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Rajasthan Election 2023: चुनाव आयोग से पहले बीजेपी एमपी ने सचिन पायलट को दे दिया जीत का सर्टिफिकेट, कल आएंगे नतीजे
Rajasthan Election 2023: बीजेपी का मानना है कि 3 दिसंबर को आने वाले नतीजे उसके पक्ष में होंगे। इस बीच पार्टी के ही एक सांसद ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट की टोंक सीट से जीत की भविष्यवाणी कर सियासी हलकों में हलचल मचा दी है।
Rajasthan Election 2023: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद अब सभी को 3 दिसंबर यानी नतीजे के दिन का इंतजार है। 30 नवंबर की देर शाम से आ रहे तमाम एग्जिट पोलों ने सियासदाओं के साथ-साथ राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की भी धड़कनें बढ़ा दी हैं। सियासी पार्टियां आगामी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। जीत-हार को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। राजस्थान में भी ऐसा ही देखा जा रहा है।
एक तरफ जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस हर पांच साल पर सरकार बदलने की परंपरा को इस बार टूटने का दावा कर रही है। वहीं, बीजेपी का मानना है कि 3 दिसंबर को आने वाले नतीजे उसके पक्ष में होंगे। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद ने अपने सियासी प्रतिद्वंदी को लेकर एक ऐसा दावा किया है, जिससे सियासी हलकों में हलचल मच गई है। उन्होंने कांग्रेस के युवा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की टोंक सीट से जीत की भविष्यवाणी की है।
जीत रहे हैं सचिन पायलट – बीजेपी एमपी
एक तरफ जहां बीजेपी मीडिया में प्रचंड जनादेश के साथ राजस्थान की सत्ता में आने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी के ही एक सांसद सूबे की एक महत्वपूर्ण सीट पर हार की भविष्यवाणी कर रहे हैं। टोंक के भाजपा सांसद सुखबीर जौनपुरिया ने विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की जीत का दावा किया है। पायलट इसबार भी टोंक सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी देखी गई थी।
बीजेपी एमपी ने बताया क्यों जीत रहे हैं पायलट
टोंक सांसद सुखबीर जौनपुरिया ने अपने दावे के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि टोंक में अल्पसंख्यक बहुत हैं। उनके पास मजबूरी है कि वो और किसी को वोट नहीं दे सकते, तो देंगे पायलट को ही। टोंक में मुस्लिम वोटों का समीकरण कांग्रेस के पक्ष में होने के कारण पायलट की जीत तय है। मुसलमानों के वोट सचिन पायलट को मुफ्त में मिले हैं, इसलिए वह जीत सकते हैं।
दरअसल, टोंक में मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं। गुर्जर भी ठीक-ठाक संख्या में हैं। दोनों कांग्रेस के प्रमुख वोट बैंक माने जाते हैं। गुर्जर होने के कारण सचिन पायलट की अपनी बिरादरी में अच्छी साख है और समुदाय के लोगों को लगता है कि वह एक दिन राज्य का नेतृत्व जरूर करेंगे। गांधी फैमिली से उनकी करीबी इसे और बल देती है।
पायलट के खिलाफ नाराजगी को भूनाना चाहती थी बीजेपी
2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। उन्हीं की अगुवाई में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था। ऐसे में कांग्रेस ने उन्हें मुस्लिम बाहुल्य सीट टोंक से उतारकर दो बड़े मतदाता समूहों को साधने की कोशिश की थी और पार्टी कामयाब भी हुई। लेकिन नतीजे के बाद न तो पायलट सीएम की कुर्सी तक पहुंच पाए और न ही उन्होंने क्षेत्र में ज्यादा समय दिया। इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी दिखी।
टोंक में बीजेपी ने अजीत सिंह मेहता को उतारकर लड़ाई को ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ बनाने की पूरी कोशिश की। टोंक के ही रहने वाले मेहता 2013 के चुनाव में कांग्रेस के सऊद सईदी को 30 हजार 343 मतों से हराकर विधायक बने थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काटकर वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री यूनुस खान को सचिन पायलट के खिलाफ उतारा था। लेकिन खान को पायलट के हाथों 54 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार बीजेपी पायलट को चुनाव मैदान में कितनी चुनौती दे पाई है, ये कल यानी रविवार 3 दिसंबर को पता चलेगा।