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MP New CM: आखिर कौन हैं मोहन यादव जिन्हें सीएम बनाकर भाजपा हाईकमान ने चौंकाया

MP New CM: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के फैसले को लेकर सबको चौंका दिया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद अब मोहन यादव राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। मजे की बात यह है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान समेत कई कद्दावर नेताओं का नाम सीएम पद की रेस में शामिल था । मगर मोहन यादव के नाम का अनुमान किसी ने नहीं लगाया था।

Anshuman Tiwari
Published on: 11 Dec 2023 2:47 PM GMT
After all, who is Mohan Yadav whom BJP high command surprised by making him CM
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आखिर कौन हैं मोहन यादव जिन्हें सीएम बनाकर भाजपा हाईकमान ने चौंकाया: Photo- Social Media

MP New CM: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के फैसले को लेकर सबको चौंका दिया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद अब मोहन यादव राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। मजे की बात यह है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान समेत कई कद्दावर नेताओं का नाम सीएम पद की रेस में शामिल था । मगर मोहन यादव के नाम का अनुमान किसी ने नहीं लगाया था। मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने ओबीसी कार्ड खेला है।

मोहन यादव को संघ का करीबी माना जाता है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उनका नाम कोई भी नहीं ले रहा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से साफ हो गया है कि पार्टी अब राज्यों में नए नेतृत्व को उभारने की कोशिश में जुट गई है। इसी कड़ी में मोहन यादव के नाम पर मुहर लगाई गई है। छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में भी दो डिप्टी सीएम बनाये गये हैं। राजेंद्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा राज्य के नए डिप्टी सीएम बनाये गये हैं। जबकि नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा के स्पीकर बनाया गया है।

फैसले ने सबको कर दिया हैरान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए जाने जाते रहे हैं। 2017 में रामनाथ कोविंद और 2022 में द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार बनाकर भी उन्होंने चौंकाया था। इसके जरिए पीएम मोदी ने दलित और आदिवासी समीकरण साधने की कोशिश की थी। अब मध्य प्रदेश में भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री के रूप में चुनकर सबको चौंका दिया है। मध्य प्रदेश की सियासत को गहराई से देखने और समझने वाले जानकार लोगों ने भी मोहन यादव के नाम का अनुमान नहीं लगाया था।

उज्जैन में पैदा होने वाले मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं और वे शुरुआती दौर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं। उन्हें संघ के नेताओं का भी आशीर्वाद हासिल रहा है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने में संघ नेताओं से उनकी निकटता ने भी असर दिखाया है।

शिवराज ने रखा मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव

भाजपा विधायक दल की बैठक में आज शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा । जिसका बैठक में मौजूद सभी विधायकों ने समर्थन किया। बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर,पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के प्रमुख के.लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा ने केंद्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका निभाई।

बैठक स्थल के बाहर भाजपा के बड़े नेताओं के समर्थन में कार्यकर्ताओं की ओर से नारेबाजी की जा रही थी। शिवराज सिंह चौहान, प्रहलाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक अच्छी खासी संख्या में मौजूद थे। इन सभी चेहरों को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। इनमें से ही किसी नाम पर मुहर लगने की संभावना थी । मगर मोहन यादव के नाम ने हर किसी को चकित कर दिया है।

Photo- Social Media

आखिर कौन हैं मोहन यादव

58 वर्षीय मोहन यादव सियासी मैदान में लंबे समय से सक्रिय बने हुए हैं। इस बार उन्होंने उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से चुनाव जीता है। उन्होंने 2013 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। उसके बाद 2018 में भी उन्हें कामयाबी मिली थी। बाद में उन्हें शिवराज कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया था। इस बार उन्होंने लगातार तीसरी बार चुनाव जीतते हुए हैट्रिक लगाने में कामयाबी हासिल की है। इस बार उन्होंने उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चेतनारायण यादव को 12941 मतों से हराया है।

छात्रसंघ से हुई राजनीति की शुरुआत

जहां तक शैक्षणिक योग्यता का सवाल है तो मोहन यादव ने कई डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। बीएससी करने के बाद उन्होंने एलएलबी और राजनीति शास्त्र में एमए भी किया है। इसके साथ ही उन्होंने एमबीए और पीएचडी भी कर रखी है।

अपने छात्र जीवन से ही मोहन यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे हैं। राजनीतिक मैदान में उनकी शुरुआत छात्रसंघ चुनाव से हुई थी। 1982 में उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय में छात्र संघ के सहसचिव का चुनाव जीता था और बाद में 1984 में वे अध्यक्ष बनने में भी कामयाब हुए थे।

Shashi kant gautam

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