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अपहरण की घटनाओं के कारण एक बार फिर चर्चा में बिहार

raghvendra
Published on: 9 Feb 2018 7:11 AM GMT
अपहरण की घटनाओं के कारण एक बार फिर चर्चा में बिहार
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बिहार एक बार फिर अपहरण की घटनाओं के कारण चर्चा में है। नए साल में राजधानी पटना के अंदर तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले दशक में जब ऐसी घटनाएं बहुत हो रही थीं तो इसे यहां ‘अपहरण उद्योग’ का नाम दिया गया था। नामी चिकित्सकों से लेकर स्कूली छात्र तक अगवा होते रहे थे। तब कई घटनाओं में राजनीतिक आकाओं के नाम की भी चर्चा निकलती थी। इस दशक में पहली बार अपहरण की वारदातों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अचानक इतनी तेजी क्यों? इस बार ‘अपहरण इंडस्ट्री’ का मालिक कौन है?

शिशिर कुमार सिन्हा

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पुलिस को कानून-व्यवस्था के लिए ताकीद करते रहे हैं, लेकिन इस साल अपहरण की लगातार सामने आ रही वारदातों ने मुख्यमंत्री को सीधे-सीधे दखल देने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार पुलिस के रास्ते ऐसी घटनाओं पर रोक की बात कह रही है, लेकिन अंदरखाने यह भी पता करने की कोशिश की जा रही है कि अचानक इस ट्रेंड के इतनी तेजी से उभरने के पीछे कोई बड़ा हाथ तो नहीं है। ऐसा हाथ जो अपहरण उद्योग से कमाई के साथ राज्य की नीतीश कुमार सरकार को हिलाने की कोशिश में भी जुटा हो।

पिछले महीने जब बिहार सरकार बाल विवाह और दहेज के खिलाफ मानव श्रृंखला की अंतिम तैयारी में जुटी थी, पटना में एक अपहरण-हत्या की घटना सामने आ गई। पटना सिटी क्षेत्र के अगमकुआं में स्कूल बस पकडऩे के लिए घर से निकले 14 वर्षीय रौनक कुमार का शव बरामद किया गया था। प्रॉपर्टी डीलर पिता से रौनक को छोडऩे के लिए 50 लाख रुपए मांगे जा रहे थे। तफ्तीश के बाद पता चला कि रौनक की जान लेने के बावजूद अपहर्ता सकुशल रिहाई के बदले पैसे मांग रहा था।

पटना पुलिस ने इस मामले में रौनक के साथ खेलने वाले एक शख्स को जिम्मेदार माना था। पुलिस इसी थ्योरी पर कायम थी कि किसी दूसरे का इसमें कोई हाथ नहीं है। हालांकि, बाद में एक पूर्व विधायक के बेटे समेत कई का नाम आया और पुलिस को अपनी थ्योरी में बदलाव लाना पड़ा। रौनक की हत्या को लेकर पटना सिटी में एक तरफ बवाल चल रहा था तो दूसरी तरफ राजधानी के नए बसे जगनपुरा इलाके से छह साल के स्कूली छात्र को बाइक पर सवार दो अपराधी उठा ले गए। इस घटना ने पटना पुलिस को मुश्किल में डाल दिया।

पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। पटना जिला की सीमा से बाहर सोनपुर में ठेकेदार पुत्र सौरभ राज को 12 घंटे के अंदर बरामद कर पटना पुलिस ने वाहवाही लूटी। यह वाहवाही का दौर भी थमा नहीं था कि पटना के पॉश न्यू पाटलिपुत्रा कॉलोनी से 14 वर्षीय छात्र मो. जाइद मल्लिक को 7 फरवरी को अगवा कर लिया गया। कुवैत में बतौर इंजीनियर 15 साल काम करके लौटे मो. आरिफ मल्लिक के बेटे जाइद को छोडऩे के लिए अपराधियों ने डेढ़ करोड़ की फिरौती मांगी थी। पुलिस ने गर्दनीबाग थाना के भीखाचक क्षेत्र में एक घर से जाइद को अपहरण के 12 घंटे के भीतर बरामद कर लिया।

कनेक्शन ढूंढना अब महत्वपूर्ण टास्क

पटना पुलिस के लिए नए साल के इन तीनों अपहरण कांडों का एक-दूसरे से कनेक्शन ढूंढऩा बड़ा टास्क है। पुलिस कनेक्शन ढूंढऩे के साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेगी कि आखिर अचानक अपहरण की वारदातों में इतनी तेजी क्यों आई है। हालांकि, इस मामले में फिलहाल बहुत परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि तीनों केस की तफ्तीश के हर पहलू को समझने वाले पटना के एसएसपी मनु महराज विशेष ट्रेनिंग के लिए पटना से बाहर जा रहे हैं।

एक महीने की इस ट्रेनिंग के दौरान ग्रामीण एसपी के पास एसएसपी का चार्ज रहेगा। ऐसे में इन कांडों को लेकर पुलिस अभियान का नेतृत्व करने वाले दूसरी पंक्ति के पुलिस अधिकारियों को स्पेशल टास्क दिया जा रहा है कि वह अपहर्ताओं के मुंह से निकली हर बात की तह तक जाने का प्रयास करें। वैसे, पटना के प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपहरण की वारदातों में इजाफा हुआ है, इसलिए राजधानी समेत हर जिले के एसपी को इन घटनाओं की खुद निगरानी की ताकीद की गई है।

अपहरण पर तब प्रधानमंत्री तक ने दी थी दखल

पटना में पिछले दशक में अपहरण की इतनी वारदातों को अंजाम दिया गया कि चिकित्सकों की एक खेप ही बिहार छोड़ गई। अपराधियों ने फिर इनसे ध्यान हटाकर स्कूली छात्रों को निशाना बनाना शुरू किया था। दोनों ही तरह के मामलों में राजनीतिक हस्तियों का दखल माना जाता था।

बिहार की चर्चा दिल्ली तक पहुंचने के कारण एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा भी था - ‘मेरा किसलय लौटा दो।’ डीपीएस के छात्र किसलय की हत्या के बाद पटना में कई दिनों तक मानव श्रृंखला से लेकर शांतिपूर्ण और उग्र, दोनों तरह के विरोध हुए थे। पूरे देश की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपहरण पर ही चर्चा करती थी, जिसके कारण चुनाव के दौरान पूर्ववर्ती राबड़ी देवी सरकार को जनता के सवालों का जवाब देना पड़ा था। एक प्रेस फोटोग्राफर के अपहरण पर तो मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से प्रेस प्रतिनिधियों ने यहां तक कह दिया था कि आप लोग चाहें तो बच जाएगा। इसपर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बिफरते हुए जानना चाहा था कि यह कहते हुए क्या इशारा किया जा रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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