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Bharat Ratna: चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, जानिए क्या है इसका सियासी मायने, पीएम मोदी ने कई राज्यों में साधा समीकरण

Bharat Ratna: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, पंजाब राजस्थान और अन्य राज्यों में रहने वाले जाट समुदाय के लोग आज भी चौधरी साहब से भावनात्मक लगाव महसूस करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने चौधरी साहब को भारत रत्न देने का ऐलान करके किसान और जाट समुदाय को साधने की बड़ी कोशिश की है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 9 Feb 2024 10:37 AM GMT
Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh, know its political meaning, PM Modi made equations in many states
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चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, जानिए क्या है इसका सियासी मायने, पीएम मोदी ने कई राज्यों में साधा समीकरण: Photo- Social Media

Bharat Ratna: लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार की ओर से चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का बड़ा ऐलान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए इस ऐलान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले चौधरी चरण सिंह का प्रदेश की सियासत पर गहरा असर माना जाता रहा है। किसान और जाट समुदाय पर उनकी मजबूत पकड़ थी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, पंजाब राजस्थान और अन्य राज्यों में रहने वाले जाट समुदाय के लोग आज भी चौधरी साहब से भावनात्मक लगाव महसूस करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने चौधरी साहब को भारत रत्न देने का ऐलान करके किसान और जाट समुदाय को साधने की बड़ी कोशिश की है। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि पीएम मोदी ने यह ऐलान ऐसे वक्त किया है जब चौधरी साहब के पोते जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के साथ भाजपा के गठबंधन की बातचीत अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।

Photo- Social Media

भाजपा और रालोद का गठबंधन हुआ पक्का

केंद्र सरकार की ओर से चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न का ऐलान किए जाने के बाद भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठजोड़ की चर्चाओं पर एक तरह से मुहर लग गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से इस बाबत किए गए ट्वीट को रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने रीट्वीट करते हुए लिखा कि आपने तो दिल जीत लिया।

जयंत चौधरी के ट्वीट से साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरण जल्द ही बदलने वाले हैं और जयंत चौधरी सपा से पल्ला झाड़कर भाजपा से हाथ मिलाने वाले हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को भी केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करना पड़ा जबकि उनकी पार्टी का जल्द ही लोकदल के साथ गठबंधन टूटने वाला है। इसे समाजवादी पार्टी के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

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किसान आंदोलन के बाद की नाराजगी खत्म

केंद्र सरकार की ओर से यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब हरियाणा और पंजाब के जाट समुदाय में भाजपा से नाराजगी दिख रही थी। मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 में बड़ा किसान आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन के दौरान पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान से जुड़े हजारों किसानों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया था। केंद्र सरकारों की ओर से कृषि कानून को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद ही यह आंदोलन समाप्त हुआ था।

हालांकि किसान आंदोलन खत्म हो गया मगर किसान और जाट समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी का भाव बना रहा। सियासी जानकारों का मानना है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान करके मोदी सरकार ने किसानों और जाट समुदाय को रिझाने की बड़ी कोशिश की है। इसीलिए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किए गए इस ऐलान के बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

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पीएम मोदी ने साधा बड़ा सियासी समीकरण

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को जाट समुदाय का बड़ा समर्थन हासिल हुआ था। इन दोनों चुनावों में राष्ट्रीय लोकदल का पश्चिम उत्तर प्रदेश में खाता तक नहीं खुल सका था। चौधरी साहब के बेटे अजित सिंह और जयंत चौधरी को भी हार का मुंह देखना पड़ा था मगर 2020 के किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय के छिटकने की संभावना जताई जा रही थी।

चौधरी साहब से जाट समुदाय आज भी काफी भावनात्मक लगाव महसूस करता है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने चौधरी साहब को भारत रत्न देने का ऐलान करके बड़ा सियासी समीकरण साधने की कोशिश की है और विपक्षी दलों के लिए इसकी काट खोजना आसान साबित नहीं होगा।

Shashi kant gautam

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