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Reservation Quota: कांग्रेस का बड़ा बयान, 50 फीसदी से अधिक हो आरक्षण की सीमा, संसद को पारित करना चाहिए कानून

Reservation Quota: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी पार्टी कहती रही है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण से जुड़े राज्य के सभी कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।

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Published on: 30 Jun 2024 7:26 PM IST (Updated on: 30 Jun 2024 7:36 PM IST)
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Reservation Quota: आरक्षण की सीमा बढ़ाने को लेकर अब मांग तेजी से उठने लगी है। इसको लेकर कांग्रेस ने बड़ी बात कही है। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि संसद को एक कानून पारित करना चाहिए ताकि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक हो सके। विपक्षी पार्टी की ओर से यह बयान तब सामने आया है जब एक दिन पहले शनिवार को दिल्ली में जद (यू) की कार्यकारिणी की बैठक में यह मांग की गई कि बिहार में आरक्षण की सीमा को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।


ताकि न्यायिक समीक्षा की संभावना खारिज की जा सके

बता दें कि जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार को दिल्ली में बैठक हुई। जिसमें पार्टी ने उच्च न्यायालय के हाल ही में दिए गए उस फैसले पर चिंता जताई। जिसमें बिहार सरकार के अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दी गई। जदयू की बैठक में एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया गया। जिसमें पार्टी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से राज्य के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया ताकि उसकी न्यायिक समीक्षा की संभावना खारिज की जा सके।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी पार्टी कहती रही है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण से जुड़े राज्य के सभी कानूनों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।


इसके लिए संविधान संशोधन कानून की जरूरत है

उन्होंने कहा, यह अच्छी बात है कि जद (यू) ने कल यही मांग उठाई है। लेकिन उसकी सहयोगी भाजपा राज्य और केंद्र दोनों जगह इस मामले पर पूरी तरह चुप है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, आरक्षण कानूनों को 50 फीसदी की सीमा से परे नौवीं अनुसूची में लाना भी कोई समाधान नहीं है, क्योंकि 2007 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार ऐसे कानून न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए संविधान संशोधन कानून की जरूरत है।उन्होंने कहा, ऐसी स्थिति में संसद के पास एकमात्र रास्ता यही है कि वह संविधान संशोधन विधेयक पारित करे, जिससे एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक हो सके।कांग्रेस और जदयू के इस रूख से तो यही लगता है कि अब आरक्षण की सीमा बढ़ाने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इन दोनों पार्टियों के इस कदम से भाजपा की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है।



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Shalini Rai

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