TRENDING TAGS :
Mission 2024: प.बंगाल में CAA के सियासी दांव से भाजपा को मिलेगी ताकत, पिछले लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराने की तैयारी
Mission 2024: पार्टी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को भी लागू करने की तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस से पहले इसे लागू किया जा सकता है।
Mission 2024: लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा इन दिनों जोरदार तैयारियों में जुटी हुई है। चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पार्टी मैं विभिन्न स्तरों पर रणनीति बनाई जा रही है और राज्य इकाइयों के जरिए इस पर अमल भी शुरू कर दिया गया है। इसी कड़ी में अब पार्टी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को भी लागू करने की तैयारी कर ली है। माना जा रहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस से पहले इसे लागू किया जा सकता है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अपना होमवर्क पूरा कर चुका है और मोदी सरकार की ओर से जल्द इस बाबत बड़ा ऐलान किया जा सकता है।
भाजपा के इस सियासी दांव का पश्चिम बंगाल में बड़ा असर दिखने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि बंगाल में मतुआ समुदाय की ओर से लंबे समय से सीएए को लागू करने की मांग की जाती रही है। भाजपा का यह कदम तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का टेंशन बढ़ने वाला साबित होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका बड़ा सियासी फायदा मिल सकता है। इसके जरिए भाजपा पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में जुटी हुई है।
सीएए से मतुआ समुदाय को होगा फायदा
मोदी सरकार 2019 में दोबारा सत्ता में आने में कामयाब हुई थी और 2019 के दिसंबर महीने में सीएए अधिनियम को पारित किया गया था। अधिनियम के पारित होने के दूसरे दिन ही इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। सीएए लागू होने के बाद पकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा। इन समुदायों में हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा बांग्लादेश से आकर पश्चिम बंगाल में बसे हिंदुओं खासकर मतुआ समाज के लोगों को होगा।
यही कारण है कि मतुआ समुदाय की ओर से काफी दिनों से केंद्र सरकार से इसे यथाशीघ्र लागू करने का अनुरोध किया जा रहा है। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए पहले किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था, लेकिन सीएए के नियम तहत भारत की नागरिकता हासिल करने की अवधि 1 से 6 साल हो गई है।
गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान
गृह मंत्री अमित शाह समय-समय पर सीएए को लागू करने के संबंध में बयान देते रहे हैं। पिछले दिनों गृह मंत्री शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान भी उन्होंने कहा था कि विपक्षी दलों की ओर से सीएए के संबंध में लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है मगर इसे लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है।
उनका कहना था कि अब सीएए को लागू करने से कोई नहीं रोक सकता। जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही इस बाबत नियमावली जारी कर दी जाएगी। लोकसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा काफी असर डालने वाला साबित हो सकता है।
बंगाल में भाजपा का होगा बड़ा फायदा
पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की अच्छी खासी आबादी है। ये हिंदू शरणार्थी हैं जो देश विभाजन और बाद के समय के दौरान पड़ोसी देश बांग्लादेश से आए हैं। यह समुदाय लंबे समय से स्थायी नागरिकता की मांग कर रहा है। पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय पर पकड़ के जरिए ही भाजपा अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाने में कामयाब हुई थी।
पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की आबादी करीब 30 लाख है तथा नादिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में कम से कम लोकसभा की चार सीट पर इस समुदाय का खासा असर है। अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी इस समुदाय के मतदाता हैं। टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी सीएए का विरोध करती रही हैं। अगर उन्होंने इसकी राह में अड़चनें डालीं तो भाजपा इस मुद्दे को लेकर हमलावर हो सकती है। इसका ममता को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस तरह बढ़ेंगी ममता की मुश्किलें
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा पश्चिम बंगाल में सिर्फ दो सीटें जीतने में कामयाब हुई थी मगर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी को 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा राज्य की दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी पश्चिम बंगाल में मजबूत तैयारी के साथ ममता की घेरेबंदी में जुटी हुई है। सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसे में सीएए को लागू करने से भाजपा को बड़ी सियासी संजीवनी हासिल हो सकती है।
भाजपा का यह कदम ममता की मुश्किलें बढ़ने वाला साबित होगा और इससे उन्हें सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पश्चिम बंगाल में सीटों के तालमेल को लेकर इंडिया गठबंधन में पहले ही घमासान छिड़ा हुआ है। ममता की पार्टी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी हो रही है जबकि दूसरी ओर भाजपा मजबूत चुनावी रणनीति के साथ अपना लक्ष्य हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है।