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नई पहल : ‘बाल विवाह एवं दहेजमुक्त हो हमारा बिहार’ थीम पर कैलेंडर

raghvendra
Published on: 25 Jan 2018 10:15 PM IST
नई पहल : ‘बाल विवाह एवं दहेजमुक्त हो हमारा बिहार’ थीम पर कैलेंडर
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पटना। पिछले साल शराबबंदी के समर्थन में बिहार ने मानव शृंखला का रिकॉर्ड बना था। इस बार दहेजबंदी व बाल विवाह पर रोक का संदेश देने के लिए मानव शृंखला ने उस रिकॉर्ड को तोड़ा। बिहार सरकार ने इस बार संदेश को और ज्यादा प्रभावी बनाने की नई पहल के तहत पहली बार 12 पेज का कैलेंडर जारी किया है। इस कैलेंडर में जनवरी के पहले पन्ने पर ‘बाल विवाह एवं दहेजमुक्त हो हमारा बिहार’ थीम के साथ दुल्हन की तस्वीर दी गई है।

इस कैलेंडर के विभागों में पहुंचने के साथ ही हर स्तर पर चर्चा हो रही है और सरकार को अच्छा फीडबैक भी मिल रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच के मद्दनेजर बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान पर विस्तार से काम शुरू किया है। इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में इन संदेशों के साथ प्रचार शुरू किया गया है।

सूचना जनसंपर्क विभाग के निदेशक अनुपम कुमार बताते हैं कि पूरे बिहार में सरकारी दफ्तरों तक पहुंचने वाले हर शख्स की नजर तक बिहार सरकार की सोच पहुंचाने के लिए 10 हजार रंगीन कैलेंडर बनाए हैं। इसके कवर पेज पर सभी पेज का कोलाज है और जनवरी महीने से शुरुआत बिहार सरकार के संकल्प ‘दहेज मुक्त बिहार’ से की गई है। राज्य में स्थित बिहार सरकार के सभी दफ्तरों के साथ इस कैलेंडर को दिल्ली स्थित बिहार के सूचना केंद्र भी भेजा जा रहा है, ताकि राष्ट्रीय स्तर तक यह प्रतीक के रूप में दिखे।

इस परियोजना से जुड़े जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक (पत्र-पत्रिका) डॉ. रामबदन बरुआ कहते हैं कि बिहार में पुरातात्विक धरोहरों, व्यंजन, दर्शनीय स्थलों को मिलाकर हर साल एक पन्ने का कैलेंडर छपता था, लेकिन इस बार नई बात, नई चीज को सामने लाने के लिए 12 पेज के कैलेंडर की पहल की गई है। इस कैलेंडर में उन बातों को दिखाने का प्रयास किया गया है, जो बिहार के लिए नई है या बिहार की पहचान से जुड़ी है।

पटना में बने आधुनिक सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर और बिहार संग्रहालय की विहंगम तस्वीरों को अलग-अलग पन्ने पर जगह दी गई है। बिहार में इस बार चंपारण सत्याग्रह शताब्दी (2017) और वीर कुंवर सिंह के 160 विजयोत्सव (2018) की प्रतीक तस्वीरों को भी अलग-अलग पन्ना मिला है। महिला सशक्तीकरण और आपदा प्रबंधन की पहल को इस कैलेंडर में अलग-अलग पन्ना देते हुए सरकार ने अपनी सोच को दिखाने का प्रयास किया है तो परंपरा के तहत छठ-दशहरा और ईद की तस्वीरें भी कैलेंडर में दी गई हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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