 162 लोगों की मौत हो गई थी और 47 लोग घायल हो गए थे।

2008 जोधपुर, मेहरानगढ़ किला में भगदड़

30 सितंबर, 2008 में राजस्थान के जोधपुर शहर में भी कुछ ऐसा ही हादसा देखने को मिला।


जहां चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह की वजह से मची भगदड़ में लगभग 224 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

4 मार्च, 2010 को राम जानकी मंदिर में भगदड़

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में लगभग 63 लोगों की मौत हो गई थी। यहां लोग स्वयंभू बाबा से फ्री में कपड़े और खाना लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, जहां भगदड़ मचने से लोगों की मौत हो गई थी।

2011 सबरीमाला मंदिर केरल में भगदड़

केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में लोग सबरीमाला मंदिर में दर्शन करके वापस घर लौट रहे थे, उसी समय एक जीप की टक्कर से मची भगदड़ में 104 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।


इस घटना में 40 से ज्यादा लोग घायल भी हो गए थे।

8 नवंबर, 2011 के हरिद्वार में भगदड़

हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर मची भगदड़ में लगभग 20 लोगों की मौत हो गई थी।

19 नवंबर, 2012 को पटना में भगदड़

पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से भगदड़ मच गई थी, जिसमें लगभग 20 लोगों की मौत और कई अन्य लोग घायल हो गए थे।

2013 रतनगढ़ मंदिर, मध्य प्रदेश में भगदड़

13 अक्टूबर, 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि के जश्न के दौरान इस बात की अफवाह फैल गई कि जिस पुल को लोग पार कर रहे हैं वो ढहने वाला है।


जिसके बाद भगदड़ मच गई और इस घटना में 115 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

2014 पटना, गांधी मैदान भगदड़

2014 में पटना के गांधी मैदान में दशहरा समारोह के दौरान अचानक भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे 33 मौतें हुईं और सरकार ने त्योहारों के दौरान सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए।

2015 आंध्र प्रदेश के पुष्कर स्नान भगदड़

2015 में आंध्र प्रदेश में पुष्कर स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्थित प्रवेश व्यवस्था के कारण भगदड़ हुई, जिससे 27 लोग मारे गए और सरकार ने ऐसे आयोजनों में प्रवेश और निकासी के लिए विशेष गेट बनाए।

2016 वाराणसी, राजघाट पुल पर भगदड़

2016 में वाराणसी के राजघाट पुल पर संत जय गुरुदेव के अनुयायियों की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ हुई.


जिससे 24 से अधिक लोगों की मौत हुई और सरकार ने धार्मिक आयोजनों के लिए भीड़ नियंत्रण तकनीक विकसित की।

2022 माता वैष्णो देवी, जम्मू में भगदड़

2022 में जम्मू के माता वैष्णो देवी मंदिर में नए साल पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ हुई, जिसमें 12 मौतें हुईं और सरकार ने मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग और सीमित प्रवेश प्रणाली लागू की।

31 मार्च, 2023 को इंदौर में भगदड़

इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के मौके पर आयोजित 'हवन' के दौरान एक प्राचीन 'बावड़ी' या कुएं के ऊपर बनी स्लैब के ढह गई। इस घटना में लगभग 36 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

भगदड़ रोकने के लिए उठाए गए प्रमुख सरकारी कदम

  1. भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष पुलिस बलों की तैनाती।
  2. धार्मिक स्थलों और बड़े आयोजनों में CCTV कैमरों की स्थापना।
  3. प्रवेश और निकासी मार्गों को चौड़ा करना और भीड़ प्रबंधन तकनीक अपनाना।
  4. ऑनलाइन बुकिंग और डिजिटल टोकन सिस्टम को बढ़ावा देना।
  5. स्थानीय प्रशासन को भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशिक्षित करना।

भगदड़ की घटनाएँ मुख्य रूप से प्रशासनिक लापरवाही, अव्यवस्थित भीड़ और अफवाहों के कारण होती हैं। हालाँकि, सरकार और प्रशासन द्वारा विभिन्न नीतियों और उपायों को अपनाया गया है ताकि इन घटनाओं को रोका जा सके। लेकिन इसके बावजूद, आम जनता की सतर्कता और जागरूकता भी जरूरी है ताकि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर संयम और अनुशासन बना रहे।



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