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चीन की बौखलाहट: पीएम मोदी ने लिए ये बड़े फैसले, उड़ गई दुश्मन की नींद

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि LAC पर अब इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो गया है। ऐसे में हमारे सैनिकों को यहां पेट्रोलिंग करने में आसानी होती है। चीन को बॉर्डर पर भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग देख कर बौखलाहट होती है।

SK Gautam
Published on: 22 Jun 2020 4:31 PM IST
चीन की बौखलाहट: पीएम मोदी ने लिए ये बड़े फैसले, उड़ गई दुश्मन की नींद
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नई दिल्ली: शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बयान जारी कर कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को जो भी पार करने की कोशिश करेगा भारत की तरफ से उसे करारा जवाब दिया जाएगा। गौरतलब है की लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुए हिंसक झड़प में 23 सैनिकों के शहीद होने के बाद सीमा पर तनाव बरकरार है। साथ ही पीएमओ ने यह भी कहा कि पहले सीमा पर चुनौतियों को नजरअंदाज किया गया। लेकिन अब सेना एलएसी का उल्लंघन करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देती है।

इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने से सैनिकों को पेट्रोलिंग करने में होगी आसानी

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि LAC पर अब इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो गया है। ऐसे में हमारे सैनिकों को यहां पेट्रोलिंग करने में आसानी होती है। जाहिर है चीन को बॉर्डर पर भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग देख कर बौखलाहट होती है। इसके अलावा चीन को भारत के हिस्से में रोड और ब्रिज भी खटक रहा है। पहले LCA के कई इलाकों में सैनिकों को पहुंचने में कई घंटे लगते थे। लेकिन हमारी सेना अब कुछ मिनटों में ही वहां पहुंच जाती है।

इस कारण हुआ था भारत का पक्ष कमजोर

गौरतलब है कि 1980 और 1990 के दशक के दौरान, चीन ने आर्थिक, सैन्य और बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारत को पीछे छोड़ दिया। 1990 के दशक में, सीमा प्रबंधन को लेकर भी कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। इससे भारत का पक्ष कमजोर हो गया था। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में स्वीकार किया था कि "हम लोग चीन के साथ बुनियादी ढांचे की रेस में काफी पीछे रह गए।" सेना प्रमुखों ने बार-बार बताया था कि कैसे हमारी सेना दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए अहम गोला-बारूद और सीमावर्ती बुनियादी ढांचे की कमी का सामना कर रहे थे।

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पीएम मोदी ने चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट OBOR का भी कड़ा विरोध

पूर्व सरकार ने कई ऐसी नीतियां बनाई लेकिन सब ठंडे बस्ते में पड़ी रहीं। साल 2014 में जैसे ही पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली उन्होंने सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने पर जोर दिया। ये पीएम मोदी ही थे जिन्होंने डोकलाम में चीन के इरादों पर पानी फेर दिया। उन्होंने RCEP पर रोक लगा दी। इसके अलावा उन्होंने चीन के ड्रीम प्रोजेक्ट OBOR का भी कड़ा विरोध किया।

पीएम मोदी ने BRO के बड़े अधिकारियों को दी छूट

सबसे पहले पीएम मोदी ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) को LAC के 100 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के अंदर रोड बनाने को कहा। बॉर्डर पर 66 अलग-अलग रोड बनाने को कहा गया था। इतना ही नहीं पहले इन सड़कों को बनाने के लिए रक्षामंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन पीएम मोदी ने सीधे BRO के बड़े अधिकारियों को फैसले लेने की छूट दे दी।

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काम में आई तेज़ी, हर साल 470 किलोमीटर की सड़क बनने लगी

BRO की डेटा के अनुसार चीन सीमा पर साल 2008 से 2017 के बीच एक साल में सिर्फ 230 किलोमीटर रोड बनती थी। लेकिन 2017 से 2020 के बीच ये सालाना 470 किलोमीटर पर पहुंच गया। इतना ही नहीं साल 2008 से लेकर 2014 के बीच सिर्फ 1 सुरंग बनायी गयी थी। लेकिन पिछले 3 सालों में यहां 6 सुरंग बनी हैं। साल 2008 से 2014 तक सिर्फ 7270 मीटर ब्रिज बने थे। लेकिन 2014 से 2020 के बीच 14450 मीटर लंबे ब्रिज बनाए गए।



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