Bhima Koregaon Case: एल्गार परिषद केस में वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत, SC ने कहा- 'आरोप गंभीर हैं, मगर...'

Bhima Koregaon-Elgar Parishad Case:भीमा कोरेगांव से जुड़े एल्गार परिषद मामले में आरोपी वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि, बेल की शर्तें विशेष अदालत तय करेगी।

Aman Kumar Singh
Published on: 28 July 2023 10:50 AM GMT (Updated on: 28 July 2023 11:05 AM GMT)
Bhima Koregaon Case: एल्गार परिषद केस में वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत, SC ने कहा- आरोप गंभीर हैं, मगर...
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वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा (Social Media)

Bhima Koregaon-Elgar Parishad Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (28 जुलाई) को साल 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े एल्गार परिषद केस (Elgar Parishad Case) में आरोपी वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि, 'आरोप गंभीर हैं, लेकिन दोनों 5 साल से हिरासत में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, बेल की शर्तें स्पेशल कोर्ट तय करेगी। हालांकि, इन दोनों का पासपोर्ट जब्त रहेगा। वर्नोन गोंजाल्विस (Vernon Gonsalves) और अरुण फरेरा (Arun Ferreira) दोनों NIA अधिकारियों के संपर्क में रहेंगे। गोंजाल्विस और फरेरा पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम अर्थात UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज है।

सुनवाई के दौरान क्या कहा SC ने?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की पीठ ने निर्देश दिया कि, गोंजाल्विस और फरेरा महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाएंगे। शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि दोनों कार्यकर्ता एक-एक मोबाइल का इस्तेमाल करेंगे। मामले की जांच कर रहे एनआईए (National Investigation Agency) को अपना पता बताएंगे। जांच एजेंसी के संपर्क में रहेंगे।

गोंजाल्विस और फरेरा क्यों गए थे शीर्ष अदालत?

आपको बता दें, भीमा कोरेगांव से जुड़े मामले में गोंसाल्विस और फरेरा इस वक़्त मुंबई की तलोजा जेल (Taloja Jail) में बंद हैं। साल 2018 से वो सलाखों के पीछे हैं। दोनों की जमानत याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay high court) ने खाऱिज कर दी थी। जिसके खिलाफ गोंजाल्विस और अरुण फरेरा ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। आज (28 जुलाई) को जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की दो सदस्यीय बेंच ने उन्हें बेल दे दिया।

जानें क्या है मामला?

ये मामला पुणे का है। 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद (Elgar Parishad) के एक प्रोग्राम से जुड़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुणे पुलिस के अनुसार, इसके लिए धन माओवादियों ने उपलब्ध करवाई थी। पुणे पुलिस का आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों (Inflammatory speech) के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक में हिंसा भड़की थी।

Aman Kumar Singh

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