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बिहार : जाने-अनजाने लोगों की मोक्ष प्राप्ति के लिए 16 सालों से कर रहा पिंडदान

 सनातन धर्म में मान्यता है कि पितृ ऋण से तभी मुक्ति मिलती है जब पुत्र मृत पिता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्घ करे। वैसे, पितृपक्ष में अपने पूर्वजों

tiwarishalini
Published on: 15 Sept 2017 3:59 PM IST
बिहार : जाने-अनजाने लोगों की मोक्ष प्राप्ति के लिए 16 सालों से कर रहा पिंडदान
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गया: सनातन धर्म में मान्यता है कि पितृ ऋण से तभी मुक्ति मिलती है जब पुत्र मृत पिता की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्घ करे। वैसे, पितृपक्ष में अपने पूर्वजों और पितरों को पिंडदान और तर्पण करने के लिए लाखों लोग पिंडदान के लिए बिहार के गया पहुंचते है।

परंतु, इस गया में एक ऐसा भी परिवार है, जो पिछले 16 सालों से गरीबों और ऐसे लोगों के लिए पिंडदान करता है, जिन्होंने जीवित रहते समाज को काफी कुछ दिया। गया के रहने वाले स्वर्गीय सुरेश नारायण के पुत्र चंदन कुमार सिंह ने गुरुवार को गया के प्रसिद्घ विष्णुपद मंदिर के नजदीक देवघाट पर पूरे हिन्दू रीति-रिवाज और धार्मिक परम्पराओं के मुताबिक गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युमन, पत्रकार गौरी लंकेश तथा गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मौत के शिकार हुए बच्चों की आत्मा की शांति सहित कई जाने-अनजाने सैकड़ों लोगों के मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया।

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चंदन ने आईएएनएस को बताया कि उनके पिता सुरेश नारायण वर्ष 2001 में गुजरात में जब भूकम्प आया था तब ऐसे बच्चों को देखा था जो कल तक अपने परिजनों के साथ महंगी कारों में घूमते थे, परन्तु वे अचानक सड़कों पर भीख मांग रहे थे।

उसी दिन से नारायण के मन में यह विचार आया कि क्यों न इन सैकड़ों लोगों के लिए पिंडदान किया जाए। उसके बाद से इस परिवार के लिए यह कार्य परंपरा बन गई।

चंदन बताते हैं, "मेरे पिता लगातार 13 वषरें तक इस परंपरा का निर्वाह किया और उनके परलोक सिधारने के बाद मैं इस कार्य को निभा रहा हूं।" उनका कहना है कि पूरी दुनिया अपनी है। अगर किसी का बेटा या परिजन होकर पिंडदान करने से किसी की आत्मा को शांति मिल जाती है, तो इससे बड़ा कार्य क्या हो सकता है।

बकौल चंदन, इस गया की धरती पर कोई भी व्यक्ति तिल, गुड़ और कुश के साथ पिंडदान कर दे तो उसके पूर्वजों को मुक्ति मिल जाती है। चंदन कहते हैं कि उनके पिता ने अपनी मृत्यु के समय ही कहा था कि वे रहे हैं या न रहें परंतु यह परंपरा चलनी चाहिए।

गया के देवघाट पर चंदन ने धार्मिक कर्मकांडों और परम्पराओं के मुताबिक गुरुवार को सामूहिक तर्पण और पिंडदान किया। यह पिंडदान रामानुज मठ के जगद्गुरु वेंटकेश प्रपणाचार्य के आचार्यत्व के निर्देशन में हुआ।

चंदन ने पुत्रवत और परिजन होकर जम्मू के उड़ी में शहीद हुए सैनिकों को मोक्ष मिले इसके लिए देवघाट पर गया श्राद्घ किया गया। इसके साथ ही देश-विदेश के प्रातिक आपदाओं में मारे गए जाने-अजाने सैकड़ों लोगों के लिए चंदन ने पिंडदान व तर्पण किया। मधुबनी के बेनीपट्टी बस दुर्घटना में मारे गए, अटारी, अमृतसर बस दुर्घटना में मारे गए आठ स्कूली बच्चे, बनारस भगदड़ में मारे गए 24 लोग, इंदौर पटना ट्रेन हादसे के शिकार हुए लोग, सुकमा (छत्तीसगढ़) में नक्सली हमले में शहीद हुए जवान, कलिंगा एक्सप्रेस में मारे गए यात्री, बिहार में बाढ़ के शिकार हुए लोगों सहित उन तमाम लोगों के लिए भी मोक्ष की प्रार्थना की, जो पिछले एक वर्ष के दौरान शरीर छोड़ चुके हैं।

जगद्गुरु वेंटकेश प्रपणाचार्य ने कहा कि अपना हो या काई और हो, किसी का नाम लेकर गयाधाम में पिंडदान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति हो जाती है। चंदन ने सामूहिक पिंडदान किया है। चंदन के पिता सुरेश नारायण ने भी लगातार 13 वषों तक इसी तिथि और इसी स्थान पर देश-विदेश के हजारों लोगों के लिए गया श्राद्घ किया करते थे।



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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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