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Delhi assembly elections: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की बिसात बिछी,कांग्रेस-आप में गठबंधन न होने से भाजपा को फायदा

Delhi assembly elections: कांग्रेस की ओर से भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो मगर सच्चाई यह है कि दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।

Anshuman Tiwari
Published on: 2 Dec 2024 11:45 AM IST
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दिल्ली के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की बिसात बिछी,कांग्रेस-आप में गठबंधन न होने से भाजपा को फायदा (Social Media)

Delhi assembly elections: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अब त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पार्टी आप के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी और सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। दूसरी ओर आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी साफ कर दिया है कि पार्टी दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। केजरीवाल शुरुआत से ही कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार का गठबंधन करने के इच्छुक नहीं थे।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस दिल्ली की एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी थी मगर इस बार पार्टी दिल्ली में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। हालांकि कांग्रेस और आप के अलग चुनाव लड़ने के फैसले का बड़ा असर पड़ने की संभावना भी जताई जा रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस और आप के अलग-अलग चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन के वोटो का बंटवारा होगा जिससे भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है। भाजपा ने इस बार केजरीवाल की अगुवाई में आप को सत्ता से बेदखल करने के लिए पहले ही पूरी ताकत लगा रखी है।

लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने किया था गठबंधन

दिल्ली से पहले हरियाणा के विधानसभा चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो सका था दोनों दलों के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी मगर सीटों के बंटवारे पर दोनों दलों के बीच रजामंदी नहीं बन सकी थी। दरअसल हरियाणा में कांग्रेस खुद को काफी मजबूत स्थिति में मन रही थी और इसलिए वह आप को डिमांड के मुताबिक सीट देने के लिए तैयार नहीं थी।

हरियाणा में दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी दोनों दल अलग-अलग लड़ते हुए नजर आएंगे। दिल्ली में लोकसभा चुनाव के दौरान आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था और इस गठबंधन के तहत आप ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि गठबंधन के बावजूद भाजपा दोनों दलों को झटका देते हुए सभी सातों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी।

विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे को चुनौती देने की तैयारी

अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकते हुए नजर आएंगे। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस राज्य की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और किसी भी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। दिल्ली में चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस ने न्याय यात्रा निकाल रखी है। इस यात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सभी लोग केंद्र और आम आदमी पार्टी के कुशासन से काफी नाराज हैं।

उन्होंने कहा कि बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन और गरीबों को राशन कार्ड नहीं मिल रहा है। महिलाएं मंगाई के कारण निराश हैं तो युवा बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहे हैं। विभिन्न इलाकों में बनाया गया मोहल्ला क्लीनिक सिर्फ दिखावे का है और इससे लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी ताकत दिखाएगी।

पिछले दो चुनावों में कांग्रेस का नहीं खुला था खाता

वैसे कांग्रेस की ओर से भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो मगर सच्चाई यह है कि दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस एक भी सीट पाने में कामयाब नहीं हो सकी थी। हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आठ सीटें जरूर मिली थीं।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद दिल्ली का आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। हरियाणा और महाराष्ट्र की हार के बाद दिल्ली के विधानसभा चुनाव को भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं माना जा रहा है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मुख्य रूप से मुकाबला होता रहा है और ऐसे में कांग्रेस के लिए मजबूती से चुनाव लड़ना आसान साबित नहीं होगा।

वोट बंटने से भाजपा को होगा फायदा

वैसे दिल्ली के चुनाव में भाजपा और आप के बीच कड़े मुकाबले की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में इंडिया ब्लॉक में पैदा हुआ यह बिखराव भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। सियासी जानकारों का मानना है कि वोटों के बिखराव से कड़े मुकाबले वाली सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में भी कांग्रेस और आप के अलग-अलग चुनाव लड़ने से वोटों का बंटवारा होगा जिससे भाजपा को लाभ मिलेगा।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा ने भी आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और आप सरकार की कमियों को उजागर करने में जुटी हुई है।

हालांकि चुनावी तैयारी के मामले में आप आगे नजर आ रही है क्योंकि आप ने तमाम विधानसभा सीटों पर चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले ही अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। आप ने जिन 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं,उनमें छह ऐसे नेताओं के नाम शामिल है जो हाल के दिनों में भाजपा या कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हुए हैं।



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Ragini Sinha

Ragini Sinha

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