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भाजपा और कांग्रेस का नए चेहरों पर दांव

raghvendra
Published on: 27 July 2018 9:05 AM GMT
भाजपा और कांग्रेस का नए चेहरों पर दांव
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में चौथी बार सरकार बनाने के प्रयास में जुटी सत्तारूढ़ भाजपा और 15 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस इस बार नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी में हैं। किसको उम्मीदवार बनाया जाए ये पता करने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही कवायद शुरू कर दी है। भाजपा बूथ अभियान के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं का मन टटोल रही है और सर्वे का भी सहारा ले रही है। वहीं कांग्रेस संकल्प शिविरों के जरिए उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश में जुटी है। कांग्रेस के शिविरों में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग के साथ ही पार्टी के लिए काम करते रहने की निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साफ कर दिया है कि भाजपा इस बार 30 प्रतिशत नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी जबकि कांग्रेस अभी इस बारे में किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंची है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का कहना है कि पार्टी पर्याप्त नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी। यह संख्या पिछली बार से ज्यादा ही रहेगी।

भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती एंटी इंक्बैंसी से निपटने की है। 15 वर्षों की सत्ता के बाद ये स्थिति बनना लाजिमी है। पार्टी ने 2013 में 37 नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा था जिसमें से 24 ने जीत दर्ज की थी। इससे पार्टी को तीसरी बार सत्ता में आने में सफलता मिली थी और अब फिर इस बार भी नए चेहरों को मैदान में उतारने के सफल फॉर्मूले को दोहराना चाहती है।

कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव में नए चेहरों को मौका देना भाजपा के मुकाबले ज्यादा कारगर नहीं रहा था। पार्टी ने 36 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया था जिसमें 17 को ही सफलता मिली थी। कांग्रेस का उसके 27 मौजूदा विधायकों की हार से सत्ता में वापसी का सपना टूट गया था। उसे बस्तर एवं सरगुजा में भाजपा के गढ़ में तो सफलता मिली पर मैदानी इलाकों में जहां 2 चुनावों में उसका प्रदर्शन बेहतर रहा था वहां पुराने विधायकों से नाराजगी उसे भारी पड़ गई थी।

पार्टी सूत्रों के अनुसार मौजूदा विधायकों को टिकट देने की चल रही परंपरा को आंख मूंदकर बरकरार नहीं रखा जाएगा। जिनके बारे में बेहतर रिपोर्ट नहीं होगी, उनका टिकट काटा जा सकता है। एक बात तो तय ही है कि पार्टी पिछले चुनाव में हारे पूर्व विधायकों में से भी सभी की दावेदारी नहीं स्वीकारेगी। सूत्रों के अनुसार पार्टी 40 प्रतिशत तक नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है।

राज्य में पूर्व सीएम अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) भी दम लगा रही है। कांग्रेस के 3 मौजूदा विधायक जनता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस एवं भाजपा के कुछ पूर्व विधायक भी पार्टी में शामिल हुए हैं। जाहिर है कि पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार नए चेहरे होंगे। बसपा एवं आम आदमी पार्टी (आप) भी चुनावी तैयारी में जुटी है। इन दोनों पार्टियों के भी अधिकांश उम्मीदवार नए चेहरे होंगे।

बेटे का चुनाव लडऩा अभी तय नहीं: अजीत जोगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच पूर्व सीएम अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने कहा है कि अजीत जोगी ही मरवाही से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अजीत जोगी ने इससे साफ इनकार किया है और कहा है कि वो सिर्फ राजनांदगांव की सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। जहां तक अमित जोगी के चुनाव लडऩे या नहीं लडऩे का सवाल है, अभी इस संबंध में निर्णय नहीं लिया गया है।

अजीत जोगी ने कहा, जोगी परिवार से दो सदस्य ही चुनाव लड़ेंगे। बाकी दो सदस्य चुनाव प्रचार करेंगे। कौन चुनाव मैदान पर होगा और कौन प्रचार करेगा, अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अजीत जोगी ने अपनी बहू ऋचा जोगी को राजनांदगांव का प्रभारी नियुक्त किया है।

अमित जोगी के बयान के संबंध में पार्टी सुप्रीमो अजीत जोगी ने कहा, अमित ने यह नहीं कहा है कि मैं मरवाही से चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने मेरे और मरवाही की जनता के बीच आत्मीय संबंधों को सामने रखते हुए कहा कि मैं दोनों के बीच नहीं आऊंगा। अमित जोगी मरवाही से विधायक हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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