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BJP के सियासी खेल से चक्रव्यूह में फंसे दुष्यंत चौटाला, हिसार की रैली में आज खोलेंगे सियासी पत्ते

Haryana News: लोकसभा चुनाव से पहले अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद दुष्यंत चौटाला चक्रव्यूह में फंस गए हैं और आगे की सियासी रह के लिए मंथन करने में जुटे हुए हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 13 March 2024 9:21 AM IST (Updated on: 13 March 2024 9:27 AM IST)
Dushyant Chautala
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Dushyant Chautala (photo: social media )

Haryana News: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन टूटने के बाद जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हरियाणा में अचानक हुए सत्ता परिवर्तन के बाद दुष्यंत की पार्टी में फूट पड़ गई है और उनके पांच विधायकों ने बागी तेवर दिखाए हैं। जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने नायब सिंह सैनी (Naib Singh Saini) की सीएम पद पर ताजपोशी करके बहुमत की राह भी आसान कर ली है।

लोकसभा चुनाव से पहले अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) चक्रव्यूह में फंस गए हैं और आगे की सियासी रह के लिए मंथन करने में जुटे हुए हैं। दुष्यंत चौटाला के पिता और जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला (Ajay Singh Chautala) के जन्मदिन पर आज हिसार में नव संकल्प रैली का आयोजन किया गया है। जेजेपी सूत्रों का कहना है कि दुष्यंत चौटाला इस रैली के दौरान ही आगे की सियासी राह के लिए अपने पत्ते खोलेंगे।

एक साल से बनी हुई थी खींचतान की स्थिति

हरियाणा में पिछले करीब एक साल से भाजपा और जेजेपी के बीच भीतर ही भीतर खींचतान की स्थिति बनी हुई थी। दोनों ही दल एक-दूसरे पर गठबंधन तोड़ने का ठीकरा फोड़ने की कोशिश में जुटे हुए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच गठबंधन टूटने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी क्योंकि भाजपा की नजरें राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर लगी हुई थीं।

भाजपा के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देव ने पहले ही साफ कर दिया था कि चुनाव में दोनों दल एक साथ नहीं चल पाएंगे। इसके बावजूद दुष्यंत चौटाला भाजपा नेतृत्व के साथ सीटों को लेकर तालमेल करने की कोशिश में जुटे रहे। गठबंधन टूटने से पहले उन्होंने इस बाबत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात भी की मगर इन मुलाकातों में बात नहीं बन सकी। दुष्यंत चौटाला लोकसभा की दो सीटें लेने पर अड़े हुए थे मगर भाजपा नेतृत्व एक भी सीट देने के लिए तैयार नहीं था।

इन मुलाकातों के दौरान भाजपा ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के साथ ही गठबंधन तोड़ने का भी संकेत दे दिया। इसके बाद मंगलवार को हुए बड़े सियासी खेल में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद आनन-फानन में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई।

गठबंधन टूटने के बाद विधायकों के बागी तेवर

इस सियासी खेल के जरिए भाजपा जेजेपी को तोड़ने में भी कामयाब होती दिख रही है। राज्य के सियासी हालात पर चर्चा करने के लिए दुष्यंत चौटाला की ओर से मंगलवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई गई थी मगर दिल्ली में हुई इस बैठक में उनकी पार्टी के सिर्फ पांच विधायक ही हिस्सा लेने पहुंचे। पांच विधायकों ने बागी तेवर दिखाते हुए बैठक से दूरी बनाए रखी।

मजे की बात यह है कि जहां दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखी,वहीं जेजेपी के पांच विधायक शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे।

इनमें पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, बरवाला से विधायक जोगी राम, नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा, गुहला चीका से विधायक ईशवर सिंह और नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम शामिल हैं।

विधायकों में इसलिए फैली नाराजगी

जानकार सूत्रों का कहना है कि जेजेपी के कई विधायकों में दुष्यंत चौटाला के प्रति पहले से ही काफी नाराजगी थी और गठबंधन टूटने के बाद यह खुलकर सामने आ गई है। करीब साढ़े चार साल पहले दुष्यंत चौटाला ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। जेजेपी को 11 विभाग दिए गए थे मगर इनमें से अधिकांश विभाग दुष्यंत चौटाला ने अपने पास ही बनाए रखे।

अनूप धानक को राज्यमंत्री के तौर पर शामिल किया गया। इसे लेकर भी पार्टी विधायकों में नाराजगी थी। बाद में देवेंद्र बबली को मंत्री बनाकर विधायकों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई। नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम और नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा खुलकर विरोध जताते रहे मगर दुष्यंत चौटाला विधायकों की नाराजगी दूर करने में कामयाब नहीं हो सके।

दुष्यंत की आगे की सियासी राह मुश्किल

भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत चौटाला की आगे की सियासी राह काफी मुश्किल मानी जा रही है। उनकी पार्टी में ही बड़ी टूट होने के आसार हैं और आधे विधायक भाजपा के साथ मिल गए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी दुष्यंत चौटाला की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है क्योंकि उनकी पार्टी का आधार जाट मतदाता रहे हैं। अब उन्हें जाट मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल से मजबूत लड़ाई लड़नी होगी।

हिसार की रैली में आज खोलेंगे पत्ते

गठबंधन टूटने के बाद अभी दुष्यंत चौटाला ने अपने सियासी पत्ते नहीं खोले हैं। मंगलवार को नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता और जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की और राज्य के सियासी हालात पर मंथन किया।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि आज दुष्यंत के पिता अजय सिंह चौटाला के जन्मदिन के मौके पर हिसार में नव संकल्प रैली का आयोजन किया गया है और इस रैली के दौरान ही दुष्यंत चौटाला अपने सियासी पत्ते खोलेंगे। गठबंधन टूटने के बाद उन्होंने समर्थन देने के लिए हरियाणा के लोगों के प्रति आभार जताया है मगर उनके अगले सियासी कदम पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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