Bihar Reservation: नीतीश सरकार को HC से झटका, अब नहीं मिलेगा 65 फीसदी आरक्षण, आदेश रद्द

Bihar Reservation: यह फैसला मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की पीठ ने सुनाया। पीठ ने इस मामले पर फैसला पहले ही सुनकर सुरक्षित कर लिया था। आज इस पर केवल अपना आदेश सुनाया।

Viren Singh
Published on: 20 Jun 2024 6:31 AM GMT (Updated on: 20 Jun 2024 7:28 AM GMT)
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Bihar Reservation (सोशल मीडिया) 

Bihar Reservation: बिहार हाईकोर्ट ने को राज्य में आरक्षण की सीमा पर बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को झटका दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण की सीमा को 50 फ़ीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी करने वाले सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। इस निर्णय अब राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को 65 फीसदी तक बढ़े आरक्षण सीमा का लाभ नहीं मिलेगा। अब इन जातीयों को फिर से 50 फीसदी आरक्षण सीमा का लाभ मिलेगा। कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार का यह निर्णय असंवैधानिक था।

एचसी की मुख्य पीठ ने सुनाया फैसला

बिहार सरकार ने जाति सर्वे के बाद शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी तक कर दिया था, जिस पर पटना हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता खंड का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की पीठ ने सुनाया। पीठ ने इस मामले पर फैसला पहले ही सुनकर सुरक्षित कर लिया था। आज इस पर केवल अपना आदेश सुनाया।

इस मामले पर दी कोर्ट ने यह टिप्पणी

पटना हाई कोर्ट का मानना है कि आरक्षण की जो सीमा पहले से ही निर्धारित है, उसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। ये मामला संवैधानिक है, इसलिए इस मामले पर आगे सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद ही इस मामले पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि कि अगर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी तो ये संवैधानिक बेंच ही तय करेंगी। जिससे ये साफ हो गया है कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट की बेंच के पास जाएगा, जहां बेंच ये फैसला करेगी कि बिहार सरकार क्या आरक्षण की सीमा बढा सकती है या नहीं।

राइट टू इक्विलिटी का उल्लंघन

अधिवक्ता गौरव ने कहा कि इस याचिका को सुनने के बाद पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने माना कि ये निर्णय नियमावली के खिलाफ है। हालांकि बिहार सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जा सकती है, जहां इस मामले में सुनवाई होगी. बिहार में जातिगत सर्वे कराया गया, जातिगत जनगणना नहीं की गई। इस मामले को राजनीतिक रंग दिया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि ये राइट टू इक्विलिटी का उल्लंघन है।

पहले से था फैसला सुरक्षित, आज दिया गया आदेश

नीतिश सरकार द्वारा आरक्षण सीमा में वृद्धि के खिलाफ गौरव कुमार सहित कुछ और याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष लंबी बहस हुई थी, जिसमें गौरव कुमार व अन्य याचिकाकर्ता शामिल हुए। राज्य सरकार की ओर से इस बहस में महाधिवक्ता पीके शाही शामिल हुए। दोनों लोगों का सारा पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बीते 11 मार्च को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया और 20 जून को इस पर फैसला सुनाते हुए 65 बढ़े आरक्षण सीमा को रद्द कर दिया।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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