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1984 Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड पीड़ितों को SC से झटका, अतिरिक्त मुआवजे की मांग खारिज

1984 Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

Jugul Kishor
Published on: 14 March 2023 3:01 PM IST (Updated on: 14 March 2023 4:06 PM IST)
1984 Bhopal Gas Tragedy:  भोपाल गैस कांड पीड़ितों को SC से झटका, अतिरिक्त मुआवजे की मांग खारिज
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1984 Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड पीड़ितों को 7400 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिलेगा। पीड़ितो को सुप्रीम से बहुत बड़ा झटका लगा है। भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को उम्मीद थी कि अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब उनकी उम्मीदें टूट गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि इस मामले में पहले आना चाहिए था ना कि तीन दशक के बाद

1984 भोपाल गैस कांड में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच फैसला सुनाया। पिछली सुनवाई के दौरान 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। भोपाल गैस पीड़ित लंबे समय से मुआवजे को लेकर आवाज उठाते रहे हैं और अब पीड़ितों की नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लगी हुई हैं।

जानकारी के मुताबिक फैसला न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुनाया गया। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं। पीड़ितों के लिए बढ़े हुए मुआवजे के लिए केंद्र की याचिका में यूनियन कार्बाइड और अन्य फर्मों को 7,400 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राशि के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड के साथ अपने समझौते को फिर से खोलने के लिए केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने के लिए केंद्र सरकार ने 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर आकड़ों में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई क्यूरेटिव याचिका का उद्देश्य ही यह है कि मुआवजा राशि को नए सिरे से तय किया जाए। इन याचिकाओं में गैस पीड़ित संगठन भी याचिकाकर्ता है।



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Jugul Kishor

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