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तो क्या बिहार में लीची ने ही ले ली 66 बच्चों की जान!

मुजफ्फरपुर में रहस्‍यमय 'चमकी बुखार' का कहर बढ़ता ही जा रहा है। चमकी बुखार से अब तक 66 बच्चों की मौत हो चुकी है। शनिवार सुबह तक यहां के विभिन्‍न अस्‍पतालों में भर्ती 13 और बच्‍चों ने दम तोड़ दिया है।

Vidushi Mishra
Published on: 15 Jun 2019 3:24 AM GMT
तो क्या बिहार में लीची ने ही ले ली 66 बच्चों की जान!
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बिहार : मुजफ्फरपुर में रहस्‍यमय 'चमकी बुखार' का कहर बढ़ता ही जा रहा है। चमकी बुखार से अब तक 66 बच्चों की मौत हो चुकी है। शनिवार सुबह तक यहां के विभिन्‍न अस्‍पतालों में भर्ती 13 और बच्‍चों ने दम तोड़ दिया है। इस समय मुजफ्फरपुर में 100 से ज्यादा बच्चे इस बीमारी के चलते भर्ती हैं।

मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले कई दिनों से हर रोज बड़ी संख्या में बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जांच के बाद वही बीमारी सामने आ रही है जिसने पूरे देश की चिंता बढ़ा दी है।

इन बच्‍चों में चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के लक्षण पाए गए हैं। अकेले इस अस्पताल में शनिवार सुबह तक 55 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि मुजफ्फरपुर के एक और बड़े हॉस्पिटल केजरीवाल मातृ सदन में 11 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर बीमार बच्चों में लक्षण एक जैसे दिख रहे हैं। बुखार, उल्टी, शरीर में शुगर लेवल गिरना और ज्यादातर बच्चों में बीमारी के खतरनाक लक्षण सुबह के वक्त दिखाई दे रहे हैं।

इसका कारण इस इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश का न होना बताया जा रहा है। पहले की रिपोर्टों में कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एईएस के कारण हो रही इन मौतों के पीछे लीची का होना बताया था। कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं, जो इस बीमारी और मौतों का कारण हैं।

सुबह नाश्ते में लीची खा रहे हैं कुछ लोग

गर्मियों के दौरान इस इलाके के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चों को आमतौर पर नाश्ते के लिए सुबह से ही लीची खाने को दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह फल बच्चों में घातक मेटाबॉलिक बीमारी पैदा करता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया इंसेफेलोपैथी कहा जाता है। लीची में मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन, नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है।

जब शरीर में देर तक भूखे रहने और पोषण की कमी के कारण शरीर में शुगर लेवल कम हो जाता है तो यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है। बिहार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को खाली पेट लीची न खिलाएं और आधा पका हुआ या बिना लीची वाला भोजन ही करें।

बुखार के लक्षण

बुखार, उल्टी, शुगर लेवल गिरना, सुबह के वक्त लगता है बुखार

पिछले 10 दिनों में हालात और खराब

पिछले दस दिनों में मुजफ्फरपुर के इन दो बड़े अस्पतालों में 220 से ज्यादा बच्चों को एडमिट कराया जा चुका है। अभी मुजफ्फरपुर के अलग-अलग हॉस्पिटल्स में सौ से ज्यादा बच्चों का इलाज चल रहा है। इसके बावजूद डॉक्टरों को अभी तक ये पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर ये जानलेवा बीमारी क्यों फैल रही है।

यह बीमारी यहां कई दशकों से हो रही है। जांच के लिए कई देशों की टीम यहां आ चुकी, कई तरह के शोध हो चुके लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया कि आखिर ये बीमारी क्यों होती है और खास समय में ही क्यों होती है।

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हालांकि लगातार कोशिशें जारी है लेकिन जिस तरह से इस बार इस बीमारी ने गंभीर रूप धारण कर लिया है मेडिकल साइंस के साथ साथ मुजफ्फरपुर प्रशासन और बिहार सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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