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देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन खान, लखनऊ से रहा गहरा नाता

जाकिर हुसैन का लखनऊ से गहरा नता रहा। उनका परिवार शुरुआत में लखनऊ के मलिहाबाद में रहता था। यहां से परिवार हैदराबाद गया लेकिन हुसैन ने स्नातक की पढ़ाई लखनऊ में ही की।

Roshni Khan
Published on: 8 Feb 2021 6:53 AM GMT
देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन खान, लखनऊ से रहा गहरा नाता
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देश के तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन खान, लखनऊ से रहा गहरा नाता (PC: social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: देश के पहले मुस्लिम राषट्रपति ज़ाकिर हुसैन खान जयंती पर उन्हें एक शिक्षाशास्त्री, अर्थशास्त्री और राजनेता के साथ ही इस रूप में भी याद किया जा सकता है कि वह राष्ट्रपति पद पर रहते हुए मरने वाले पहले भारतीय थे। जिन्होंने 13 मई 1966 से 3 मई 1969 को अपनी मृत्यु तक भारत के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

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जाकिर हुसैन का लखनऊ से गहरा नता रहा

जाकिर हुसैन का लखनऊ से गहरा नता रहा। उनका परिवार शुरुआत में लखनऊ के मलिहाबाद में रहता था। यहां से परिवार हैदराबाद गया लेकिन हुसैन ने स्नातक की पढ़ाई लखनऊ में ही की। लखनऊ से उन्हें गहरा लगाव रहा। हालांकि बाद में उनका परिवार कायमगंज फर्रुखाबाद में बसा।

Zakir hussain khan Zakir hussain khan (PC: social media)

1963 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था

जाकिर हुसैन ने 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल के रूप में और 1962 से 1967 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वह जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सह-संस्थापक भी थे, 1928 से इसके उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए। उन्हें 1963 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

शिक्षा और संस्कृति के प्रसार के नजरिये से डॉ. जाकिर हुसैन का काल भारतीय जीवन का उत्कर्ष काल कहा जा सकता है। उस समय उच्च कोटि की शिक्षण व्यवस्था प्रचलित थी, जिसका उद्देश्य न केवल व्यक्ति का बौद्धिक विकास करना था, अपितु इसके साथ नैतिक एवं सांस्कृतिक उन्नयन भी रहा।

उन्नत समाज के निर्माण में भागीदारी देने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं

डॉ. जाकिर हुसैन ने हमेशा छात्रों में स्वप्न का भाव भरने की प्रेरणा दी ताकि युवा छात्र वर्ग सपने देखें व उन्हें पूरा करें। डॉ. हुसैन शिक्षा को व्यक्ति के आचरण, विचार व व्यवहार को परिमार्जन करने वाली प्रक्रिया मानते थे। उनके शिक्षा सम्बन्धी विचार भावी पीढ़ी में नैतिक गुणों का समावेश करने में आज भी समर्थ हैं और उन्नत समाज के निर्माण में भागीदारी देने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।

पूर्व राष्ट्रपति हुसैन ने शिक्षा के जो उद्देश्य स्पष्ट किये यदि उन्हें वर्तमान शिक्षा प्रणाली में डाला जाए व उनके अनुरूप शिक्षण कार्य कराया जाये तो शिक्षा का मुख्य लक्ष्य बालक का सर्वांगीण विकास शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है।

स्वयं रोजगार की क्षमता उत्पन्न करने में समर्थ हो जायेगी

जाकिर हुसैन ने शिक्षा प्रणाली का जो नवीनतम प्रारूप तैयार किया उसके मुताबिक यदि छात्रों में पाँच क्षमताओं- अनुसंधान व जिज्ञासा की क्षमता, सृजनशीलता और नवीनता, उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकी के उपयोग की क्षमता, उद्यमशीलता एवं नैतिक नेतृत्व की क्षमता का विकास किया जाए तो भावी पीढ़ी स्वयं अपने स्तर पर ही स्वप्रेरणा को सीखने वाली हो जायेगी तथा स्वयं रोजगार की क्षमता उत्पन्न करने में समर्थ हो जायेगी।

उनके विद्यालय सम्बन्धी विचार शिक्षण विधियाँ व पुस्तकालय सम्बन्धी विचार वर्तमान शिक्षा पद्धति में नव परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। समाज व शिक्षा में वर्तमान समय में फैली विकृतियों को दूर करने में जाकिर हुसैन की शिक्षा सहायक सिद्ध हो सकती है।

हुसैन का जन्म हैदराबाद राज्य में मध्य भारत में हुआ था

हुसैन का जन्म हैदराबाद राज्य में मध्य भारत में हुआ था। वह पंजाब का एक पश्तून मुसलमान थे जो खेसगी और अफरीदी जनजाति से संबंधित थे। दक्षिण जाने से पहले उनका परिवार संयुक्त प्रांत में मलिहाबाद में बसा था। जब हुसैन युवा हुए तो उनका परिवार हैदराबाद से क़ायमगंज चला गया। यहीं वह बड़े हुए और इसी तरह वह फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज से अधिक निकटता से जुड़ा रहे।

Zakir hussain khan Zakir hussain khan (PC: social media)

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विभाजन के बाद हुसैन के तमाम रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए लेकिन हुसैन के परिजनों ने भारत में रहना चुना, हुसैन की प्रारंभिक प्राथमिक शिक्षा हैदराबाद में पूरी हुई। उन्होंने इस्लामिया हाई स्कूल, इटावा से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर क्रिश्चियन डिग्री कॉलेज, लखनऊ विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, वह मुहम्मद एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज में चले गए, फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़े, जहां वे एक प्रमुख छात्र नेता थे। उन्होंने 1926 में बर्लिन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। 18 साल की उम्र में, उन्होंने शाहजहाँ बेगम से शादी की और उनकी दो बेटियाँ, सईदा खान और साफिया रहमान थीं।

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