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Delhi Election 2025: हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत से भाजपा उत्साहित, अब दिल्ली में केजरीवाल निशाने पर
Delhi Assembly Election 2025: लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और उसके सहयोगी दलों को महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था मगर इसके बावजूद पार्टी ने पूरी ताकत लगाते हुए महाराष्ट्र का रण जीत लिया है।
Delhi Assembly Election 2025: हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद अब भाजपा ने दिल्ली के विधानसभा चुनावों पर निगाहें टिका दी हैं। हालांकि झारखंड में हार से पार्टी को झटका जरूर लगा है मगर दो राज्यों में मिले व्यापक जन समर्थन के बाद अब भाजपा नेतृत्व को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी काफी उम्मीदें हैं। दो राज्यों में मिली जीत ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को लगे जख्मों पर मरहम लगा दिया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और उसके सहयोगी दलों को महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था मगर इसके बावजूद पार्टी ने पूरी ताकत लगाते हुए महाराष्ट्र का रण जीत लिया है। अब पार्टी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से हिसाब बराबर करना चाहती है। दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा को करारा झटका लगा था। लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली की सात सीटों पर कब्जा करने के बाद अब पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का रण भी जीतने की व्यापक रणनीति तैयार की है।
विधानसभा चुनावों में नाकाम रही है भाजपा
दिल्ली के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मतदाताओं का अच्छा समर्थन मिलता रहा है। इसी के दम पर पिछले तीन चुनावों के दौरान पार्टी दिल्ली की सभी सीटों पर आप और कांग्रेस दोनों दलों को झटका देने में कामयाब रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को वैसी कामयाबी नहीं मिल सकी। 2013 में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि इसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
2015 के विधानसभा चुनाव में तो भाजपा 70 में से तीन सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी जबकि 67 सीटों पर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आप प्रत्याशियों को बड़ी सफलता मिली थी। पांच साल बाद 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा आप को घेरने में कामयाब नहीं हो सकी। हालांकि पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर आठ पर पहुंच गई थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने दिल्ली की 62 सीटों पर जीत हासिल की थी।
केजरीवाल के अभियान से सतर्क हुई पार्टी
अब अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने व्यापक रणनीति के साथ अखाड़े में उतरने की तैयारी की है। भाजपा के सभी सांसदों को अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाली विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंप जा चुकी है। इसी के आधार पर भाजपा सांसदों की परफॉर्मेंस का आकलन किया जाएगा। पार्टी पदाधिकारियों को भी राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में अभियान की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है।
दरअसल आप मुखिया अरविंद केजरीवाल के चुनाव अभियान और उनकी रेवड़ी बांटने की कोशिशों को देखते हुए भाजपा सतर्क को हो गई है। भाजपा पिछले दो विधानसभा चुनावों में मिली हार का बदला जरूर लेना चाहती है। वैसे पार्टी नेतृत्व को यह भी पता है कि यह आसान काम नहीं होगा क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव न लड़ते हुए अपना पूरा फोकस दिल्ली में ही बनाए रखा है।
इस बार बदला होगा चुनाव का नजारा
वैसे राजधानी में अगले विधानसभा चुनाव के दौरान सियासी नजारा अलग होगा। तिहाड़ जेल से बाहर निकालने के बाद अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़ चुके हैं और उन्होंने अपनी भरोसेमंद आतिशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया है। अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को भले ही मुख्यमंत्री बना दिया हो मगर आप का पूरा अभियान केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। आतिशी भी बीच-बीच में इस बात को कहना नहीं भूलतीं कि अगले विधानसभा चुनाव में आप को जीत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे।
वैसे भाजपा ने आप के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत को तोड़कर केजरीवाल को बड़ा झटका दिया है। आप की नाराज सांसद स्वाति मालीवाल भी केजरीवाल एंड कंपनी पर हमला करके अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की ही मदद कर रही हैं। केजरीवाल भाजपा पर लगातार पार्टी को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाजपा आप के कुछ और नेताओं को तोड़ सकती है।
आप-कांग्रेस गठबंधन न होने से भाजपा को फायदा
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि आप और कांग्रेस का गठबंधन होता है या नहीं आप और कांग्रेस नेताओं की ओर से एक दूसरे पर किए जा रहे हम लोग से यह संकेत निकाला जा रहा है कि अब विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो पाएगा हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी तमाम कोशिशों के बावजूद दोनों दलों में गठबंधन नहीं हो सका था। यदि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं होता है तो सियासी रूप से भाजपा को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।
वैसे लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया था। इस गठबंधन के तहत आप चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि इसके बावजूद भाजपा अपनी ताकत दिखाने में कामयाब रही थी। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाता अलग मनोदशा के साथ मतदान करते हैं। यही कारण है कि बीजेपी आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावना न होने के बावजूद सतर्क रवैया अपना रही है।
परिवर्तन यात्राओं के साथ लुभावने वादे भी करेगी पार्टी
दिल्ली में चुनावी तैयारी का अंतिम रूप देने के साथ ही भाजपा ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में परिवर्तन यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है। परिवर्तन यात्रा की कामयाबी के लिए नौ सदस्यों की समिति बनाई गई है। हालांकि कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा ने उसकी न्याय यात्रा की नकल की है।
दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा का हिंदुत्व का एजेंडा नहीं चला है मगर हरियाणा और महाराष्ट्र में इस एजेंडे की कामयाबी के बाद भाजपा की ओर से दिल्ली में भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को गरमाने की तैयारी है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जवाब देने के लिए भाजपा की ओर से भी चुनावी रेवड़ियों का जल्द ही ऐलान किया जा सकता है। खासकर महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं के जरिए महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की जाएगी।