TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भाजपा का संकट: सुलझाने में उलझ गया बोनस का मुद्दा

tiwarishalini
Published on: 8 Sept 2017 1:33 PM IST
भाजपा का संकट: सुलझाने में उलझ गया बोनस का मुद्दा
X

राम शिरोमणि शुक्ल की स्पेशल रिपोर्ट

रायपुर: चुनाव जो न कराए। राज्य की रमन सिंह सरकार के सामने भी कुछ ऐसी ही मजबूरी आ गई। किसानों के वोटों की खातिर सरकार को भुला दिए गए मुद्दे का हल निकालने को मजबूर होना पड़ा। भाजपा के वादे के बावजूद चार साल से यह मामला लटका हुआ था। वैसे किसानों को बोनस देने की घोषणा के बाद भी सरकार की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। कांग्रेस ने सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। जिसके लिए घोषणा की गई, उसे भी लग रहा है कि उसके साथ धोखा किया गया। घोषणा करने वाले ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे एक ही तीर से उनके सभी निशाने सध गए हैं। भाजपा ने कांग्रेस को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के हित में उचित कदम उठाया है।

कर्जमाफी की मांग ने पकड़ा जोर

बीते करीब छह महीनों में वादाखिलाफी को लेकर किसानों में भाजपा और उसकी सरकार को लेकर बेचैनी साफ दिखने लगी। इसमें सबसे बड़ी भूमिका नोटबंदी ने निभाई। हालांकि भाजपा और सरकार की ओर से यह कहा जाता रहा कि नोटबंदी से किसी को खासकर किसानों को कोई दिक्तत नहीं है, लेकिन किसानों को इसने बुरी तरह प्रभावित किया। इसके अलावा धान खरीद में अनियमितता की शिकायतें आने लगीं। उपज की उचित कीमत न मिलने के कारण किसानों को टमाटर सडक़ों पर फेंकना पड़ा। उत्तर प्रदेश में कर्जमाफी की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ में भी कर्जमाफी की मांग जोर पकडऩे लगी। कर्ज से परेशान किसानों की खुदकुशी की घटनाएं होने लगीं। मध्यप्रदेश में किसानों के आंदोलन का प्रभाव छत्तीसगढ़ पर भी पड़ा। यहां भी किसान संगठनों ने लंबा आंदोलन चलाया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी समर्थन मूल्य को बड़ा मुद्दा बना रखा था। विधानसभा से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस ने आंदोलन किया। रही सही कसर सूखे ने पूरी कर दी।

आनन-फानन में बोनस देने का फैसला

दूसरी तरफ पूरी तरह चुनावी मूड में आ चुकी भाजपा को एहसास होने लगा कि किसानों की मांगों को अब लटकाए रखना उसके हित में नहीं होगा। इसलिए आनन-फानन बोनस देने का फैसला ले लिया गया। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दिल्ली से लौटकर अचानक सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ भाजपा नेताओं की आपात बैठक बुलाकर किसानों को बोनस देने का ऐलान कर दिया। कहा गया बोनस दीपावली पर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि भाजपा ने चुनावी लाभ के मद्देनजर यह फैसला लिया। किसान संगठनों और कंाग्रेस ने इसे चुनावी जुमला बताकर सरकार को आड़े हाथों ले लिया और कह दिया कि यह किसानों के साथ धोखा है। इसके पीछे कारण भी साफ है कि वादे के मुताबिक किसानों को चार साल का बोनस दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री के ऐलान में यह भी शामिल था कि बोनस सिर्फ उन्हीं १३ लाख किसानों को मिलेगा जो पंजीकृत हैं। छत्तीसगढ़ में कुल ३७ लाख किसान हैं। बाद में सरकारी आदेश जारी हुआ कि उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि दी जा जाएगी। इस तरह किसानों में एक भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हो गई। कंाग्रेस ने मांग रख दी कि सभी किसानों को अभी बोनस दिया जाना चाहिए और चार साल का दिया जाना चाहिए। इसके अलावा सूखे के मद्देनजर तत्काल राहत भी प्रदान की जानी चाहिए।

कांग्रेस को किसान विरोधी बता रही भाजपा

इस सबके चलते खुद को नए सिरे से फंसती देख भाजपा और सरकार खुद को किसानों को किसानों का हितैषी बताने और कांग्रेस को किसान विरोधी बताने के लिए अपने एजेंडे के साथ उतर पड़ी। सबसे पहले भाजपा नेताओं और सरकार की ओर से यह कहा जाने लगा कि नियमों के मुताबिक पंजीकृत किसान ही बोनस के अधिकारी हैं। भाजपा नेताओं की ओर से कहा जाने लगा कि पार्टी की ओर से समर्थन मूल्य दिए जाने की बात ही नहीं की गई थी। इससे भी किसानों में गलत संदेश जाने लगा। पहले से ही सूखे की समस्या से त्रस्त किसान खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। अगर पंजीकृत किसानों को ही बोनस दिया गया तो काफी संख्या में किसान इससे वंचित हो जाएंगे। माना जा रहा है इससे उनमें नाराजगी और बढ़ सकती है। इस तरह नाराजगी से बचने के लिए उठाया गया कदम भाजपा के लिए नई परेशानी का सबब भी बन सकता है।

