×

Karnataka Election 2023: भाजपा ने खोजी कांग्रेस के हमलों की काट, अब लिंगायत सीएम के सियासी दांव की तैयारी

Karnataka Election 2023: राज्य के 17 फ़ीसदी लिंगायत मतों को हासिल करने के लिए कांग्रेस और भाजपा में जबर्दस्त घमासान छिड़ा हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेताओं की ओर से भाजपा को लिंगायत विरोधी बताते हुए सियासी हमले तेज कर दिए गए हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 21 April 2023 2:24 PM IST
Karnataka Election 2023: भाजपा ने खोजी कांग्रेस के हमलों की काट, अब लिंगायत सीएम के सियासी दांव की तैयारी
X
BJP Congress (photo: social media )

Karnataka Election 2023: कर्नाटक के दो वरिष्ठ लिंगायत नेताओं को पार्टी में शामिल करने के बाद कांग्रेस भाजपा की मजबूत घेरेबंदी में जुटी हुई है। राज्य के 17 फ़ीसदी लिंगायत मतों को हासिल करने के लिए कांग्रेस और भाजपा में जबर्दस्त घमासान छिड़ा हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेताओं की ओर से भाजपा को लिंगायत विरोधी बताते हुए सियासी हमले तेज कर दिए गए हैं।

कांग्रेस के इस अभियान की हवा निकालने के लिए भाजपा की ओर से लिंगायत मुख्यमंत्री का बड़ा सियासी दांव खेला जा सकता है। कर्नाटक के प्रमुख भाजपा नेताओं ने राज्य में प्रभावशाली माने जाने वाले लिंगायत समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए इस अभियान को छेड़ने की वकालत की है। लिंगायत मतों के दम पर भाजपा ने कर्नाटक में बड़ी सियासी मजबूती हासिल की है और इस कारण पार्टी लिंगायत समुदाय की नाराजगी का खतरा नहीं मोल लेना चाहती।

भाजपा पर लिंगायत विरोधी होने का आरोप

दरअसल इस बार के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक के दो बड़े लिंगायत नेताओं ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। राज्य के पूर्व सीएम और वरिष्ठ लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार ने टिकट न मिलने पर भाजपा से बगावत करते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया है। एक और लिंगायत नेता लक्ष्मण सावदी ने भी टिकट न मिलने पर बगावती तेवर दिखाते हुए भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली है।

मजे की बात यह है कि कांग्रेस की ओर से इन दोनों वरिष्ठ लिंगायत नेताओं को चुनाव मैदान में भी उतार दिया गया है। इसी के साथ कांग्रेस ने भाजपा को लिंगायत विरोधी बताते हुए बड़ा अभियान भी छड़ दिया है। कांग्रेस अपने इस अभियान को धार देने की कोशिश में जुटी हुई है तो दूसरी ओर भाजपा की ओर से भी डैमेज कंट्रोल की कोशिशें की जा रही हैं।

लिंगायत सीएम का दांव चलने की तैयारी में भाजपा

कांग्रेस के अभियान की हवा निकालने के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और लिंगायत समुदाय से जुड़े कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा के आवास पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक भी हुई। इस बैठक के दौरान पार्टी के कई नेताओं की ओर से लिंगायत समुदाय के नेता को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने पर जोर दिया गया। भाजपा के कई नेताओं का कहना था कि पार्टी की ओर से इस बाबत जोरदार अभियान चलाया जाना चाहिए।

भाजपा की ओर से इस प्रस्ताव पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है और माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी इस दिशा में बड़ा कदम उठा सकती है। वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा ने पार्टी के सारे नेताओं के विचारों को गंभीरता से सुना है और वे इस बाबत पार्टी के शीर्ष नेताओं से चर्चा कर सकते हैं।

वैसे पार्टी के वरिष्ठ नेता के एस ईश्वरप्पा का कहना है कि लिंगायत कार्ड खेलकर कांग्रेस विभिन्न जातियों के लोगों को अलग-थलग करके चुनाव जीतने की कोशिश में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि सारे हिंदुत्ववादी लोगों को भाजपा को वोट देना चाहिए। चाहे वे किसी भी जाति या समुदाय से जुड़े हुए हों।

मुख्यमंत्री बोम्मई ने कांग्रेस को दिया तीखा जवाब

कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे अभियान का मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि 1967 के बाद पिछले करीब 50 वर्षों के दौरान कांग्रेस ने वीरेंद्र पाटिल के नौ महीने के कार्यकाल को छोड़कर किसी भी लिंगायत नेता को मुख्यमंत्री पद पर नहीं बिठाया। उन्होंने बताया कि भाजपा नेताओं की बैठक में फैसला लिया गया कि कांग्रेस की ओर से फैलाई जा रही भ्रामक सूचनाओं का पूरी मजबूती के साथ सामना किया जाएगा।

कांग्रेस को घेरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पार्टी ने अभी तक वरिष्ठ लिंगायत नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया है,इसके कई उदाहरण सबके सामने हैं।

इसलिए छिड़ा है दोनों दलों में घमासान

उन्होंने आरोप लगाया कि पांच साल पहले ही लिंगायत समुदाय के लोगों को अपना वोट बैंक बनाने के लिए कांग्रेस की ओर से तोड़ने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कांग्रेस पर दलितों, पिछड़ों और लिंगायतों को धोखा देने का बड़ा आरोप भी लगाया।

सियासी जानकारों का मानना है कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। कर्नाटक में 17 फ़ीसदी लिंगायत समुदाय अभी तक के विधानसभा चुनाव में जीत और हार में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है। पिछले कई वर्षों से भाजपा ने लिंगायत समुदाय पर मजबूत पकड़ बना रखी है मगर इस बार दोनों दलों के बीच बड़ा सियासी घमासान छिड़ गया है।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

Next Story