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भाजपा ने दक्षिण भारत में खोला एक और रास्ता, हैदराबाद चुनाव का बड़ा सियासी संदेश

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी कामयाबी को काफी अहम माना जा रहा है। टीआरएस और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ में भाजपा ने अपनी ताकत कई गुना बढ़ाकर दक्षिण भारत में अपने लिए एक और रास्ता खोल लिया है।

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Published on: 5 Dec 2020 4:26 AM GMT
भाजपा ने दक्षिण भारत में खोला एक और रास्ता, हैदराबाद चुनाव का बड़ा सियासी संदेश
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भाजपा ने दक्षिण भारत में खोला एक और रास्ता, हैदराबाद चुनाव का बड़ा सियासी संदेश

नई दिल्ली: ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी कामयाबी को काफी अहम माना जा रहा है। टीआरएस और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ में भाजपा ने अपनी ताकत कई गुना बढ़ाकर दक्षिण भारत में अपने लिए एक और रास्ता खोल लिया है। हैदराबाद में मिली जीत से भाजपा को तेलंगाना के साथ ही आंध्र प्रदेश में भी बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। वैसे तो यह बड़े स्थानीय निकाय का ही चुनाव था मगर यहां से निकले सियासी संदेश को काफी अहम माना जा रहा है।

भाजपा के ताकत झोंकने पर सभी थे हैरान

भारतीय जनता पार्टी काफी दिनों से दक्षिण भारत में अपने संगठन को मजबूत बनाने की कोशिशों में जुटी हुई है। हैदराबाद में मिली कामयाबी संगठन को नई संजीवनी देने वाली साबित हो सकती है। भाजपा ने जब हैदराबाद के चुनाव में पूरी ताकत झोंकी थी तो उस पर कई सियासी दलों ने हैरानी भी जताई थी। टीआरएस ने तो इस पर तंज कसते हुए यहां तक कह डाला था कि एक गली मोहल्ले के चुनाव में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उतर आया है। अब माना जा रहा है कि भाजपा ने काफी सोच समझकर यह कदम उठाया था क्योंकि हैदराबाद का चुनाव पार्टी के लिए दक्षिण के दुर्ग का दूसरा रास्ता खोलने वाला साबित हो सकता है। कर्नाटक में पहले ही पार्टी ने विपक्षी दलों को पटखनी दे रखी है और वहां येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सरकार सत्तारूढ़ है।

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बड़े नेताओं ने संभाला था चुनाव का मोर्चा

हैदराबाद में भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रचार का मोर्चा संभाला था। इन तीनों नेताओं ने ओवैसी के गढ़ में उन्हें ललकारा था। इसके बाद ही माना जा रहा था कि इस बार के चुनाव में ध्रुवीकरण पूरा असर दिखाएगा और नतीजों से साफ है कि वैसा ही हुआ।

टीआरएस को भाजपा की मजबूत चुनौती

चुनावी नतीजों से साफ है कि भाजपा ने यहां अपनी ताकत बारह गुना बढ़ा ली है। भाजपा को पिछली बार यहां 4 सीटों पर विजय हासिल हुई थी मगर इस बार भाजपा ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है। पार्टी इस बार दूसरे नंबर पर पहुंच गई है जबकि टीआरएस को 55 सीटों पर जीत मिली है। वहीं ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 44 सीटें जीती हैं। टीआरएस को पिछली बार के चुनाव में निकाय में बहुमत हासिल था और उसने 99 सीटों पर विजय हासिल की थी और इस तरह इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा झटका टीआरएस को ही लगा है।

भाजपा ने नतीजों को बताया ऐतिहासिक

चुनाव नतीजों के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नतीजों को पार्टी के लिए ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजों से साफ है कि देश केवल विकास के एजेंडे का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजों से साफ है कि मतदाताओं ने पीएम मोदी के विकास और सुशासन के मॉडल को समर्थन दिया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी हैदराबाद के मतदाताओं के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हैदराबाद के लोगों ने पीएम मोदी की नीतियों में विश्वास जताया है। उन्होंने चुनाव में मेहनत करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी मेहनत ने इस बार पूरा असर दिखाया है।

चुनाव नतीजों का बड़ा सियासी संदेश

भाजपा ने इस बार टीआरएस के प्रभाव क्षेत्र में बड़ी सेंध लगाकर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टीआरएस को बड़ी चुनौती पेश की है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने तेलंगाना में अपनी ताकत दिखाई थी और पार्टी के चार सांसद यहां से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। पार्टी के लिए यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में उसके दो विधायक चुनाव जीते थे। उसके बाद पार्टी लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी हुई है और अब दो सालों के भीतर ही भाजपा टीआरएस की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी है। सियासी जानकारों का मानना है कि हैदराबाद के चुनावी नतीजे इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां पर भाजपा की कामयाबी से दक्षिण भारत में एक बड़ा सियासी संदेश जाएगा।

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दक्षिण में पैठ बनाने का खोला रास्ता

कर्नाटक में कई बार सत्ता हासिल करने के बावजूद भाजपा अभी तक दक्षिण के अन्य राज्यों में अपनी मजबूत पैठ नहीं बना सकी है। ऐसे में हैदराबाद ने भाजपा के लिए दक्षिण में पैठ बनाने का दूसरा रास्ता भी खोल दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि अब पार्टी तेलंगाना के साथ ही आंध्र प्रदेश में भी खुद को मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। पार्टी की भावी रणनीति के लिए ये दोनों राज्य काफी अहम साबित हो सकते हैं। तमिलनाडु और केरल में अभी भी पार्टी की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं हो सकी है मगर हैदराबाद के रास्ते पार्टी इन राज्यों में भी दखल बनाने की पूरी कोशिश करेगी।

अंशुमान तिवारी

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