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बिटक्वाइन ने मचाया तहलका,12 लाख से ऊपर पहुंची कीमत

आभासी मुद्रा यानी ‘क्रिप्टो करेंसी’ ने दुनियाभर में तहलका मचाया हुआ है। 8 दिसंबर को ही बिटक्वाइन नामक क्रिप्टो करेंसी की कीमत 19 हजार डॉलर हो गयी है। इसकी

Anoop Ojha
Published on: 8 Dec 2017 4:14 PM IST
बिटक्वाइन ने मचाया तहलका,12 लाख से ऊपर पहुंची कीमत
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बिटक्वाइन ने मचाया तहलका,12 लाख से ऊपर पहुंची कीमत

नीलमणि लाल

नईदिल्ली:आभासी मुद्रा यानी ‘क्रिप्टो करेंसी’ ने दुनियाभर में तहलका मचाया हुआ है। 8 दिसंबर को ही बिटक्वाइन नामक क्रिप्टो करेंसी की कीमत 19 हजार डॉलर हो गयी है। इसकी तूफानी तेजी का यह आलम है कि मात्र एक दिन में बिटक्वाइन12 हजार से बढ़ कर 19 हजार डॉलर (12 लाख 35 हजार रुपये) हो गया। बिटक्वाइन क्रिप्टो करेंसी में सबसे ज्यादा प्रचलित और मशहूर है। बिटक्वाइन ही नहीं, बल्कि ऐसी अन्य करेंसी की कीमतें बढ़ रही हैं जिस कारण बड़ी तादाद में भारतीय निवेशक इस तरफ तेजी से आकर्षित हो रहे हैं।

चूंकि यह आभासी करेंसी है इसलिए बिटक्वाइन समेत अन्य क्रिप्टो करेंसी के नाम पर कई फ्रॉड भी हो रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने आगाह भी किया है कि बिटक्वाइन, डॉजक्वाइन, लाइटक्वाइन, एरेथियम वगैरह कोई भी क्रिप्टो करेंसी वैध मुद्रा नहीं है, इसका लेन-देन भी वैध नहीं है इसलिए निवेशकों को बहुत सावधान रहना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी कह चुके हैं कि बिटक्वाइन को मान्यता नहीं दी जायेगी।

जोखिम से सावधान

क्रिप्टो करेंसी में हाथ डालने से पहले इसके जोखिमों के बारे में जानना सबसे जरूरी है। क्रिप्टो करेंसी सेबी, रिजर्व बैंक, जैसे किसी नियामक के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। इसलिये इसमें जो कुछ करना है अपने ही रिस्क पर करना है। क्रिप्टो करेंसी में उतार-चढ़ाव बहुत अधिक है। क्रिप्टो करेंसी खरीदने और बेचने वालों के एक-दूसरे से अनजान होना भी एक जोखिम है। हाल-फिलहाल बिटक्वाइन से संबंधित कई स्कीमें आ गयी हैं। बड़े लुभावने सपने दिखाये जा रहे हैं। अनुमान है कि दुनिया में एक हजार से ज्यादा ही क्रिप्टो करेंसी हैं और रोजाना एक नई बाजार में आ जाती है। सो बहुत सोच समझ कर पैसा लगाना चाहिये। जोखिम कम करने के लिए बिटक्वाइन या ऐसी किसी करेंसी में उतने ही निवेश से शुरुआत करनी चाहिये जिसे गंवाने की आप क्षमता रखते हैं।

जलवा है बिटक्वाइन का

जुलाई 2010 में एक बिटक्वाइन का मूल्य 0.05 अमेरिकी डॉलर था जो 21 अक्टूबर २०१७ को 6000 डॉलर और ८ दिसंबर २०१७ को १६ हजार डॉलर (९ लाख रुपए) हो गया। अनुमान है कि एक बिटक्वाइन का भाव इस साल के अंत तक २० हजार डॉलर तक पहुंच सकता है। इधर जिस तरह से जापान में इसे एक कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता दी गई, उसके आधार पर अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि साल के अंत तक एक बिटक्वाइन की कीमत कहीं से कहीं पहुंच जाएगी। दुनिया भर में एक करोड़ से अधिक बिटक्वाइन हैं। माना जा रहा है कि यह करेंसी इस तरह डिजाइन की गयी है कि यह २ करोड़ से ज्यादा नहीं बन सकती। इसीलिये इसकी सप्लाई कम और डिमांड ज्यादा है। बिटक्वाइन के लेन-देन के लिए बिटक्वाइन एड्रेस का प्रयोग किया जाता है। बिटक्वाइन की सबसे छोटी संख्या को सातोशी कहा जाता है। एक बिटकॉइन में 10 करोड़ सातोशी होते हैं। बिटक्वाइन पूरी खरीदी जाए यह जरूरी नहीं और एक सतोशी तक खरीदा-बेचा जा सकता है।

