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शर्म इन्हें आती नहीं! रेपिस्ट बाबा के समर्थन में रेप के आरोपी साक्षी महाराज
संजय तिवारी
लखनऊ। उन्नाव से भाजपा के सांसद साक्षी महाराज अब बलात्कार के आरोपी राम रहीम के बचाव में बयान दे रहे है। साक्षी पर खुद भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं।
जिस तरह से शुक्रवार से ही राम रहीम के उत्पाती समर्थको ने बवाल काटा है और देश को हिंसा की आग में झोंक दिया, ऐसे साक्षी जैसे कथित साधू और नेता के बयान पर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए। ये वही साक्षी महाराज हैं जिन पर राम रहीम से ज्यादा गहरे दाग हैं, मोदी लहर में संसद पहुंच चुके साक्षी की जबान प्रायः ऐसी ही चलती रहती है।
जातीय राजनीति की उपज
सच्चिदानंद साक्षी महाराज का जन्म 16 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश स्थित कासगंज जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्मानंद जी महाराज और माता का नाम मदालशा देवी था। साक्षी महाराज लोध समुदाय से आते हैं। ये समुदाय उत्तर प्रदेश में अति पिछड़े वर्ग के अन्तर्गत आता है।
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साक्षी ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1990 में बीजेपी के साथ की थी। इससे पहले वह मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी से जुड़े। वहीँ उन्होंने कल्याण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय क्रांति दल भी ज्वाइन की थी। साल 1991 में वह मथुरा लोकसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद वह 1996 से 1998 से फर्रुखाबाद से सांसद चुने गए। यह क्षेत्र लोध समुदाय का गढ़ माना जाता है।
कल्याण सिंह के बहुत निकट
साक्षी महाराज रामजन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख रूप से शामिल थे और उन्हें बाबरी मस्जिद केस में आरोपी भी बनाया गया था। साक्षी महाराज का नाम 1997 में भी उस समय सुर्खियां बटोर रहा था जब वे फर्रुखाबाद से सासंद थे और बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में भी उनके नाम पर शिकायत दर्ज कराई गई थी। दोनों फर्रुखाबाद से ताल्लुक रखते थे। भाजपा के टिकट से दो बार सांसद रह चुके सच्चिदानंद हरि उर्फ साक्षी महाराज कभी दिग्गज नेता कल्याण सिंह के काफी क़रीबी हुआ करते थे।
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साक्षी महाराज की गिनती भाजपा के दबंग नेताओं में होती थी। 27 मार्च 2009 को साक्षी महाराज के आश्रम से एक 24 वर्षिय युवती लक्ष्मी का शव बरामद हुआ तो हड़कंप मच गया। साक्षी महाराज पर ज़मीन हथियाने और यौन उत्पीड़न के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं। बताया जाता है कि आश्रम के रूप में साक्षी महाराज के पास अच्छी खासी संपदा एकत्र है।
मुलायम के भी ख़ास बन गए
वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज ने बीजेपी का दामन छोड़ते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर फर्रुखाबाद से चुनाव में खड़े हुए थे। इसी सीट से बीजेपी की ओर से टिकट न दिए जाने पर साक्षी महाराज बीजेपी से नाराज हो गए थे। वर्ष 2000 में समाजवादी पार्टी की ओर से उन्हें राज्यसभा के लिए भेजा गया।
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इसी दौरान अगस्त 2000 में एटा के कॉलेज प्रिंसिपल ने साक्षी महाराज और उनके दो भतीजों पर गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराई। इसके मुताबिक, पीड़ित महिला और उसके पुरुष दोस्त पर साक्षी महाराज और उनके लोगों ने तब हमला किया था, जब वे आगरा से एटा आ रहे थे। महाराज को इस केस में एक महीने तिहाड़ जेल में भी बिताने पड़े। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। साल 2000 में वह समाजवादी पार्टी में रहते हुए एक बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन किया।
सांसद निधि के दुरुपयोग में रंगे हाथ पकडे गए
वर्ष 2005 में साक्षी महाराज को संसदीय फंड का दुरुपयोग करने के मामले में एक स्टिंग आपरेशन के तहत पकड़ा गया। साल 2012 में साक्षी महाराज फिर से बीजेपी में शामिल हो गए। 2013 में महाराज और उनके भाई पर उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य सुजाता वर्मा की हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था। सुजाता को तब बेहद नजदीक से गोली मारी गई थी, जब वे महाराज के एटा आश्रम के दौरे पर गई थीं।
बताया जाता है कि सुजाता को साक्षी महाराज बेटी मानते थे और संपत्ति विवाद के चलते उनकी हत्या कराई गई। सुजाता ने एटा आश्रम पर अपने हिस्से को लेकर दावेदारी जताई थी, जिसके दो महीने बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। बाद में इस मामले में भी महाराज को बरी कर दिया गया।
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घटना के एकमात्र चश्मदीद गवाह और सुजाता के सहयोगी अनिल यादव ने अपने बयान में कहा था, हत्या से ठीक पहले गेट पर साक्षी महाराज उनके भाई विजय स्वरुप और दो अन्य लोग राम सिंह, सत्य प्रकाश छोटे वाले गेट पर पहले से ही बैठे थे। इन्हीं चारों में से किसी ने गोली मारी थी। इसके अलावा साक्षी महाराज पर चुनावों के दौरान बूथ कैप्चरिंग के आरोप भी लगे। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2013 को ठोस सुबूतों के न होने पर उन पर एफआईआर दर्ज कराने से इंकार कर दिया। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में साक्षी महाराज को बीजेपी की ओर से उन्नाव लोकसभा सीट से टिकट दिया गया। जिसमें उन्होंने भारी मतों से कांग्रेस उम्मीदवार अन्नू टंडन को हराया।
साक्षी के विवादित बोल
साक्षी महाराज ने मेरठ में एक धर्म सम्मेलन में कहा था, "देश में आबादी बढ़ाने के लिए हिन्दू ज़िम्मेदार नहीं हैं बल्कि वो लोग ज़िम्मेदार हैं जिनके चार-चार पत्नियां और चालीस बच्चे होते हैं। हिंदू महिलाओं को अपने धर्म की रक्षा करने के लिए कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए।"
साक्षी महाराज के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज
उत्तेर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने उन्हें एक नोटिस भेजकर कहा कि शुरुआती तौर पर लगता है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है।
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भारतीय जनता पार्टी ने उनके इस बयान से ख़ुद को अलग ज़रूर किया, लेकिन निंदा नहीं की। पार्टी प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया की ये उनका निजी बयान है, पार्टी न तो ऐसे किसी बयान का समर्थन करती है और न ही किसी नेता या कार्यकर्ता को ऐसे बयान देने की इजाज़त है। दरअसल, अक़्सर विवादित बयानों के कारण चर्चा में आने के बावजूद साक्षी महाराज और ऐसे कुछ अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ पार्टी ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की है, बल्कि नेताओं का निजी बयान कहकर पल्ला झाड़ लेती है।