रमन सिंह ने किया एलान

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भाजपा कार्यालय में भाजपा नेताओं-पदाधिकारियों की बैठक के बाद किसानों को बोनस देने का एलान किया। धान बोनस से सरकारी खजाने पर करीब 2100 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। बोनस का वितरण सहकारी समितियां समर्थन मूल्य के आधार पर करेंगी। सरकार ने प्रति एकड़ 15 क्विंटल के हिसाब से किसानों से धान खरीदा है। ऐसे में प्रति एकड़ वाले किसान को 4500 रुपये बोनस मिलेगा। ऐलान के बाद राज्य शासन की ओर से बोनस वितरण का आदेश जारी किया गया। बोनस वितरण किश्तों में किया जाएगा। सरकारी आदेश में कहा गया है कि राज्य शासन ने फैसला किया है कि खरीफ वर्ष 2016-17 में उत्पादित धान पर 300 रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि दी जाए। बाद में सरकार की ओर से विज्ञापन जारी कर कहा गया है कि दो साल का बोनस दिया जाएगा। धान बोनस वितरण की अनुमति के लिए 22 सितंबर को विशेष सत्र भी बुलाया गया है।

इस खबर को भी देखें: ये कैसा शिव’राज’ ! पहले खाकी ने लूटे डेढ़ लाख रुपए, फिर मार दी गोली

किसान संगठन असंतुष्ट

बोनस की लगातार मांग कर रहे किसान सरकारी एलान से असंतुष्ट हैं। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन की ओर से कहा गया कि इस घोषणा से किसानों का असंतोष कम नहीं होगा। सरकार ने किश्तों में दो साल का बोनस देने की घोषणा की है। बोनस का वादा पांच साल का था। यदि सरकार बोनस की बजाय 2100 रुपये समर्थन मूल्य में धान खरीदी का वादा पहले पूरा करती तो किसानों को बोनस की तुलना में दोगुनी राशि मिलती। सरकार की मंशा चुनावी वादा पूरा करने के बजाय खैरात बांटकर चुनावी लाभ उठाना है। छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार किसानों को चुनावी झुनझुना थमाने की कोशिश कर रही है। सरकार तुरंत पिछले तीन साल का बोनस देने और 2100 रुपये समर्थन मूल्य की घोषणा करे। छत्तीसगढ़ को अकालग्रस्त घोषित कर किसानों को प्रति एकड़ 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाए। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने कहा कि भाजपा को सिर्फ चुनाव जीतने की चिंता है। पिछले तीन महीने से किसान 300 रुपये बोनस, शून्य प्रतिशत ब्याज पर कर्ज, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार को किसानों की आत्महत्या से भी कोई लेना-देना नहीं है।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने बोनस की घोषणा को अपर्याप्त बताते हुए किसानों के साथ धोखा करार दिया। कांग्रेस का कहना है कि सरकार तीन साल की भरपाई के साथ बोनस दे। किसानों को धान पर तीन साल का बोनस और चार साल के समर्थन मूल्य में अंतर की राशि मिलाकर प्रति क्विंटल 3830 रुपये का भुगतान करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ धोखा किया है। राज्य में 37 लाख किसान हैं और सरकार केवल 13 लाख किसानों को ही बोनस देगी। सरकार को कर्जमाफी के साथ बकाया राशि के पैकेज की घोषित करना चाहिए। इसके अलावा सरकारी आदेश के मुताबिक किसानों को उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की ओर से कहा गया कि यह किसानों के साथ छलावा है। अगर सरकार बोनस पर गंभीर है तो किसानों को पांच साल का बोनस दे और धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपये देने का वादा निभाए। पार्टी की ओर से यह भी किसान अब भाजपा पर भरोसा नहीं कर सकते।

भाजपा ने किया स्वागत

किसानों को बोनस दिए जाने की सरकार की घोषणा का सत्ताधारी भाजपा ने स्वागत किया और मुख्यमंत्री रमन सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का आभार जताया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुशी में पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटीं। पार्टी की ओर से कहा गया कि भाजपा जो कहती है वह करती है। पार्टी की ओर से प्रदेश सरकार को किसानों की हितैषी बताया गया। कहा गया कि सरकार ने किसानों के दर्द को समझते हुए यह ऐलान किया है। इस घोषणा से किसानों में प्रसन्नता है।

चार साल से छाया है बोनस का मुद्दा

छत्तीसगढ़ में बीते चार वर्षों से किसानों को 2100 रुपये समर्थन मूल्य और ३०० रुपये बोनस का मुद्दा छाया हुआ था। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने चुनाव संकल्प पत्र में सरकार बनने पर किसानों को दोनों देने का वादा किया था। बाद में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने विधानसभा में भी घोषणा की कि वादे के मुताबिक समर्थन मूल्य और बोनस दिया जाएगा, लेकिन बीते चार वर्षों में इसे पूरा नहीं किया गया। इन चार वर्षों में समर्थन मूल्य और बोनस का मुद्दा किसानों, किसान संगठनों और राजनीतिक दलों विशेषकर कांग्रेस की ओर से लगातार उठाया जाता रहा। सरकार और भाजपा की ओर से कहा जाता रहा कि किसानों के हित में हर संभव काम किया जाएगा, लेकिन किया कुछ नहीं गया। इस तरह किसानों में असंतोष और गुस्सा बढ़ता गया। किसान खुद को ठगा महसूस करने लगे।



\
tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story