कैसे मिलते हैं बिटक्वाइन

ऑनलाइन गेमिंग-क्विज जीतने पर बिटक्वाइन से पेमेंट होता है। साथ ही, पैसे देकर भी बिटक्वाइन खरीदा जा सकता है। इसकी खरीद फरोख्त बिटक्वाइन एक्सचेंज के जरिए होती है। और भारत में प्रमुख एक्सचेंज है ‘जेब पे’। वैसे, कालाधन, हवाला, ड्रग्स का कारोबार, फिरौती की रकम, टैक्स की चोरी और आतंकवादी गतिविधियों में बिटक्वाइन जैसे करेंसी का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह लेन-देन किसी सरकारी एजेंसी की निगाह से दूर होता है। ऐसे अनगिनत वेबसाइट हैं जो बिटक्वाइन को स्वीकार कर रही हैं। बिटक्वाइन का लेन देन कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए बिना किसी मध्यस्थता के किया जा सकता है। इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है।

किसने बनाया बिटक्वाइन

बिटकॉइन को 2009 में प्रचलित किया गया। इसको बनाने वाला कौन है, यह आज तक पता नहीं चल पाया है। वैसे अनुमान लगाया जाता है कि जापान के सतोषी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर इसे बनाया था। यह भी कहा जाता है कि नाकामोतो के पास दस लाख बिटक्वाइन हैं और वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल है।

बिटकॉइन माइनिंग

आम भाषा में माइनिंग का मतलब है खनन। चूंकि बिटक्वाइन का कोई भौतिक रूप तो है नहीं सो इसकी माइनिंग (बिटक्वाइन का निर्माण) परंपरागत तरीके से नहीं हो सकती। अत: कम्प्यूटर द्वारा बिटक्वाइन को बनाना ही माइनिंग कहा जाता है। यह काम करने वाले माईनर्स कहे जाते हैं और बिटक्वाइन माईनर्स को माइनिंग के लिए एक खास हार्डवेयर या शक्तिशाली कंप्यूटर और बिटक्वाइन माइनिंग सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। बिटक्वाइन बनाने का काम भी बहुत जटिल और खर्चीला है। अत्यंत जटिल कम्प्यूटर एल्गोरिथम्स और कम्प्यूटर पावर से इस मुद्रा का निर्माण किया जाता है। माइनिंग करके बिटक्वाइन बनाने वाले को बिटक्वाइन में ही पेमेंट होता है।

क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं

बिटक्वाइन को ज्यादातर देश इसलिए मान्यता नहीं दे रहे हैं क्योंकि इसके $जरिए होने वाली खरीद-फरोख्त और इसके धारकों का पता लगाना मुश्किल है। असल में, मनीलांड्रिंग यानी काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया में बिटक्वाइन काफी मददगार साबित हो रहे हैं। भारत में अपने खाते में रुपए बिटक्वाइन में बदलवाकर डाल दिए जाएं और उन्हें दुनिया में कहीं भी जाकर डॉलर में भुना लिया जाए, तो उसकी धरपकड़ नहीं हो सकती। हवाला, टैक्स चोरी, मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त, हैकिंग और आतंकी गतिविधियों में बिटक्वाइन के बढ़ते इस्तेमाल ने अर्थशास्त्रियों, सुरक्षा एजेंसियों और सरकारों तक की नींद उड़ा दी है। कुछ महीने पहले लाखों कंप्यूटर्स को वायरस रैंसमवेयर ने हैक कर लिया। जब कंपनियों ने इस वायरस को हटाना चाहा तो उनसे भारी कीमत वह भी बिटक्वाइन के रूप में मांगी गई थी। चीन के मार्केट रेग्युलेटर ने पिछले महीने क्रिप्टो करंसी के बाजार पर दबाव बनाया, जिससे कि दुनिया के सबसे बड़े बिटक्वाइन एक्सचेंज में से एक ‘बीटीसी चाइना’ को यह घोषणा करनी पड़ी कि सितंबर महीने के बाद वह ट्रेडिंग को बंद कर रहा है।

कैसे पाएं क्रिप्टो करेंसी

• इंटरनेट पर मौजूद एक्सचेंज वेबसाइट्स प्रमुख मुद्राओं के बदले में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध कराती हैं। इसी तरह कुछ ऐप्स भी फीस लेकर बिटक्वाइन बेचते हैं। स्मार्टफोन के जरिए ऐप डाउनलोड करके भी बिटक्वाइन हासिल किए जा सकते हैं। भारत में जेबपे नामक ऐप से इसकी खरीद बिक्री हो रही है।

