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बिहार के शेल्टर कांड में जुल्म की इंतहा

raghvendra
Published on: 10 Aug 2018 7:38 AM GMT
बिहार के शेल्टर कांड में जुल्म की इंतहा
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शिशिर कुमार सिन्हा

पटना: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सायंस (टिस्स) के सोशल ऑडिट में सिर्फ बिहार के मुजफ्फरनगर ही नहीं बल्कि राज्य के तमाम ‘गृहों’ की असलियत खोली है। टिस्स ने समाज कल्याण विभाग के तहत राज्य के लगभग सभी ब्वायज चिल्ड्रेन होम, ऑब्जर्बेशन होम, अल्पावास गृह से लेकर शांति कुटीर तक के बारे में लिखा था। कुछेक को अच्छा भी बताया था और कई में जुल्म की इंतहा बताती कहानियां भी सामने लाई थी। टिस्स ने एनजीओ संचालित ज्यादातर ऐसे गृहों को लेकर नकारात्मक टिप्पणी की थी, लेकिन विभाग ने किसी भी एनजीओ से काम नहीं छीना था। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसे सभी होम्स सरकार द्वारा सीधे संचालित किए जाने और एनजीओ को काम नहीं देने की बात कही है। वैसे, एक सरकारी गृह में भी यौन शोषण की बात सामने आई है। टिस्स ने ऐसे एक सुधार गृह को यातना गृह तक लिखा है।

हर जगह रक्षक की वेश में भक्षक, शिकायत पर जंग लगे ताले

टिस्स की रिपोर्ट बताती है कि जिन पर रक्षक की जिम्मेदारी है, वही भक्षक बने हुए हैं। रिपोर्ट बताती है कि पटना में आईकेआरडी द्वारा संचालित अल्पावास गृह में जहां घर-परिवार से बिछड़ी बच्चियों के रहने की व्यवस्था है, वहां बच्चियों का नाम-पता व फोन नंबर होने के बावजूद परिजनों से मिलाने का प्रयास नहीं किया जाता है।

संस्थान में मानसिक और शारीरिक उत्पीडऩ से तंग आकर सालभर पहले एक बच्ची ने आत्महत्या कर ली थी। एक का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। खाना, पीना, रहना सबकुछ चौपट है। पटना में ही डॉन बॉस्को टेक सोसायटी कौशल कुटीर का संचालन किरती है। रिपोर्ट में बाकी व्यवस्था पर संतोष जताया गया है, हालांकि संचालिका पर अपमानजनक व्यवहार की बात सामने आई है।

  • कैमूर में ग्राम स्वराज द्वारा संचालित अल्पावास गृह के बारे बताया गया है कि वहां सब कुछ गार्ड भरोसे है। लड़कियों-महिलाओं की रोजमर्रा की जरूरतों का सामान भी गार्ड ही लाता है, वह ओछी बातें और हरकतें करता है।
  • मुंगेर में नॉवेल्टी वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित अल्पावास गृह के बारे में रिपोर्ट में लिखा है कि यहां एक महिला को विक्षिप्त बताकर कमरे में कैद रखा गया था, लेकिन सोशल ऑडिट के दौरान वह टिस्स की महिला सदस्य से लिपट कर रोने लगी। ऑडिट के दौरान एक स्टाफ बच्चियों को लगातार इस तरह घूर रहा था कि वह कुछ बोलें नहीं। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई।
  • अररिया में सरकार संचालित ऑब्जर्वेशन होम की सुरक्षा के लिए तैनात बिहार पुलिस का जवान यहां के बच्चों को यातनाएं देता है।
  • मुजफ्फरपुर में ओम साईं फाउंडेशन द्वारा संचालित सेवा कुटीर में रहने वालों ने शिकायत की कि काम दिलाने के नाम पर यहां रखा गया, लेकिन हर बात पर मारपीट की जाती है। टिस्स ने हिंसा की शिकायतों को गंभीरता से लेने की अनुशंसा की थी। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि गया में मेत्ता बुद्धा ट्रस्ट द्वारा संचालित सेवा कुटीर की व्यवस्था और प्रताडऩा के कारण यहां रहने वाले मानसिक बीमार हो रहे।
  • भागलपुर में रूपम प्रगति समाज समिति द्वारा संचालित ब्वायज चिल्ड्रेन होम में रेखा नाम की महिला की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलीं। ये शिकायतें यहां की पत्र पेटी में मिलीं, जिसका ताला लंबे समय से खोला ही नहीं गया था। पत्र पेटी की चाबी संचालक के पास ही मिली। जिन कर्मियों के खिलाफ शिकायत मिली, उन्हें हटाया गया लेकिन अब भी यह सुनिश्चित नहीं किया गया कि सारी शिकायतें दूर हो गई हैं।
  • मोतिहारी में निर्देश संस्थान द्वारा संचालित ब्वायज चिल्ड्रेन होम में यौन शोषण की शिकायतें हर उम्र वर्ग के बच्चों से मिलीं। गृह पिता से लेकर स्टाफ तक का दोष सामने आया।

