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Bihar: बिहार एनडीए में फिर चली नीतीश की, विभागों के बंटवारे में मनवाई अपनी बात, जानें किसे मिला कौन सा विभाग
Bihar Politics: राज्य में बनी नई एनडीए सरकार में मंत्रियों के बीच हुए विभागों के बंटवारे ने इस बात पर एकबार फिर मुहर लगा दी है।
Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो जिस तरफ भी रहें एनडीए हो या महागठबंधन चलती उन्हीं की है। बीजेपी और राजद के मुकाबले कम संख्या बल होने के बावजूद कुमार इन दोनों बड़े दलों को पिछले 9 सालों से अपने सामने झुकाने में कामयाब रहे। राज्य में बनी नई एनडीए सरकार में मंत्रियों के बीच हुए विभागों के बंटवारे ने इस बात पर एकबार फिर मुहर लगा दी है।
भारतीय जनता पार्टी को पहले मुख्यमंत्री पद और फिर अहम विभागों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ समझौता करना पड़ा है। 28 जनवरी की शाम 8 कैबिनेट मंत्रियों के साथ नीतीश कुमार ने नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तब से मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारे का काम रूका हुआ था। बताया जा रहा था कि महत्वपूर्ण विभागों को लेकर जदयू-बीजेपी के बीच खींचतान मची हुई है। शनिवार को आखिरकार विभागों का बंटवारा हो गया।
जानें किसे मिला कौन सा विभाग
मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से विभागों के बंटवारे की फाइल पहले राजभवन भेजी गई। जिस पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के दस्तखत होते ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। जो सूची जारी की गई है, उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत 9 मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया गया है। सीएम नीतीश के पास पूर्व की तरह गृह एवं सामान्य प्रशासन विभाग रहेगा। साथ ही उनके पास वो विभाग भी रहेगा, जो किसी को आवंटित नहीं है।
बिहार बीजेपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को वित्त, स्वास्थ्य, नगर विकास एवं आवास, पंचायती राज, खेल, वाणिज्य- कर, कानून, पशु एवं मत्स्य संसाधन और उद्योग विभाग दिया गया है।
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को कृषि, पथ निर्माण, पीएचईडी, राजस्व एवं भूमि सुधार, श्रम, खान एवं भूतत्व, गन्ना उद्योग, लघु जल संसाधन और कला एवं संस्कृति विभाग दिया गया है।
विजय कुमार चौधरी को शिक्षा, जल संसाधऩ, संसदीय कार्य, सूचना एवं जनसंपर्क, भवन निर्माण और परिवहन विभाग मिला है।
ब्रिजेंद्र प्रसाद यादव को ऊर्जा, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण कार्य और योजना एवं विकास विभाग मिला है।
डॉ. प्रेम कुमार को सहकारिता, पर्यटन, आपदा प्रबंधन, वन एवं पर्यावरण, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग मिला है।
श्रवण कुमार को ग्रामीम विकास, समाज कल्याण, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग मिला है।
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को आईटी और एसस,एसटी कल्याण विभाग मिला है। वहीं, कैबिनेट में शामिल किए गए निर्दलीय विधाक सुमित कुमार सिंह को साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट दिया गया है।
विभागों के बंटवारे में नीतीश की कैसे चली ?
दरअसल, बिहार में गृह एवं सामान्य प्रशासन विभाग को काफी अहम माना जाता है। गृह विभाग के जिम्मे जहां राज्य की पुलिस आती है, वहीं सामान्य प्रशासन विभाग के जिम्मे राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारी आते हैं। पुलिस और प्रशासन से जुड़े सारे निर्णय उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग जब इन दो विभागों के जिम्मे होता है। इसलिए राजद हो या बीजेपी जब भी जदयू के साथ सरकार बनाती है, तो उनका दावा इन दोनों विभागों पर होता है। लेकिन सीएम नीतीश कुमार इन दोनों विभागों पर कभी भी समझौता करने के मूड में नहीं रहे हैं।
2005 में जब से उन्होंने बिहार की कमान संभाली है, ये दोनों महत्वपूर्ण विभाग उन्हीं के पास रहे हैं। 2022 में राजद और अब बीजेपी के द्वारा दबाव बनाने के बावजूद नीतीश इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए। वैसे भी बिहार में अधिकांश समय गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। एक बार कुछ समय के लिए राजद नेता शिवानंद तिवारी के पिता रामानंद तिवारी के पास गृह विभाग कुछ समय के लिए रहा था।
इसके अलावा इस बार शिक्षा विभाग भी नीतीश कुमार ने अपने पास ही रखा है, जो महागठबंधन सरकार के दौरान राजद के पास था। दरअसल, हाल-फिलहाल में बिहार में शिक्षकों की बड़े पैमान पर बहाली हुई है। एकबार फिर बिहार सरकार ने एक लाख शिक्षकों की बहाली निकाली है। ऐसे में सीएम नीतीश नहीं चाहते कि तेजस्वी यादव की तरह बीजेपी भी आगे चलकर शिक्षकों की बहाली का क्रेडिट केवल खुद ले ले।