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योजनाओं का फोकस 2022 है तो फिर 2019 में आम चुनाव होंगे भी या नहीं!

Rishi
Published on: 25 Sep 2017 2:14 PM GMT
योजनाओं का फोकस 2022 है तो फिर 2019 में आम चुनाव होंगे भी या नहीं!
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नई दिल्ली : कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की जीत सुनिश्चित करना और आगामी लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा की जीत के लिए अभी से माहौल बनाने के लिए भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने नया नारा गढ़ दिया है। नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में छाई मंदी और जीडीपी में बड़ी गिरावट की हकीकत के इतर भाजपा ने सभी मोर्चों पर देश की तरक्की का दावा किया है।

पूरा दावा इस बात का है कि मोदी सरकार ने जो भी योजनाएं आम जनता की भलाई के लिए शुरू की हैं, उनके परिणाम आने लगे हैं और आने वाले महीनों में सरकार की योजनाओं से आम जनता को खुद ही राहत मिलने लगेगी।

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क्या लोकसभा व विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की रणनीति पर अमल होगा!

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से एक संदेश बहुत साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि अगर 2022 भाजपा के सभी वायदों को पूरा करने की समय सीमा है तो 2019 के आम चुनावों में भाजपा जनता के बीच किस उपलब्धि के साथ जाएगी। जिन वायदों को पूरा करने के भाजपा अब 2022 में यानी पूरे पांच साल और मांग रही है, उनकी प्रगति के बारे में पिछले साढ़े तीन साल का लेखा जोखा क्या है।

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कयास तो ये भी लग रहे हैं कि देश भर में लोकसभा व राज्यसभा चुनाव एक साथ कराने की किसी योजना का रोडमैप मोदी के मन में पक रहा है तो ऐसी सूरत में संसद में कानून लाकर 2019 के चुनावों को 2022 तक टाला जा सकता है ताकि संसद व सभी प्रदेशों व केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव एक साथ कराए जाने की पृष्ठभूमि तैयार की जा सकी।

अगर सब कुछ नियंत्रण में है तो आरएसएस को शंकाएं क्यों हैं!

हालांकि आर्थिक मोर्चे की चुनौतियों से निपटने के सरकार के दावे पार्टी में कई लोगों के गले नहीं उतर रहे। भाजपा बैठक में दावा किया जा रहा है कि सब कुछ नियंत्रण में है तथा जीडीपी की दर बुरी तरह पिछड़ने के बावजूद देश की वृद्धिदर में तेज बढ़ोतरी होगी।

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ज्ञात रहे कि भाजपा की मातृ संस्था आरएसएस ने मोदी सरकार को अपनी आंतरिक बैठकों में एक से ज्यादा बार आगाह कर दिया है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है। नोटबंदी के बाद जीएसटी की बेड़ियों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं।

वोटरों के मन में क्या अंडर करंट को समझना मुश्किल

पार्टी के भीतर कई लोगों का यह पुख्ता यकीन है कि जनता के मन में चल रहे अंडरकरंट का अंदाजा लगाना कठिन है क्योंकि तेरह साल पूर्व 2004 में भाजपा ने शाईनिंग इंडिया का नारा दिया था, इसके बाद भी भाजपा चुनाव हार गई थी। 2022 में नया इंडिया बनाने का नारा कितना कारगर हो पाएगा, इस पर भाजपा व मोदी सरकार की डगर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगी।

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ज्ञात रहे कि आम चुनाव के पहले भाजपा विरोधियों को इस बात में जरा भी संदेह नहीं था कि पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं लौटेगी। उस वक्त सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस में पूरी तरह मायूसी पसरी हूई थी। यहां तक कि चुनाव से पहले कांग्रेस के पास चुनाव लड़ने के लिए कोष नहीं था क्योंकि देश के औद्योगिक घरानों ने भी कांग्रेस को ज्यादा चुनावी चंदा देने से कन्नी काट ली थी।

तीन वरिष्ठ मंत्री लगाए थे उजली तस्वीर बताने को

आज की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चूंकि बंद हॉल में थी तथा मीडिया को अर्थव्यवस्था की उजली तस्वीर का भरोसा देने के लिए तीन मंत्रियों वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और रेल मंत्री पीयूष गोयल को लगाया गया। इन तीनों मंत्रियों को मीडिया के साथ सशक्त संवाद करने के लिए जाना जाता है।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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