विपक्ष पंद्रह दिनों में नहीं करा सका, सीडीआर ने एक दिन में किया मजबूर

मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम कांड की एक आरोपित की पत्नी ने सोशल वेलफेयर मिनिस्टर मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर का नाम 15 दिन पहले लिया था। विपक्ष ने इस मामले को खूब उछाला लेकिन मंत्री की कुर्सी खाली नहीं करवा पा रहा था। अब सीडीआर (कॉल डिटेल रिपोर्ट) के रूप में पक्का सबूत देखते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी ‘इकलौती’ महिला मंत्री मंजू वर्मा का इस्तीफा करवा लिया। कॉल डिटेल रिपोर्ट में मंत्री पति चंद्रशेखर और मुजफ्फरपुर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से 17 बार बातचीत की जानकारी सामने आई है।

मंत्री मंजू वर्मा ने कहा है कि वो ‘कुशवाहा’ जाति से हैं और इसीलिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उन्हें तंग कर रहे थे। वर्मा ने कहा कि वो इसी वजह से इस्तीफा दे रही हैं। लेकिन उनके पास यह जवाब नहीं है कि 15 दिन से इतना कुछ कहे-बोले जाने के बावजूद वह कुर्सी क्यों नहीं छोड़ रही थीं। इस इस्तीफे के साथ ही राजनीतिक गलियारे में ‘माइलेज’ की चर्चा तेज है। खुद सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी मान रही है कि चूंकि बलात्कार और हिंसा के लिए कुख्यात हुए शेल्टर होम्स समाज कल्याण मंत्रालय के तहत हैं, इसलिए मंत्री से पहले ही इस्तीफा ले लिया जाना चाहिए था। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के. सी. त्यागी ने भी कहा कि ‘मंत्री मंजू वर्मा को पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था।’

सीबीआई अब मंत्री तक भी पहुंच सकती है

समाज कल्याण मंत्रालय के ही शेल्टर होम में मुजफ्फरपुर कांड हुआ, इसलिए मंजू वर्मा तक जांच की आंच आने की आशंका भी इस इस्तीफे की एक वजह हो सकती है। सरकार इस बात को समझ रही है कि सीबीआई जांच में मंत्री के पास फाइल अटकाए जाने से लेकर टिस्स की रिपोर्ट दबाए जाने तक की बात सामने आ सकती है। दरअसल, सरकार अब तक यह कहती आ रही है कि उसी ने सोशल ऑडिट के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सायंस (टिस्स) को यह जिम्मेदारी दी थी, लेकिन हकीकत यह है कि विभाग के एक आला अधिकारी ने विभिन्न आशंकाओं के मद्देनजर इस ऑडिट के लिए आदेश जारी किया था। सोशल ऑडिट की जानकारी ऊपर तक नहीं थी, वरना यह ऑडिट शायद ही होता।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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