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Bilkis Bano Gangrape Case: घटना के वक्त मात्र सात साल का था बिलकिस गैंगरेप केस का एकमात्र गवाह, दोषियों के लिए मांगी फांसी की सजा

Bilkis Bano Gangrape Case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब उस शख्स की भी प्रतिक्रिया आई है, जो बिलकिस गैंगरेप केस का इकलौता गवाह बना था। उसने इस जघन्य घटना में शामिल दोषियों के लिए फांसी की सजा मांगी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 12 Jan 2024 12:53 PM IST
Bilkis Bano Gangrape Case
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Bilkis Bano Gangrape Case   (photo: social media )

Bilkis Bano Gangrape Case: गुजरात दंगों के दौरान की सबसे चर्चित घटना बिलकिस बानो गैंगरेप केस एकबार फिर से खबरों में है। बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के आदेश को पलटते हुए मामले में दोषी ठहराए गए 11 आरोपियों की रिहाई को रद्द कर दिया। इस फैसले की जमकर तारीफ हो रही है। पीड़िता बिलकिस बानो ने इस पर अपनी प्रतिक्रया देते हुए कहा था कि मेरे लिए आज नया साल है, डेढ़ साल में पहली बार हंसी हूं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब उस शख्स की भी प्रतिक्रिया आई है, जो बिलकिस गैंगरेप केस का इकलौता गवाह बना था। उसने इस जघन्य घटना में शामिल दोषियों के लिए फांसी की सजा मांगी है। उसका कहना है कि दोषियों को फांसी नहीं तो कम से कम उन्हें उनके बचे हुए जीवन तक जेल में रखा जाना चाहिए। तभी उन्हें न्याय मिलेगा। घटना के वक्त शख्स मात्र सात साल का था। इसी की गवाही ने केस को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा की थी।

आंखों के सामने मां और बहन की हुई थी हत्या – चश्मदीद

बिलकिस बानो गैंगरेप का यह चश्मदीद आज भी उस खौफनाक पल को याद कर सिहर उठता है। दंगाईयों की एक भीड़ ने उसके आंखों के सामने उसकी मां और बड़ी बहन का कत्ल कर दिया था। उसे भी मारने की कोशिश हुई थी। घटना के वक्त महज सात साल के इस शख्स को सामाजिक कार्यकर्ता ने आश्रय दिया। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए चश्मदीद ने बताया कि मैंने अपनी आंखों के सामने परिवार के लोगों को मरते हुए देखा है।

मैं अब भी रात में जागता हूं और चिल्लाता हूं, क्योंकि इतने सालों बाद भी मुझे वो पल परेशान करते हैं। जब उन्हें सजा माफ कर रिहा किया गया तो मुझे बहुत दुख हुआ। मुझे अब कुछ हद तक राहत मिली है कि उन्हें फिर से जेल भेजा जाएगा। चश्मदीद ने बताया कि मेरी मां और बहन उन 14 लोगों में शामिल थी, जिन्हें उस दिन मेरी आंखों के सामने मारा गया था। सभी दोषियों को या तो फांसी दी जानी चाहिए या उन्हें बचे हुए जीवन तक सलाखों के पीछे रखा जाना चाहिए। इन लोगों को कभी रिहा नहीं किया जाना चाहिए। तभी न्याय मिलेगा।

चश्मदीद ने सीबीआई अदालत के सामने दी थी गवाही

चश्मदीद को आश्रय देने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि 3 मार्च 2002 को भीड़ ने जिस 17 लोगों के समूह पर हमला किया था, उनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। बिलकिस बानो भी उसी में शामिल थीं। बिलकिस का दंगाईयों ने पहले सामूहिक बलात्कार किया और फिर मरा हुआ समझकर छोड़ दिया। भीड़ ने बिलकिस के अलावा सात वर्षीय इस चश्मदीद और एक अन्य चार साल के लड़के को भी मरा हुआ समझकर छोड़ दिया था।

2005 में उसने मुंबई में सीबीआई अदालत के सामन गवाही दी थी। सुनवाई के दौरान 11 में से चार आरोपियों की पहचान भी की थी। बता दें कि वर्तमान में बिलकिस बानो गैंगरेप केस का यह एकमात्र चश्मदीद 28 वर्ष का हो गया है और अहमदाबाद में अपनी पत्नी और पांच साल के बच्चे के साथ रहता है।

क्या है पूरा मामला ?

2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भयानक सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। 3 मार्च को दंगाईयों की भीड़ ने दाहोद जिले के लिमेखड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में जमकर बवाल काटा था। इसी गांव में बिककिस बानो भी रह रही थी। दंगाईयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थी। तब बिलकिस की उम्र महज 21 साल थी और वह 5 महीने की गर्भवती थी। दंगाईयों ने खेत मं छिपे बिलकिस और उनके परिवार को पकड़ा लिया।

इसके बाद बिलकिस का गैंगरेप किया गया। इसके अलावा उसकी मां और तीन अन्य महिलाओं का भी रेप किया गया। हमले में परिवार के 17 सदस्यों में से सात को मौत के घाट उतार दिया गया था। 6 लोग लापता हो गए, जो आज तक नहीं मिले। गैंगरेप में शामिल आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में सीबआई की स्पेशल कोर्ट ने 11 आरोपियों को मामले में दोषी ठहराया था।

सभी को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल में और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी आरोपियों को गोधरा जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। 15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सजा को माफ करते हुए उन्हें जेल से रिहा कर दिया था। गुजरात की भाजपा सरकार ने यह फैसला विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले लिया था। इसलिए इस फैसले पर खूब बवाल हुआ था।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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