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Lok Sabha Election: चुनाव सिर पर मगर बिहार NDA में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय नहीं, टिकट को लेकर दुविधा में फंसे सांसद

Lok Sabha Election 2024: एनडीए में शामिल दलों के अधिकांश सांसद लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के रुख से ज्यादा परेशान इस बात को लेकर हैं कि आखिरकार उनके टिकट का क्या होगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 1 March 2024 9:11 AM GMT
Nitish Kumar
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Nitish Kumar (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव सिर पर होने के बावजूद अभी तक बिहार में एनडीए में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला नहीं तय किया जा सका है। एनडीए में शामिल दलों के अधिकांश सांसद लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के रुख से ज्यादा परेशान इस बात को लेकर हैं कि आखिरकार उनके टिकट का क्या होगा। एक ओर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व देश के कई राज्यों में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने की कोशिश में जुटा हुआ है तो दूसरी ओर बिहार में अभी सीट बंटवारे का मुद्दा ही नहीं सुलझ सका है।

बिहार में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर पहले चर्चा होती रही है मगर नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद अभी तक सीट बंटवारे की तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। टिकट को लेकर दुविधा की स्थिति में फंसे सांसद दिल्ली की दौड़ लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं मगर अभी तक उनकी समस्या का कोई निदान नहीं हो सका है।

2019 में मिली थी बड़ी कामयाबी

चुनाव आयोग से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि आयोग की ओर से अगले महीने के दूसरे हफ्ते में चुनाव तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। इस कारण सीट बंटवारे को लेकर बिहार एनडीए में शामिल दलों के सांसदों की घबराहट और चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।

2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को बड़ी कामयाबी मिली थी और एनडीए ने राज्य की 40 में से 39 सीटें जीतकर महागठबंधन को करारा झटका दिया था। 2019 में महागठबंधन को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने किशनगंज सीट जीतकर महागठबंधन की कुछ हद तक लाज बचाई थी।

चिराग और पारस को लेकर दुविधा की स्थिति

चुनाव सिर पर होने के बावजूद अभी तक बिहार में दिवंगत नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है। बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक गुट में सांसद के रूप में अकेले चिराग पासवान हैं तो दूसरी ओर रालोजपा में पशुपति कुमार पारस समेत पांच सांसद हैं। भाजपा ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि पार्टी की ओर से इन दोनों गुटों में किसको ज्यादा महत्व दिया जाएगा और किस गुट को कितनी सीटें दी जाएंगी।

पिछले लोकसभा चुनाव में पारस ने रामविलास पासवान का गढ़ माने जाने वाले हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में जीत हासिल की थी मगर इस बार पारस के साथ ही चिराग पासवान ने भी इस सीट पर निगाहें लगा रखी हैं। दोनों के बीच हाजीपुर सीट को लेकर तीखी बयानबाजी होती रही है। पारस गुटके चार अन्य सांसद वीणा देवी,चंदन सिंह, प्रिंस राज और महबूब अली कैसर भी दुविधा में हैं। अगर चिराग की चली तो वे प्रिंस और चंदन सिंह को बेटिकट करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।

पिछली बार भाजपा के सुशील कुमार पिंटू जदयू के टिकट पर सीतामढ़ी से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे मगर इस बार उनका टिकट फंसा हुआ नजर आ रहा है। पिंटू के बयानों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं। जदयू की ओर से देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं और मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

जदयू में भी तस्वीर साफ नहीं

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 16 सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी। इस बार सीट बंटवारे को लेकर तस्वीर साफ न हो पाने के कारण जदयू के कई सांसद भी दुविधा की स्थिति में दिख रहे हैं।

नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के साथ ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन चुके हैं और पार्टी के टिकटों का अंतिम फैसला वही करेंगे। इसलिए माना जा रहा है की जीत की संभावना और नेतृत्व की प्रति निष्ठा के आधार पर ही जदयू के टिकटों का बंटवारा होगा। ऐसे में कई सांसद अपने टिकट को लेकर निश्चिंत स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।

भाजपा के बड़े नेता भी आश्वस्त नहीं

बिहार के भाजपा नेताओं में भी टिकट को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पार्टी में चर्चा सुनी जा रही है कि 72 साल की उम्र पार कर चुके नेताओं को इस बार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व टिकट से वंचित कर सकता है। अगर पार्टी की ओर से यह फॉर्मूला लागू किया गया तो राधा मोहन सिंह, गिरिराज सिंह और रमा देवी जैसे नेताओं का टिकट कटना तय हो जाएगा।

उम्र के अलावा भाजपा की ओर से कराए गए अंतरिक आंतरिक सर्वे के आधार पर भी कई सांसदों के टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी की ओर से युवा नेताओं और नए चेहरों को आगे बढ़ने पर जोर दिया जा रहा है और ऐसे में कुछ दिग्गजों के टिकट भी कटने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

मोदी और शाह के दौरे के बाद साफ होगी तस्वीर

यह भी चर्चा सुनी जा रही है कि लगातार तीन बार सांसद रहने वाले नेताओं के टिकट भी इस बार काटे जा सकते हैं। इस कारण भी बिहार भाजपा के कई चर्चित चेहरे इस बार वे टिकट हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जल्द ही बिहार के दौरे पर पहुंचने वाले हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के इन दोनों शीर्ष नेताओं के दौरे के बाद बिहार में लोकसभा चुनाव की तस्वीर कुछ हद तक साफ हो सकती है। इसके बाद सीट बंटवारे को लेकर फॉर्मूला तय करने की मुहिम भी तेज हो सकती है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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