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पंडित जसराज: कुमार गंधर्व की डांट ने बना दिया रसराज, तबला वादन छोड़ लिया ये प्रण

पंडित जसराज के पिता पंडित मोतीराम जी मेवाती घराने के विशिष्ट संगीतज्ञ थे। तीन साल की उम्र में ही पंडित जसराज के सिर से पिता का साया छिन गया।

Roshni Khan
Published on: 28 Jan 2021 5:53 AM GMT
पंडित जसराज: कुमार गंधर्व की डांट ने बना दिया रसराज, तबला वादन छोड़ लिया ये प्रण
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पंडित जसराज: कुमार गंधर्व की डांट ने बना दिया रसराज, तबला वादन छोड़ लिया था ये प्रण (PC: social media)

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: शास्त्रीय संगीत के विलक्षण गायक माने जाने वाले पंडित जसराज का जन्म 1930 में आज ही के दिन हरियाणा के हिसार में हुआ था। पंडित जसराज का जन्म उस परिवार में हुआ था जिसकी चार पीढ़ियां हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से जुड़ी हुई थीं और जिस परिवार में एक से बढ़कर एक रत्न दिए। शास्त्रीय संगीत के रसराज पंडित जसराज ने पिछले साल 17 अगस्त को अमेरिका के न्यूजर्सी में अंतिम सांस ली।

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कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि पंडित जसराज ने पहले तबला वादन में हाथ आजमाया था। शुरुआत में वे तबला वादक ही बनना चाहते थे मगर उस समय के दिग्गज गायक कुमार गंधर्व की एक डांट ने उन्हें शास्त्रीय संगीत का रसराज बना दिया।

पंडित जसराज के पिता पंडित मोतीराम जी मेवाती घराने के विशिष्ट संगीतज्ञ थे। तीन साल की उम्र में ही पंडित जसराज के सिर से पिता का साया छिन गया। पंडित मोतीराम जी के बाद उनके बड़े सुपुत्र और पंडित जसराज के बड़े भाई संगीत महामहोपाध्याय पंडित मणिराम जी ने परिवार के लालन-पालन का भार संभाला।

बाल न कटाने का ले लिया था प्रण

pandit jasraj pandit jasraj (PC: social media)

पंडित मणिराम जी की छत्रछाया में ही पंडित जसराज ने संगीत का ककहरा सीखा। पहले उन्होंने तबला वादन सीखा और मणिराम जी अपने साथ बालक जसराज को तबला वादक के रूप में ले जाया करते थे। उस दौर में सारंगी वादकों की तरह तबला वादकों को भी बहुत ज्यादा सम्मान नहीं मिला करता था।

इसीलिए 14 साल की उम्र में पंडित जसराज ने तबला वादन त्याग दिया और यह प्रण लिया कि जब तक वे शास्त्रीय गायन में विशारद हासिल नहीं कर लेते तब तक अपने बाल नहीं कटवाएंगे।

इसके बाद पंडित जसराज ने मेवाती घराने के दिग्गज महाराणा जयवंत सिंह वाघेला और आगरा के स्वामी वल्लभदास जी से संगीत विशारद प्राप्त किया। उन्होंने 16 साल की उम्र में एक गायक के रूप में प्रशिक्षण लेना शुरू किया था और 22 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला लाइव संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

शिष्य बनने से कर दिया इनकार

पंडित जसराज ने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि 1960 में अस्पताल में उनकी मुलाकात बड़े गुलाम अली खान से हुई थी और तब गुलाम अली ने उनसे अपना शिष्य बनने के लिए कहा था। इस पर पंडित जसराज ने उन्हें इनकार कर दिया था क्योंकि वह पहले से ही मणिराम के शिष्य थे और उनसे गायकी का हुनर सीख रहे थे।

कुमार गंधर्व ने बुरी तरह डांटा

पंडित जसराज ने एक बार अपने गायक बनने के राज का खुलासा किया था। उनका कहना था कि 14 बरस की उम्र में मुझे एक कार्यक्रम में ऐसा अपमान झेलना पड़ा जिसने मुझे गायक बनने की ओर मोड़ दिया।

पुराने दिनों की याद करते हुए पंडित जसराज ने बताया था कि 1945 में लाहौर में मैं कुमार गंधर्व के साथ एक कार्यक्रम में तबले पर संगत कर रहा था। मेरे तबला वादन से कुमार गंधर्व नाराज हो गए और कार्यक्रम के अगले दिन उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा कि तुम मरा हुआ चमड़ा पीटते हो। तुम्हें रागदारी के बारे में कुछ नहीं पता।

