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Modi Government 8 Years: मोदी सरकार ने बदल दी रेलवे की सूरत, बन रहे नए कीर्तिमान
BJP Government Event: रेलवे सभी डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बना रहा है।
पीएम मोदी और भारतीय रेलवे (Social media)
Modi Government 8 Years: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार (8 years of Modi govt) में भारतीय रेलवे में जबर्दस्त बदलाव आया है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) का ब्रिटिश कालीन चोला बदल चुका है और अब ये एक आधुनिक, प्रगतिशील और विश्वस्तरीय सेवा में तब्दील हो चुकी है। सुरक्षा, साफ सफाई, ग्राहक सेवा, नए डिब्बों, विद्युतीकरण आदि सभी पहलुओं में रेलवे ने मात्र कुछ वर्षों में लंबी छलांग लगाई है और आगे बढ़ने का सफर लगतार जारी है। अब भारतीय रेल बुलेट ट्रेन के युग में प्रवेश करने वाली है।
मेक इन इंडिया
मेक इन इंडिया (make in India) के तहत रेलवे ने बहुत उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय रेलवे ने फ्रांस से एल्सटॉम एसए के सहयोग से अपने मधेपुरा कारखाने में 12,000 एचपी इंजनों का निर्माण किया। यह एक निर्यातोन्मुखी और पूरी तरह से मेक इन इंडिया पहल है जो देश के लिए बहुत गर्व की बात है। एक ऐसे लोकोमोटिव का विकास करना जो तेज हो और उच्च क्षमता वाला हो, अपने आप में एक मामूली उपलब्धि नहीं है। इसकी ढोने की क्षमता 6,000 टन है और यह 120 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, भारतीय रेलवे ने अपने डीजल लोकोमोटिव को इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में बदल दिया। अब भारतीय रेलवे अपने सभी डीजल इंजनों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बना रहा है। यह बेहतर दक्षता सुनिश्चित करता है और पर्यावरण की भी रक्षा करता है।
इसके अलावा, वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है। यह पहली स्वदेश निर्मित बिना इंजन वाली ट्रेन है। यह इंट्रा-डे यात्रा के लिए है और शताब्दी एक्सप्रेस की तुलना में यात्रा के समय को 10-15 फीसदी कम करती है। यह इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई के इंजीनियरों द्वारा केवल 18 महीने की छोटी अवधि में बनाई गई है। यह 220 किमी प्रति घंटे तक की गति को छू सकता है।
एलएचबी कोच
भारत में एलएचबी कोचों (LLB Coaches) का अब तक का सबसे अधिक उत्पादन हुआ है। भारत जल्द ही इसका निर्यात भी करेगा। भारतीय रेलवे ने पिछले वर्षों में अधिक एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) कोच का निर्माण किया है, जो कि उनके परिचय के बाद से पहले 17 वर्षों में प्रोडक्शन से खएँ अधिक हैं। रेलवे ने 2017 और दिसंबर 2018 के बीच 5,500 कोचों का निर्माण किया। 2001 से 31 मार्च 2016 के बीच 4,020 एलएचबी कोच बनाए गए और 2016-2017 में सिर्फ 1,470 एलएचबी कोच बनाए गए।
साफ सफाई, लाइटिंग और वाईफाई
रेलवे स्टेशनों (Indian Railway Stations) में साफ सफाई बेहद प्रशंसनीय है। हर स्टेशन हर समय चकाचक नजर आता है। गंदगी, अवैध वेंडर, कूड़े , आवारा पशुओं का कोई नामोनिशान नहीं रहा है। ये बहुत बड़ी उपलब्धि है।
स्टेशनों में एलईडी से रोशनी की जा रही है, कोचों में भी सोलर पावर का प्रयोग किया गया है। रेलवे में ग्रिड के रूप में दुनिया में पहली बार सौर पैनलों का उपयोग किया गया था। कुल 16 सौर पैनल छह डिब्बों में फिट किए गए। ट्रेन में पावर बैक-अप भी है और यह कम से कम 72 घंटे तक बैटरी पर चल सकती है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत ये सौर पैनल बनाये गए हैं। इसके अलावा आज रेलवे स्टेशनों में यात्रियों के लिए मुफ्त और भरोसेमंद वाईफाई है। ट्रेनों में भी ये सुविधा दी जा रही है।
रेलवे विद्युतीकरण
सरकार ने केवल 2017-18 वर्ष में ही रिकॉर्ड तोड़ 4,087 रेल किलोमीटर पटरियों का विद्युतीकरण (electrification) सुनिश्चित किया है। 2021 - 22 के दौरान भारतीय रेल के इतिहास में रिकार्ड 6366 रुट किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन हासिल किया गया।।इस साल 31 मार्च तक भारतीय रेलवे के ब्रॉडगेज नेटवर्क के कुल 65141 रूट किलोमीटर में से 52247 रूट किलोमीटर का इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया। ये कुल ब्रॉड गेज नेटवर्ज का 80.20 फीसदी है।
भारतीय रेलवे के गेज परिवर्तन में इस वित्त वर्ष के 2400 किलोमीटर के लक्ष्य के मुकाबले 2904 किलोमीटर काम किया गया।
इसके अलावा हजारों मानवरहित समपार समाप्त किये गए। इनकी जगह अंडरपास बनाये गए हैं। वर्ष 2009-10 में मानवरहित समपारों के कारण हुई रेल दुर्घटनाओं की संख्या 65 थी जिनकी संख्या 2018-2019 में मात्र तीन थी।
माल ढुलाई : भारतीय रेल ने 2021-22 के दौरान 1418.10 मीट्रिक टन माल ढुलाई की है, जो 2020-21की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। यह किसी वित्त वर्ष में भारतीय रेल के लिए अब तक की सबसे अधिक माल ढुलाई है और भारतीय रेल ने सितंबर 20 से मार्च 22 तक लगातार संबंधित 19 महीनों में अब तक की सबसे अधिक मासिक ढुलाई हासिल की है।