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‘माछ-भात खाएंगे, महागठबंधन को जिताएंगे’ के नारे पर चोट

raghvendra
Published on: 18 Jan 2019 3:17 PM IST
‘माछ-भात खाएंगे, महागठबंधन को जिताएंगे’ के नारे पर चोट
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शिशिर कुमार सिन्हा

दरभंगा/पटना: आंध्र प्रदेश की मरी मछलियों को बिहार में लाकर बेचने का धंधा अरसे से चला आ रहा है। मृत मछलियों को यहां तक ठीकठाक लाने के लिए केमिकल का लेप लगाए जाने की बात भी अरसे से आ रही है। बिहार सरकार कई बार इसके आयात पर रोक की बात कह चुकी थी। अब लोकसभा चुनाव की आहट के बीच इन मछलियों के बहाने सारी मछलियों पर रोक की शुरुआत हो गई है।

पाबंदी की शुरुआत पटना से हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इसकी जद में पूरा बिहार होगा। लोकसभा चुनाव की आहट ही नहीं, बल्कि ‘सन ऑफ मल्लाह’ के आह्वान पर पटना में मछली-पालकों की विशाल रैली के कुछ महीने बाद यह निर्णय आना राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए गले की फांस बन सकता है। ऐसा इसलिए भी कि ‘सन ऑफ मल्लाह’ नाम से चर्चित मुकेश साहनी राजग में आते-आते महागठबंधन के खाते में जा चुके हैं।

बिहार में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की ओर से 14 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस की गई और कहा गया कि पटना नगर निगम क्षेत्र में 15 दिनों तक मछली की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी गई है। कोई भी मछली बेचते, भंडारण करते या इसे लाते-ले जाते पकड़ा गया तो 7 साल कैद और 10 लाख रुपए का जुर्माना होगा। प्रधान सचिव ने 10 सैंपल की जांच के दौरान मछलियों में हेवी मेटल पाए जाने की बात कही। सात सैंपल में जहरीले केमिकल की बता भी आई। गड़बड़ी मुख्य रूप से बाहरी मछलियों और मरी मछलियों में थीं, लेकिन रोक के दायरे में लोकल-जिंदा मछलियों को भी रखा गया।

15 दिनों के लिए बिहार सरकार की ओर से यह रोक ऐसे समय प्रभावी हुई, जब मुर्गे-चिडिय़ों की अस्वाभाविक और अनगिनत मौत से बिहार में बर्ड फ्लू का शोर मचा है और लोगों के पास नॉनवेज खाने के ऑप्शन कम हैं। इस रोक से मछली के शौकीन तो परेशान हैं, लेकिन मछली की राजनीति करने वालों को सरकार ने सहज तौर पर बड़ा मौका दे दिया है। पिछले करीब दो साल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने अपनी मांगों के समर्थन में लगातार दबाव बनाए रहने के बाद अंतत: महागठबंधन की ओर डायवर्ट होने वाले मछली-पालकों के युवा नेता मुकेश साहनी इसे मछुआरों के खिलाफ साजिश बताते हैं। साहनी फिलहाल अपने संभावित लोकसभा क्षेत्र दरभंगा में ‘माछ-भात खाएंगे, महागठबंधन को जिताएंगे’ के नारे को बुलंद कर रहे हैं। सरकार का ताजा आदेश भले फिलहाल पटना तक सीमित है, लेकिन प्रधान सचिव ने राज्य के अन्य हिस्सों की मछलियों की सैंपलिंग जांच के लिए भेजने की बात कही है। यानी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि कभी भी पूरे बिहार में मछलियों पर रोक का आदेश आ जाए। ऐसा हुआ तो राजग को आगे संसदीय चुनाव में भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

पटना में मछलियों पर रोक से मछुआरा समुदाय भडक़ा हुआ है और अगर ‘माछ-भात खाएंगे, महागठबंधन को जिताएंगे’ के नारे पर पूरे बिहार में चोट आई तो असर सीधे-सीधे मतदान पर पड़ेगा। मतदान पर असर की बड़ी वजह यह है कि मिथिलांचल समेत पूरे बिहार में मछली खाने के शौकीन सबसे ज्यादा हैं। मिथिलांचल में मछली पर रोक से दरभंगा की लोकसभा सीट पर मछुआरों की लड़ाई को अन्य जातियों का भी साथ मिल जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। महागठबंधन के नेता बिहार सरकार के इस निर्णय पर नजर रख रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मछली पर रोक पूरे बिहार में लागू होने पर मुकेश साहनी की ‘विकासशील इंसान पार्टी’ को महागठबंधन मिथिलांचल में मांग से ज्यादा सीटों पर भी मौका दे सकता है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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