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मेहमान के साथ नहीं हुई 'बंटवारे' पर बात
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना। 'घर' आए मेहमान से 'बंटवारे' की बात कैसे करेंगे? बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने यह सोच कायम रखी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सुबह नाश्ते पर भी मिले और रात में डिनर पर भी, लेकिन बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे पर दोनों के बीच कोई औपचारिक बात नहीं हुई। दोनों नेताओं ने मुलाकात की औपचारिकता निभाते हुए लोकसभा चुनाव के बहाने 'फिर मिलेंगेपड़ा कहते हुए सारे कयासों की हवा निकाल दी।
भाजपा और जदयू के बीच लोकसभा सीट शेयरिंग पर कोई बातचीत नहीं कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम कयासों को खारिज कर दिया। 12 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्टेट गेस्ट हाउस में नाश्ता किया। इसके बाद रात में डिनर भी दोनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने एक साथ ही किया। जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार से दो मुलाकातों के बीच अमित शाह ने प्रदेश भाजपा के नेताओं के साथ कई दौर की अलग-अलग स्तर पर बैठक की। दिनभर इन लंबी बैठकों के पहले नाश्ते से ज्यादा डिनर में सीट शेयरिंग पर बातचीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेजबान धर्म का पालन करते हुए बंटवारे पर बात ही नहीं की।
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बात होती तो बढ़ भी सकती थी 'बात'
दोनों राष्ट्रीय अध्यक्षों के बीच मुलाकात बेहद औपचारिक थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेजबान धर्म को लेकर सजग नजर आए। बताया जाता है कि नाश्ते और रात के खाने पर मुलाकात के दौरान सीट शेयरिंग पर बात कर वह किसी भी तरह की खटास नहीं चाहते थे। जदयू नेताओं को भी इस मामले में फिलहाल चुप रहने का निर्देश था। मीडिया में भी किसी तरह का बयान देने से मना था। जदयू के शीर्ष नेताओं ने प्रवक्ताओं तक को कह रखा था कि मीडिया का सवाल आए तो 'सही समय पर सीट बंटवारे की बात होगी, कोई गतिरोध नहीं है लाइन पर बात रखने का निर्देश था।
ऐसा इसलिए क्योंकि जदयू को भी पता है कि भाजपा अध्यक्ष बिहार के इस ताजा दौरे के दौरान प्रदेश स्तर के नेताओं से लेकर बूथ स्तर के अग्रणी कार्यकर्ताओं तक से फीडबैक लेने के बाद सीट शेयरिंग का ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तमाम दलों के वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव भाजपा को लीड करते देख रहे हैं और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी इस बात से वाकिफ हैं। यही कारण है कि नीतीश कुमार ने अब तक जदयू के 'बिहार में बड़ा भाई' होने के पार्टी नेताओं के बयान का कभी स्पष्ट समर्थन नहीं किया। भाजपा अध्यक्ष शाह से दो बार भेंट के दौरान ऐसी किसी बात के उठने के कयास खूब लगाए जा रहे थे, लेकिन जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इसपर कोई बात ही नहीं की। जदयू के वरिष्ठ नेता की मानें तो अमित शाह के सामने नाश्ते या डिनर पर ऐसी कोई बात होती तो गलत संदेश जाता, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इसे एजेंडे में ही नहीं रखा था।
सभी 40 सीटों पर जीत के लिए तैयार होगा ब्लू प्रिंट
पिछले लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़ दिया था। मोदी लहर में भाजपा ने 2014 में 29 सीटों पर चुनाव लड़कर 22 सीटें जीत ली थीं। राजग के घटक लोजपा ने सात में से छह और रालोसपा ने चार में से तीन सीटें जीत ली थीं। जदयू को सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ा था। लोजपा और रालोसपा अपनी सीटें छोडऩे को तैयार नहीं है, हालांकि यह माना जा रहा है कि भाजपा कुछ जीती सीटें जदयू के लिए छोड़ेगी तो लोजपा को भी दो सीटों से हाथ धोना पड़ सकता है।
जदयू का दावा 2009 के हिसाब से है, जिसमें उसने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 20 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भाजपा को 15 सीटों पर चुनाव लडऩे का मौका मिला था, जिसमें से 12 उसने जीती थीं। जदयू 2009 फॉर्मूले को लेकर दबाव बना रहा है, लेकिन भाजपा 2014 की स्थिति से बहुत बदलाव को तैयार नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पटना दौरे के क्रम में वर्तमान भाजपा सांसदों का फीडबैक हासिल किया। प्रदेश के कुछ नेताओं के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक नेटवर्क इस फीडबैक को लेकर ग्राउंड लेवल पर काम कर रहा है। भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता ने पटना में 'अपना भारत' से कहा कि अभी रिपोट्र्स-फीडबैक का दौर चल रहा है। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष सभी 40 सीटों पर राजग की जीत सुनिश्चित करने के लिए सीट बंटवारे का ब्लू प्रिंट लेकर घटक दलों से बात करेंगे। गठबंधन में किसी तरह का गतिरोध नहीं होगा, क्योंकि उद्देश्य सभी सीटों को राजग की झोली में डालना है।
दौरे का इम्पैक्ट : भाजपा इवेंटफुल, जदयू थॉटफुल
12 जुलाई को पटना में चुनावी माहौल नजर आया। अमित शाह के स्वागत में रोड शो हुए। गाजे-बाजे के साथ कार्यकर्ता स्वागत में डांस करते हुए नजर आए। प्रदेश भाजपा के तमाम दिग्गज नेता 11 जुलाई को रातभर सोए नहीं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय खुद अमित शाह के दौरे को लेकर रातभर पोस्टर-बैनर और स्वागत के अन्य इंतजामों में लगे रहे। लोकसभा और राज्यसभा के कई सांसद अपने हिसाब से इन तैयारियों में ताकत झोंकते नजर आए। शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उनसे सभी 40 सीटों पर राजग की जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात एक कर देने की अपील की। उन्होंने पार्टी की विभिन्न इकाइयों को उनके आगामी कार्ययोजना पर विस्तार से दिशा-निर्देश दिए। शाह के दौरे के साथ ही भाजपा इवेंटफुल हो गई, जबकि दूसरी तरफ जदयू का थॉटफुल अंदाज सामने आया। जदयू से राजग में सीट बंटवारे को लेकर सवाल पूछा जाता रहा और वह समय पर सबकुछ स्पष्ट हो जाने की बात कहती रही।
गहलोत भी थे पटना में, महागठबंधन को बता दिया मजबूरी
इस दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत भी पटना में थे। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता स्व. सत्येंद्र नारायण सिन्हा की 100वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए अशोक गहलोत राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का हालचाल लेने उनके आवास पर भी गए और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी की मीटिंग में भी शामिल हुए। गहलोत पटना दौरे के क्रम में महागठबंधन को लेकर एक बयान देकर बुरी तरह फंस गए। उन्होंने कहा कि राजद-जदयू से गठबंधन कांग्रेस की मजबूरी रही। हालांकि, फिर जब सवाल उठने लगे तो उन्होंने कहा कि महागठबंधन से जदयू निकल कर भाजपा के साथ है, इसलिए राजद-कांग्रेस के बीच किसी तरह का कोई संकट नहीं है। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस की मजबूरी कहने के पीछे पार्टी को मजबूत करने का संदेश देना था। कार्यकर्ताओं को संदेश देना था कि जनता के बीच जाकर कांग्रेस को मजबूत बनाएं तो बिहार में पार्टी की स्थिति अच्छी होगी।