• वस्तुओं या सेवाओं को बेचने के बदले उनका भुगतान बिटक्वाइन में मांगा जाए।

• बिटक्वाइन माइनिंग। इसके लिए सिस्टम पर बिटक्वाइन से जुड़ा कम्यूनिटी सॉफ्टवेयर इंस्टाल करना पड़ता है। कम्यूनिटी सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने पर शुरुआत में कुछ बिटक्वाइन मुफ्त मिलते हैं। फिलहाल एक नए माइनर को रिवॉर्ड के रूप में 25 बिटक्वाइन मिलते हैं।

नफा-नुकसान

बिटक्वाइन के बेशुमार फायदे हैं। जैसे, इसे ई-मेल की तरह दुनिया में कभी भी, कहीं भी, किसी को भी ट्रांसफर किया जा सकता है। कोई सरकार या बैंक इस मुद्रा पर सेंसरशिप नहीं लगा सकता। इसके सिस्टम को हैकिंग-प्रूफ माना जाता है। बिटक्वाइन की नकली मुद्रा बनाना भी नामुमिकन है क्योंकि मैथेमेटिकल कोड पर आधारित सिस्टम में फर्जी कोड जनरेट नहीं हो सकता। यह पहले से तय है कि इतने ही बिटक्वाइन बनेंगे तो फिर अलग से एक भी बिटक्वाइन बनाना नामुमकिन है। अगर कोई चाहता है कि पैसे ट्रांसफर करने, आर्थिक लेन-देन करने में न तो बीच में कोई बैंक या व्यक्ति आए और न ही ट्रांजेक्शन फीस ले तो यह सिर्फ बिटक्वाइन में मुमकिन है।

इसके कुछ नुकसान भी हैं। सरकारें इस पर टैक्स नहीं ले सकतीं, इस वजह से बैंक और सरकारें इसे मान्यता नहीं देते हैं। चूंकि इसके जरिए होने वाली खरीदारी पूरी तरह गोपनीय होती है, सरकारी एजेंसियां इसके लेनदेन का पता नहीं लगा सकतीं, इसलिए इसका फायदा अपराधी तत्व उठाते हैं।

कुछ और बातें

• वर्ष 2009 में बिटक्वाइन 36 पैसे का था जो 2013 आते-आते 12 हजार रुपये का हो गया।

• जेबपे और यूनॉकॉइन समेत कई वेबसाइटों के जरिए भारत में बिटक्वाइन व्यापार किया जा सकता है। बिटक्वाइन खरीदने के लिए एक बिटक्वाइन वॉलेट होना चाहिए। बिटक्वाइन का कारोबार एक ब्लॉक चेन के जरिए होता है जो वॉलेटधारियों का नेटवर्क होता है।

• लेन-देन अपरिवर्तनिय होते हैं और वे केवल धन प्राप्त करने वाले व्यक्ति द्वारा ही वापस किए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि उन्ही लोगों और संगठनों के साथ व्यापार करें जिन को आप जानते हैं।

• इसमें कुछ भी गुमनाम नहीं है। सभी लेनदेन सार्वजनिक होते हैं और नेटवर्क पर स्थायी रूप से होते हैं। जिसका मतलब है कि कोई भी लेनदेन देख सकता है।

• बिटक्वाइन के बारे में भारत सरकार अब तक कोई राय नहीं बना पाई है। वित्त मंत्रालय की एक कमेटी अभी इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार ही कर रही है।

जालसाजों से बचें

जिन लोगों को क्रिप्टो करेंसी की जानकारी नहीं वे ठगों के जाल में भी फंस रहे हैं। लोगों को बिटक्वाइन के नाम पर सिक्के थमा देने का धंधा पकड़ा जा चुका है। वहीं बिटक्वाइन का नेटवर्क बनाने का भी धंधा चल रहा है जिसमें पोंजी स्कीम या एमएलएम की तरह ज्यादा से ज्यादा लोगों को मेम्बर बनाने का टास्क दिया जाता है। बिहार में ही बिटक्वाइन की वेबसाइट पर निवेश और इसके बदले उन्हें प्रतिदिन, साप्ताहिक और मासिक रिटर्न का लालच दिया गया। जब काफी रकम जमा हो गयी तो घोटालेबाज साईट बंद करके भाग गए। इंदौर में एटीसी नामक क्रिप्टो करेंसी के घोटालेबाज पकड़े गये थे। अब लखनऊ में बिटक्वाइन के नाम पर धोखाधड़ी करने वाला जालसाज पकड़ा गया है।

जब सरकार ने तीन लाख संदिग्ध मुखौटा कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगाई, तो कहा गया कि इनमें से कई कंपनियां बिटक्वाइन के $जरिए कारोबार कर रही हैं। वैसे, नोटबंदी के बाद से भारत में बिटक्वाइन की ट्रेडिंग काफी बढ़ी है। पिछले साल भर में देश के बिटक्वाइन एक्सचेंजों का कारोबार काफी बढ़ा है और क्रिप्टो करंसी यूजर्स की संख्या 10 लाख से अधिक हो गई है।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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