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Modi Government 8 Years: मोदी सरकार के आठ वर्ष, सवर्ण आरक्षण रहा केन्द्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक
Modi Government 8 Years: आगामी 30 मई को मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आठ वर्ष पूरे करने जा रही है। इन वर्षो में इस सरकार न जाने कितनी उपलब्धियों से जनता का दिल जीतने का काम किया है।
Modi Government 8 Years : आगामी 30 मई को मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आठ वर्ष पूरे करने जा रही है। इन वर्षो में इस सरकार न जाने कितनी उपलब्धियों से जनता का दिल जीतने का काम किया है। पर इन सबमें केन्द्र सरकार की पहल से सवर्ण आरक्षण का लाभ इस वर्ग को मिलने का एक बड़ा काम हुआ है। आजादी के इतने वर्षो तक राजनीतिक दलों ने हमेषा सवर्ण आरक्षण की बात कही। इस दौरान कांग्रेस समेत कई दलों की केन्द्र और प्रदेश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर षासन किया पर इसे लागू करने का साहस कोई नहीं जुटा पाया।
लेकिन केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 2019 में इस काम को पूरा करने का बीड़ा। सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी तो दे दी लेकिन इसमें कई ऐसी चीजे जोड दी गयी जिससे इसका लाभ सवर्णो के पूरे वर्ग को मिलना एक कठिन चुनौती हैं आरक्षण का लाभ सवर्ण वर्ग के सिर्फ उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम होने के साथ ही जिन सवर्णों के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि है उन्हे आरक्षण का लाभ नहीं मिलने की व्यवस्था है।
इससे पहले वर्ष 2018 में जब सवर्ण आरक्षण की मांग उठी तो इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में देखने को मिला। हांलाकि राजनीतिक क्षेत्र में इसे चुनावी स्टंट कहा गया लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जब साल 1990 में ओबीसी के लिए आरक्षण की नीति लागू की थी तब उनके इस क़दम को मास्टर स्ट्रोक कहा गया था, क्योंकि तभी भी कोई राजनीतिक दल उनके इस क़दम का खुलकर विरोध नहीं कर पाया था, साथ ही वीपी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार भी आरक्षण की गेम खेला था लेकिन महज़ एक साल ही सरकार में टिक पाई थी, उन्हें इस क़दम का कोई बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पाया था।
पर मोदी सरकार का यह कदम मास्टर स्ट्रोक ही कहा गया, क्योंकि विपक्ष का कोई भी दल इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा लेकिन आलोचना जमकर कर रहा है। सवर्ण आरक्षण से जुड़े अध्यादेश पर सवर्णों की नाराजगी झेल रही भाजपा ने इस प्रस्ताव से उन्हें खुश करने की कोशिश की। इससे पहले तीन राज्यों में भाजपा की हार के बाद इस तरह की बात उठ रही थी कि सवर्णों की नाराजगी के कारण भाजपा को इस हार का सामना करना पड़ा। इसका भाजपा को लाभ मिला और और वह पिछले चुनाव से अधिक ताकत पाकर केन्द्र में सत्तासीन हुई।