पंडित जसराज ने बताया था कि उस दिन के बाद मैंने कभी तबले को हाथ नहीं लगाया और तबला वादन की जगह गायकी शुरू कर दी।

बेगम अख्तर के गीत के थे दीवाने

पंडित जसराज बेगम अख्तर के गीत दीवाना बनाना है, से बहुत अधिक प्रभावित थे। अपने स्कूल के दिनों में पंडित जसराज क्लास बंक करने के बाद एक छोटे से रेस्तरां में घंटों बैठा करते थे जहां यह गीत रोजाना बजा करता था। प्रसिद्ध संगीतकार जतिन-ललित उनके भतीजे हैं और 1980 के दशक में कई हिंदी फिल्मों में दिखने वाली सुलक्षणा पंडित और विजेता पंडित उनकी भतीजी हैं।

हिंदी फिल्म में पहली बार गायन

पंडित जसराज ने पहली बार सन 2008 में रिलीज किसी हिंदी फिल्म में गीत को अपनी आवाज दी। उन्होंने विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित फिल्म 1920 के लिए अपनी जादुई आवाज में गाना गाया। पंडित जसराज ने इस फिल्म के प्रचार के लिए बनाए गए वीडियो के गीत वादा तुमसे है वादा को अपनी दिलकश आवाज में गाकर सबका दिल जीत लिया।

इस गाने को समीर ने लिखा है और इसका संगीत अदनान सामी ने दिया है। इस गाने की शूटिंग मुंबई के जोगेश्वरी स्थित विसाज स्टूडियो में की गई थी। इस फिल्म में वर्ष 1920 के दौर का चित्रण किया गया है और यह एक भारतीय लड़के और अंग्रेजी लड़की की प्रेम कहानी है।

यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय

कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (आईएयू) ने मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित एक छोटे से ग्रह का नामकरण पंडित जसराज के नाम पर किया है। पंडित जसराज यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय कलाकार हैं।

इस छोटे ग्रह (माइनर प्लेनेट) की खोज 11 नवंबर 2006 को हुई थी और यह मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच भ्रमण करता है। पंडित जसराज ने इस सम्मान पर कहा था कि इसमें मुझे ईश्वर की असीम कृपा दिखती है। यह भारत और भारतीय संगीत के लिए भगवान का आशीर्वाद है।

सातों महाद्वीपों में पेश किया कार्यक्रम

पंडित जसराज ने 2012 में एक अनूठी उपलब्धि हासिल की थी। 82 साल की उम्र में उन्होंने अंटार्कटिका ने अपनी प्रस्तुति दी थी। इस प्रस्तुति के साथ ही वे सातों महाद्वीपों में कार्यक्रम पेश करने वाले पहले भारतीय बन गए। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज ने 8 जनवरी 2012 को अंटार्कटिका तट पर सी स्पिरिट नामक क्रूज अपना कार्यक्रम पेश किया था। इससे पहले वह 2010 में पत्नी मधुरा के साथ उत्तरी ध्रुव का दौरा भी कर चुके थे।

संकटमोचन मंदिर में पंडित जी का गायन

काशी के संकट मोचन मंदिर में होने वाला संगीत समारोह पंडित जसराज के बिना हमेशा अधूरा माना जाता था। पंडित जसराज ने कई वर्षों तक लगातार संकट मोचन संगीत समारोह में अपनी प्रस्तुति दी।

इस समारोह के दौरान पंडित जसराज अंतिम कलाकार के रूप में मंच पर पहुंचते थे और उन्हें सुनने के लिए भीड़ अंत तक जुटी रहती थी। इस दौरान वे हमेशा कहा करते थे कि हनुमान जी के दरबार में गाकर मैं धन्य हो गया। वे मंगला आरती तक अपना गायन पेश करते थे।

pandit jasraj pandit jasraj (PC: social media)

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शांताराम की बेटी से हुई शादी

कम ही लोगों को यह बात पता है कि पंडित जसराज की शादी वी. शांताराम की बेटी मधुरा के साथ हुई थी। शादी से पहले पंडित जसराज और मधुरा के बीच काफी दिनों तक पत्र व्यवहार भी चला था।

बाद में मधुरा ने साफ तौर पर कह दिया था कि शादी करूंगी तो पंडित जसराज से वरना नहीं करूंगी। वी शांताराम की रजामंदी के बाद 19 मार्च 1962 को मधुरा और पंडित जसराज की धूमधाम से शादी हुई थी।

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